बाबा साहब स्वतंत्र भारत के पहले विधि और न्याय मंत्री थे , भारतीय संविधान के जनक और भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे

बाबा साहब स्वतंत्र भारत के पहले विधि और न्याय मंत्री थे , भारतीय संविधान के जनक और भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे
बाबा साहब स्वतंत्र भारत के पहले विधि और न्याय मंत्री थे , भारतीय संविधान के जनक और भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे

बाबा साहब अम्बेडकर(Baba Sahab Ambedkar) जिनका पूरा नाम डॉ.भीमराव रामजी अम्बेडकर(Dr.Bhimrao Ramji Ambedkar) था एक राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक और शैक्षिक रूप से निपुण व्यक्ति थे।

उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन(dalit buddhist movement) का समर्थन किया और दलित (dalit) दल के खिलाफ सामाजिक भेदभाव का विरोध भी किया तो वही किसान, महिला व श्रमिकों के अधिकारों का समर्थन भी उन्होंने किया। बाबा साहब स्वतंत्र भारत के पहले विधि और न्याय मंत्री थे , भारतीय संविधान के जनक और भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।

उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय(Columbia university) और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स(London School of Economics) दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री ली और विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में भी काम किया। बाबा साहब(Baba Sahab) पहले अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे तो उन्होंने वकालत भी की लेकिन बाद में जीवन राजनीतिक गतिविधियों में बीतने लगा।

हिन्दू कुरीतियों से तंग आ कर 1956 (छप्पन) में बाबा साहब अम्बेडकर(Baba Sahab Ambedkar) ने बौद्ध धर्म अपना लिया। 1990 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया।

जीवन परिचय

14 अप्रैल, 1891 (इक्यानबे) को मध्य प्रदेश के महू नगर में सैन्य छावनी में बाबासाहब का जन्म हुआ। वह रामजी मालोजी सकपाल(Ramji Maloji Sakpal) और भीमाबाई (Bhimabai) की 14वीं और आखरी संतान थे। उनका परिवार कबीर पंथ(Kabir Panth) को मानने वाला मराठी परिवार था।

वह हिन्दू महार जाती से सम्बन्ध रखते थे जिन्हें अछूत कहा जाता था जिसके कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का शिकार होना पड़ा।

1906 में रामजी सकपाल परिवार के साथ बंबई(Bombay) चले आये। बाबा साहब(Baba Sahab) जब लगभग 15 वर्ष के थे तब उनकी शादी 9 साल की रमाबाई(Rama bai) से करवा दी गई और क्युकी उन दिनों भारत में बाल विवाह का प्रचलन था किसी ने आपत्ति भी नहीं जताई।

शिक्षा और बाबासाहब

बाबासाहब(Baba Sahab) ने पहले सातारा नगर में राजवाड़ा चौक पर गोवेरमेंत हाईस्कूल (Government High School) में अंग्रेजी की पहली कक्षा में दाखिला लिया। जब उन्होंने अंग्रेजी की चौथी कक्षा की परीक्षा पार की तब अछूतों ने इस सफलता पर जश्न मनाया।

उनके परिवार के मित्र, लेखक दादा ने स्वलिखित "बुद्ध की जीवनी(Buddha Biography)" बाबासाहब(Baba Sahab) को तोहफे के रूप में दी। उस किताब को पढ़ कर बाबासाहब ने गौतम बुद्ध और बौद्ध धर्म को जाना। फिर 1897 (सत्तानबे) में बाबासाहब(Baba Sahab) अपने परिवार के साथ बंबई(Bombay) आ गए और उन्होंने एल्फिंस्टोन रोड(Elphinstone Road) पर स्थित गोवेर्मेंट हाईस्कूल(Government High School) से आगे की पढाई पूरी की।

1907 में उन्होंने मैट्रिक(Matric) की पढाई पूरी की और एक साल बाद बॉम्बे विश्वविद्यालय (University of Bombay) में दाखिला ले लिया। दलितों में बाबासाहब(Baba Sahab) पहले थे जिन्होंने उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त की। 1912 में उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय (University of Bombay) से बी.ए किया और बड़ौदा सरकार के साथ काम करने लगे।

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1913 में बाबासाहब(Baba Sahab) संयुक्त राज्य अमेरिका(United States of america(USA)) चले गए जहाँ उन्होंने न्यूयोर्क(New York) में स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय(Columbia university) में डॉक्ट्रेट की डिग्री के लिए दाखिला ले लिया। फिर अक्टूबर 1916 में उन्हें लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स(London School of Economics) में डॉक्ट्रेट की डिग्री के लिए दाखिला मिल गया। 1922 में ग्रेज इन ने उन्हें बेरिस्ट्रेट की डिग्री दी जिसके बाद उन्हें ब्रिटिश बार में बतौर बेरिस्टर प्रवेश मिल गया।

लंदन(London) में पढाई पूरी कर के भारत वापस लौटते समय बाबासाहब(Baba Sahab) तीन महीने जर्मनी(Germany) में रुके जहाँ उन्होंने अपने अर्थशात्र का अध्ययन बॉन विश्वविद्यालय(University of Bonn) में जारी राखी।

बाबासाहब का राजनैतिक जीवन

अंबेडकर(Ambedkar) का राजनीतिक सफर 1926 से शुरू हुआ और 1956 (छप्पन) तक वह राजनीति में बड़े पद पर आ गए। बाबासाहब(Baba Sahab) 13 अक्टूबर, 1936 (छत्तीस) को सरकारी लॉ कॉलेज(Law College) के प्रिंसिपल बन गए और इस पद पर उन्होंने 2 साल काम किया।

दिल्ली विश्वविद्यालय(Delhi University) के रामजस कॉलेज(Ramjas College) के राय केदारनाथ(Rai Kedarnath) की मृत्यु के बाद उन्हें वहा का गवर्निंग बोर्ड(Governing Board) का अध्यक्ष बना दिया गया। 1936 (छत्तीस) में बाबासाहब(Baba Sahab) ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की जिसने 1937 (सैंतीस) विधानसभा चुनाव में 13 सीट हासिल किये और बाबासाहब(Baba Sahab) को बम्बई विधानसभा के विधायक के रूप में चुना गया।

बाबासाहब(Baba Sahab) ने अपनी किताब "एनीहिलेशन ऑफ कास्ट(Annihilation of caste)" को 15 मई 1936 में प्रकाशित किया। इस किताब में अंबेडकर(Ambedkar) ने जातिवाद और हिन्दू धर्म में हो रही छुआछूत की प्रथा की जम कर बुराई की। हिन्दू धार्मिक नेता और जातिवाद की प्रथा की उन्होंने कड़े शब्दों में निंदा की, और तो और उन्होंने गाँधी जी द्वारा रचित शब्द "हरिजन" का विरोध भी किया।

बाबासाहब अंबेडकर(Baba Sahab Ambedkar) दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके है। उनका पहला कार्यकाल 3 अप्रैल, 1952 (बावन) से 2 अप्रैल, 1956(छप्पन) तक का था तो वही दूसरे कार्यकाल की अवधी 3 अप्रैल, 1956 (छप्पन) से 2 अप्रैल, 1962 (बासठ) तक तय की गई थी लेकिन कार्यकाल ख़त्म होने से पहले ही 6 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया।

बाबासाहब(Baba Sahab) ने अपनी किताब "हू वर द शुद्राज़?(Who were the Shudras?)" में हिन्दू धर्म में सबसे नीची जाती शूद्र के अस्तित्व के बारे में बताया और उन्होंने अतिशूद्र और शूद्र के बिच अंतर भी बताया। बाबासाहब(Baba Sahab) का लेखन देश और दलित जाती की समस्या और परेशानी से जुड़ा था मानो वह देश की आवाज़ बन कर उनकी तकलीफों का बखान कर रहे हो।

उन्होंने "अनहिलेशन ऑफ कास्ट(Annihilation of caste)", "द बुद्ध अँड हिज धम्म(The Buddha and His Dhamma), “कास्ट इन इंडिया(cast in india)", "हू वेअर द शूद्राज?(Who were the Shudras?)", "रिडल्स इन हिन्दुइज़्म(Riddles in Hinduism)" जैसी किताबें लिखी और दलितों के साथ हो रहे अन्याय को लोगों के सामने उजागर किया।

बाबासाहब(Baba Sahab) बहुभाषी थे उन्हें मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, पालि, संस्कृत, गुजरती, जर्मन(German), फ्रेंच(French) आदि भाषा आती थी। बाबासाहब(Baba Sahab) का मन हमेशा से पढ़ने-लिखने में लगा करता था शायद तभी वह अपनी जाती के उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे।

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