गुप्ता स्मारकों एवं ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश का ज़िला, ललितपुर

गुप्ता स्मारकों एवं ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश का ज़िला, ललितपुर.
गुप्ता स्मारकों एवं ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश का ज़िला, ललितपुर.

गुप्ता स्मारकों एवं ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश का ज़िला, ललितपुर

उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) का जिला ललितपुर(Lalitpur) ऐतिहासिक रूप से परिपूर्ण और रोचक है जिसका नाम मुख्यालय शहर के नाम पर रखा गया है। 5000 साल पुराने ग्रन्थ यज्ञ पुराण(Yagya Purana), विष्णु पुराण(Vishnu Purana) और वरह पुराण (Varaha Purana) में ललितपुर(Lalitpur) का उल्लेख किया गया है। ललितपुर (Lalitpur) का संदर्भ रामायण(Ramayana) के साथ-साथ महाभारत(Mahabharata) में भी किया गया है।

कहा जाता है इस जिले की स्थापना राजा सुमेर सिंह(Raja Sumer Singh) ने की थी और इसका नाम अपनी पत्नी ललिता(Lalita) के नाम पर रखा था। 16वीं शताब्दी की शुरुआत में बुंदेला और उनके बेटे रुद्र प्रताप(Rudra Pratap) ने ललितपुर(Lalitpur) पर राज कर रहे गोंड(Gond) को युद्ध में हरा कर ललितपुर(Lalitpur) की सत्ता अपने नाम कर ली। बाद में इसे चंदेरी के बुंदेला राज्य में शामिल कर लिया गया।

18वीं शताब्दी में बुंदेलखंड(Bundelkhand) के साथ चंदेरी, मराठा विरासत में शामिल हो गया। 1891 में ललितपुर और झाँसी को मिला कर झाँसी(Jhansi) जिले का हिस्सा बना दिया गया और इसे इलाहाबाद डिवीज़न(Allahabad Division) में शामिल किया गया। लेकिन 1974 में प्रशासनिक सुविधा और उचित विकास के लिए ललितपुर(Lalitpur) को एक अलग जिला बना दिया गया।

ललितपुर(Lalitpur) लगभग हर तरफ से मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) से घिरा हुआ है, पूर्व में टीकमगढ़(Tikamgarh) है, दक्षिण में सागर जिला और पश्चिम में अशोकनगर (Ashoknagar) और शिवपुरी(Shivpuri) है।

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इतिहास

ललितपुर(Lalitpur) का इतिहास परिपूर्ण है जिसका ज़िक्र हिन्दू ग्रंथों में भी है। इस जिले पर राज करने की बात करें को बुंदेला(Bundela), चंदेरी(Chanderi), गोंड शासकों ने 16वीं शताब्दी में यहाँ की राज गद्दी संभाली। 17वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूतों ने यहाँ का शासन संभाला।

फिर 1811 में चंदेरी राज्य पर ग्वालियर(Gwalior) के दौलत राव सिंधिया(Daulat Rao Scindia) ने कब्ज़ा कर लिया। 1812 में यह कर्नल बैपटिस्ट(colonel baptiste) का मुख्यालय बन गया। 1844 में चंदेली के पूर्व के राज्यों को अँग्रेज़ों को सौंप दिया गया। फिर 1857 के विद्रोह में ललितपुर(Lalitpur) अँग्रेज़ों के हाथ से चला गया लेकिन 1858 तक इस राज्य में फिर से अंग्रेज़ शासन करने लगे। 1891 से 1947 में इसको झाँसी(Jhansi) का हिस्सा बना दिया गया। फिर 1974 में इसको स्वतंत्र जिले में तबदील कर दिया गया।

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घूमने की जगह

ऐतिहासिक रूप से परिपूर्ण और रामायण-महाभारत में संदर्भित ललितपुर(Lalitpur) में घूमने की बहुत सारी जगह है। यहाँ कई धार्मिक स्थल व पर्यटन क्षेत्र है जो अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है।

1) गोविन्द सागर बांध:- गोविन्द सागर बांध(Govind Sagar Dam) ललितपुर का महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। इस बांध का निर्माण शहजाद नदी पर हुआ है। गोविन्द सागर बांध एक बहुत बड़ा तालाब है जो अपनी साइफन प्रणाली के लिए पर्यटकों में बीच मशहूर है। यह बांध बहुत बड़ा है और बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।

बांध ललितपुर के पास ही है जहाँ गाड़ी या टैक्सी से आया जा सकता है। बारिश के समय यहाँ का नज़ारा बहुत खूबसूरत होता है क्योंकि बरसात के समय बांध में बहुत पानी होता है। लोगों का मन्ना है यहाँ पर सूर्यास्त का नज़ारा सबसे सुंदर है, यहाँ आने का सही समय शाम का है।

2) नरसिंह भगवन और श्री सिद्ध पीठ चंडी मंदिर:- ललितपुर(Lalitpur) का एक प्रसिद्ध मंदिर श्री नरसिंह भगवन मंदिर(Sri Narasimha Bhagwan Temple) सुमेरा तालाब (Sumera Lake) के किनारे बना हुआ है। यह मंदिर ललितपुर के बीचो-बिच बना है जिसकी खूबसूरती देखने लायक है। यहाँ श्रद्धालु भगवन नरसिंह जी के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते है।

और अगर बात करें श्री सिद्ध पीठ चंडी मंदिर की तो ललितपुर(Lalitpur) में इसकी बहुत मान्यता है। यह मंदिर माँ चंडी को समर्पित है जहाँ उनकी सुंदर प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर ललितपुर के रेलवे स्टेशन के पास स्थित है।

3) देवगढ़ जैन मंदिर:- ललितपुर का मुख्य पर्यटन स्थल जैन मंदिर पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। यहाँ जैन मंदिर का बहुत बड़ा परिसर है जहाँ पर बहुत सारे प्राचीन मंदिर देखने को मिलते है। इन मंदिरों की देखरेख पुरातत्व विभाग करता है। यहाँ पर म्यूज़ियम भी है जहाँ बहुत सारी प्राचीन मुर्गियाँ राखी हुई है।

इन मंदिरों का निर्माण गुप्त काल में हुआ था। देवगढ़ की पहाड़ी पर करीब 31 जैन मंदिर और 2000 मुर्गियाँ है। यहाँ की दीवारों पर बानी सुंदर नक्काशी की सुंदरता लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। जैन मंदिर के साथ-साथ यहाँ हिन्दू देवी देवताओं के मंदिर भी है। देवगढ़ पहाड़ के पास बेतवा नदी बहती है जिसके किनारे प्राचीन गुफाएं देखने को मिलती है।

4) तालबेहट का किला:- ललितपुर(Lalitpur) के छोटे से नगर तालबेहट में बने किले का निर्माण 1618 में भरत शाह ने करवाया था। यह किला तालबेहट(Talbehat) में एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले का निर्माण मानसरोवर झील(Mansarovar Lake) के किनारे करवाया गया था। इस किले को मर्दन सिंह(Mardan Singh) का किला के नाम से जाना जाता है।

इस किले और मानसरोवर के झील का दृश्य मनमोहक होता है। मानसरोवर झील (Mansarovar Lake) का दुरसा नाम तालबेहट तालाब(Talbehat Lake) है। यह तालाब बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। किले में सुंदर छतरियां, ऊँचे-ऊँचे बुर्ज और दीवारें-दरवाजे देखने को मिलते हैं।

किले का प्रवेश द्वार भी बहुत भव्य है। लेकिन अब ज़्यादातर किला खंडर बन गया है कुछ ही भाग है जो सही है और पुराणी धरोहर को दर्शाता है। तालबेहट(Talbehat) के किले में हनुमान मंदिर, नरसिंह मंदिर और अंगद मंदिर देखने को मिलते है। पुराने समय में यहाँ राजा मर्दन सिंह का राज हुआ करता था।

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कैसे जाए और कहा रुकें ??

ललितपुर जाने के लिए वायु, ट्रेन और सड़क की अच्छी सुविधा है।

ललितपुर के पास खुद का कोई हवाई अड्डा नहीं है इस लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा ग्वालियर एयरपोर्ट आ कर टैक्सी, बस या निजी साधन से ललितपुर जाया जा सकता है।

ललितपुर का खुद का रेलवे स्टेशन दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पर भोपाल(Bhopal) और झाँसी (Jhansi) के बीच है जो बड़े-बड़े शहरों से ट्रेन के माध्यम से जुड़ा हुआ है। ललितपुर सड़क मार्ग से देश के बड़े-बड़े

शहरों से जुड़ा हुआ है जहाँ तक जाने की यात्रा बस, टैक्सी या निजी वाहन से की जा सकती है।

यहाँ पर लो-बजट से हाई-बजट दोनों प्रकार के होटल मौजूद है जिसको अपनी सुविधा अनुसार बुक किया जा सकता है।

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