बुंदेलखंड की वीर भूमि के नाम से जाने जाना वाला शहर, महोबा,के बारे में जानिये कुछ ख़ास बातें

बुंदेलखंड की वीर भूमि के नाम से जाने जाना वाला शहर , महोबा,के बारे में जानिये कुछ ख़ास बातें
बुंदेलखंड की वीर भूमि के नाम से जाने जाना वाला शहर , महोबा,के बारे में जानिये कुछ ख़ास बातें

बुंदेलखंड की वीर भूमि के नाम से जाने जाना वाला शहर , महोबा,के बारे में जानिये कुछ ख़ास बातें

प्राचीन काल में बुंदेलखंड(Bundelkhand) की राजधानी रह चूका महोबा बुंदेलखंड (Bundelkhand) की वीर भूमि के नाम से भी मशहूर है। महोबा(Mahoba) को आल्हा ऊदल(Alha Udal) का नगर भी कहते है। इस जिले पर बहुत साल तक चंदेलों का शासन था। 10वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक चंदेल राजपूत राजा(Chandela Rajput King) ने यहाँ की गद्दी संभाली। बुंदेलखंड(Bundelkhand) का महोबा झाँसी(Mahoba Jhansi) से लगभग 140 किमी की दूरी पर है। यहाँ की सांस्कृतिक जड़े खजुराहो से जुडी हुई है।

खजुराहो में चंदेल शासकों द्वारा अनेक शानदार गुफाएं और इमारतें बनाई गई है जिसने यहाँ की सुंदरता को और बढ़ा दिया। चंदेलों को बतौर बहादुर योद्धा और महान शासक जाना जाता है। उन्होंने महोबा में कई सुंदर इमारतें, भवन और धार्मिक स्थान बनवाए थे। महोबा का नाम मिलने से पहले इस जिले को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता था जैसे पटनपुर (Patanpur), केकईपुर(Kekaipur) और रतनपुर(Ratanpur) आदि। महोबा नाम महोत्सव नगर से आया जिसका मतलब ही उत्सवों का शहर है।

इतिहास

चंदेलों के उदय से पहले महोबा को राजपूतों के गहरावार(Ahirwar) और प्रतिहार कबीले (Pratihar clan) द्वारा स्थापित किया गया था। चंदेला के शासन को राजा चंद्र वर्मन(Raja Chandra Varman) ने प्रितहास शासकों से जीता और महोबा को अपनी राजधानी घोषित कर दी। उनके बाद बहुत से चंदेला शासक हुए जिन्होंने यहाँ स्मारकों का निर्माण करवाया।

जैसे विजयपाल(Vijaypal) ने विजयी सागर झील(Vijay Sagar lake) बनवाया, कीर्ति वर्मन (Kirti Varman) ने केरत सागर टैंक(Sagar Tank) और मदन वर्मन(Madan Verman) बनवाए। चंदेलों के शासन काल के सबसे आखिरी और प्रमुख शासक परमानि देव या परमाल थे जिनका नाम उनके दो जनरल "आल्हा" और "उडाला" के वीर कर्मों की वजह से लोकप्रिय हैं।

लेकिन चौहान राजा पृथ्वी राज(Chauhan king Prithviraj) ने आल्हा और उडाला के युद्ध में मौजूद होने के बाद भी महोबा पर कब्ज़ा कर लिया। लगभग 2 शताब्दी के बाद एक उल्लेखनीय चंदेला शासक केरत पाल सिंह ने कालिंजर और महोबा(Kalinjar and Mahoba) की सत्ता अपने कब्ज़े में ले ली। 1545 में शेर शाह सूरी ने कालिंजर(Kalinjar) पर हमला कर दिया जिसका मुकाबला राजा केरत पाल ने बहुत बहादुरी से किया लेकिन शेरशाह के किले पर आखिरी हमले में उनका देहांत हो गया।

चंदेलो के बाद महोबा दिल्ली(Delhi) सल्तनत का हिस्सा बन गया जिस पर दिल्ली सुलतान ने अपने सहयोगियों के ज़रिए शासन किया। मुग़लों के बाद महोबा की राज गद्दी पर मराठाओं का राज रहा। फिर यहाँ की सत्ता अंग्रेज़ों ने अपने हाथ में ले ली। 1857 के विद्रोह में महोबा ने भी भाग लिया और 1947 में आज़ादी के बाद भारत का हिस्सा बन गया।

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पन्ना में घूमने के लिए सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल

घूमने की जगह

उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) का महोबा अपने गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। महोबा का समृद्ध और शानदार इतिहास पर्यटकों के दिल में खास जगह रखता है। यहाँ पर चंदेलो द्वारा बनवाई गई गुफाएं या मुर्तिया और सुंदर महल पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। संस्कृति और वास्तु शैली से समृद्धि महोबा में अनेक दर्शनीय स्थल मौजूद है।

1) बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर:- महोबा जिले में बहुत मान्यता रखने वाला चंद्रिका मंदिर (Chandrika Devi mandir) माता चंडी या चंद्रिका देवी को समर्पित है। मंदिर के अंदर माता चंडी की सुंदर प्रतिमा विराजमान है। इस मंदिर में माता चंडी देवी की प्रतिमा के अलावा बहुत सारे देवी-देवताओं की प्रतिमा भी विराजमान है।

यहाँ पर नौ देवियों की प्रतिमा भी स्थापित है और साथ हो शिव जी की मूर्ति भी है। नवरात्री (Navratri) के समय माता के दर्शन के लिए यहाँ श्रद्धालुओं की बहुत भीड़ होती है। नवरात्री(Navratri) के समय चंद्रिका मंदिर में एक भव्य मेला लगता है जिसे देखने लोग आया करते है। कहा जाता है यह मंदिर 1000 साल पुराना है। मंदिर के गर्भ ग्रह में माता की बहुत सुंदर प्रतिमा स्थापित है जिसमें माँ राक्षसों का वध करते हुए नज़र आतीं हैं।

2) खखरामठ महोबा:- खखरामठ महोबा(Khakhramath Mahoba) का एक ऐतिहासिक स्थान है जो मदन सागर के बीच में बना हुआ है। खखरामठ प्राचीन काल की एक ऐतिहासिक जगह है जिसका अब ज़्यादातर भाग खंडर बन गया है लेकिन फिर भी इसकी खूबसूरती देखने लायक है। इस स्मारक की दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी बानी हुई है और वहाँ तक जाने के लिए पुल भी बना हुआ है।

इस स्मारक का निर्माण 1129 से 1169 के बीच चंदेल राजा मदन वर्मा(Chandela Raja Madan Verma) ने करवाया था। इस स्मारक का निर्माण बतौर मंदिर करवाया गया था। इस मंदिर में गर्भ ग्रह, अंतराल, मंडप और धर्म मंडप देखने को मिलते है। मंदिर के गर्भ ग्रह में विष्णु, लक्ष्मी, गणेश और सूर्य देव की मूर्तियों के अंश मौजूद है।

3) जैन रॉक कट गुफाएं:- महोबा का प्राचीन स्थल जैन रॉक कट(Jain Rock Cut) की गुफाएं जैन धर्म से संबंधित है। यहाँ पर जैन तीर्थकरों की मूर्तियाँ देखने को मिलती हैं। यह मूर्तियाँ बड़े-बड़े चट्टानों को काट कर बनाई गई है जो देखने में बहुत सुंदर लगतीं हैं। यह जगह महोबा के बड़े चंद्रिका मंदिर के पश्चिम में पहाड़ी पर स्थित है।

इस स्मारक का निर्माण 1149 में हुआ था जहाँ खूबसूरत स्तंभ और द्वारपाल व अप्सराओं की मूर्तियां देखने को मिलती हैं। यह स्मारक एक विशाल जैन मंदिर है जहाँ पर एक बड़े से पत्थर में महावीर जी की प्रतिमा बनाई गई है। यहाँ का नज़ारा देखने में बहुत खूबसूरत है।

4) विजय सागर:- महोबा शहर का एक मुख्य पर्यटन स्थल विजय सागर है जहाँ एक बहुत बड़ा जलाशय देखने के लिए मिलते है। यहाँ पर गार्डन भी बना हुआ है जो बहुत अच्छी तरह से मेंटेन किया गया है। इस गार्डन की हरियाली देखने में बहुत सुंदर लगती है।

गार्डन में बहुत सारे झूले भी है जिनका बच्चे लुफ्त उठा सकते है। शाम के समय यहाँ सूर्यास्त का दृश्य मन मोह लेता है। विजय सागर के पास में ही किला देखने को मिलता है। यह किला बीजापुर किले(Bijapur Fort) के नाम से जाना जाता है जो अब खंडर अवस्था में मौजूद है।

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कैसे जाए और कहा रुके??

रेल, वायु और सड़क से महोबा जाने का रास्ता बहुत आसान है।

महोबा का निकटतम हवाई अड्डा(Airport) खजुराहों(Khajuraho) में स्थित है जो यहाँ से लगभग 54 किमी की दूरी पर है। जहाँ से टैक्सी या निजी वाहन से महोबा का सफर किया जा सकता है।

महोबा के पास खुद का रेलवे स्टेशन है महोबा जंक्शन(Mahoba Junction), जहाँ देश के बड़े-बड़े शहरों से ट्रेन आती है।

अगर सड़क मार्ग की बात करें तो महोबा सड़क के रास्ते से भारत के मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है तो निजी वाहन या बस से यात्रा करने में कोई समस्या नहीं होती है।

महोबा में रुकने के लिए लो-बजट से हाई-बजट, दोनों तरह के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार बुक किया जा सकता है।

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