बुंदेलखंड : उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति
बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति

बुंदेलखंड : उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति

भारत के उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) में बटा जेजाकभुक्ति (jejakabhukti) या बुंदेलखंड(Bundelkhand) का इतिहास काफी पुराना है। इस क्षेत्र में भौगोलिक और सांस्कृतिक भिन्नताओं के बावजूद यहाँ की एकता बरक़रार है। बुंदेलखंड (Bundelkhand) का नाम बुंदेल वंश के राज्य के वक्त रखा गया था।

जब से बुंदेल राजपूतों ने चंदेल वंश को युद्ध में हरा कर इस पर राज किया तब से इस जगह को बुंदेलखंड(Bundelkhand) के नाम से जाना जाने लगा। बीसवीं सदी की शुरुआत में महाराज सिंह ने बुंदेलखंड(Bundelkhand) का इतिहास लिखा था जिसमें बुंदेलखंड (Bundelkhand) में आने वाली रियासतों और उनके शासकों की गिनती सबसे महत्वपूर्ण हैं।

बुंदेलखंड(Bundelkhand) में सामाजिक और सांस्कृतिक भिन्नता होने का सबसे बड़ा कारन वहाँ दो हज़ार साल राज करने वाली अलग-अलग जातीय और राजवंश है। शुरुआत में बुंदेलखंड शाबर(Bundelkhand Shabar), कोल(Coal), किरात(Kirat), पुलिन्द (Pulinda) और निषादों(Nishads) का प्रदेश हुआ करता था।

मौर्य, सुंग, कुषाण, नाग, गुप्त, अफगान, मुग़ल, बुंदेला, मराठा और अंग्रेज़ों ने इस पर शासन किया है। बुंदेलखंड तारण पंथ(Bundelkhand Taran Panth) के जन्म स्थान के रूप में भी पुरे देश में मशहूर है।

इतिहास

14वीं शताब्दी में बुंदेला द्वारा स्थापित बुंदेलखंड(Bundelkhand) का इतिहास जितना पुराना है उतना ही महत्वपूर्ण और भिन्न है। बुंदेलखंड(Bundelkhand) से पहले इसका नाम "जुझौति(jujhauti)" और फिर "जेजाकभुक्ति(jejakabhukti)" था जिस पर 14वीं शताब्दी तक चंदेलों ने शासन किया।

20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही राय बहादुर(Rao Bahadur) महाराज सिंह ने बुंदेलखंड(Bundelkhand) का इतिहास लिखा था। बुंदेलखंड(Bundelkhand) के इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण धारणा यह है कि यह चेदि जनपद का हिस्सा था। पौराणिक काल में बुंदेलखंड(Bundelkhand) प्रसिद्ध शासकों के अधीन रहा जिसमें चंद्रवंशी राजाओं का उल्लेख सबसे ज़्यादा है।

बौद्ध काल में शांपक नामक बौद्ध ने बागुढा प्रदेश में भगवान बुद्ध के नाखून और बाल से एक स्तूप का निर्माण कराया था। मरहुत या वरदावती नगर(Marhut or Vardavati Nagar) में इसके अवशेष मौजूद है। बौद्ध कालीन इतिहास में बुंदेलखंड(Bundelkhand) में प्राप्त उस समय के अवशेषों से साफ़ है कि बुंदेलखंड(Bundelkhand) की स्थिति में इस अवधि में कोई लक्षणीय परिवर्तन नहीं हुआ था।

भारत की आज़ादी के पहले संग्राम की ज्वाला मेरठ की छावनी में भड़की थी लेकिन इस लड़ाई से 15 साल पहले ही बुंदेलखंड(Bundelkhand) की धर्म नगरी चित्रकूट(Chitrakoot) में एक क्रांति का आरंभ हो गया था। 1947 में आज़ादी के बाद बुंदेलखडं(Bundelkhand) भी आज़ाद हो गया और अखंड भारत का हिस्सा बन गया।

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति
कस्बा मोठ में हुआ, बुंदेलखंड जन अधिकार यात्रा का भव्य स्वागत।

घूमने की जगह

एक खास भौगोलिक महत्वता रखने वाला बुंदेलखंड(Bundelkhand) अपने परिपूर्ण इतिहास और सांस्कृतिक मान्यताओं के लिए पुरे देश भर में मशहूर है। इतिहास, संस्कृति और परंपराओं का खूबसूरत मेल यहाँ देखने को मिलता है। बुंदेलखंड में घूमने की बहुत सारी जगह है।

1) झाँसी:- पहले स्वतंत्रता संग्राम की नायिका रानी लक्ष्मीबाई(Rani Lakshmi Bai) की कर्म भूमि झाँसी(Jhansi) भारत और बुंदेलखंड(Bundelkhand) के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहाँ घूमने के लिए झाँसी का किला(Jhansi Fort), झाँसी म्यूज़ियम (Jhansi Museum), राजा गंगाधर छतरी(Raja Gangadhar Chhatri) आदि है।

2) दतिया :- पीताम्बरा सिद्धेश्वर पीठ(Pitambara Siddheshwar Peeth) के लिए मशहूर दतिया झाँसी(Jhansi) से लगभग 16 मील की दूरी पर है। "देतवक्त" की राजधानी रह चूका दतिया पहले चारों तरफ से पत्थर की दीवारों से घिरा हुआ था। यहाँ घूमने के लिए पीताम्बरा पीठ, वीर सिंह देव महल(Veer Singh Dev Mahal) और बहुत कुछ मौजूद है।

3) ग्वालियर:- तोमर कछवाहा की राजधानी ग्वालियर(Gwalior) पर सूरज सेन का राज था। यहाँ उन्होंने प्राचीन चिन्ह, किलों और महलों का निर्माण करवाया था। यहाँ घूमने के लिए ग्वालियर का किला(Gwalior Fort), जय विलास पैलेस(Jai Vilas Palace), मान मंदिर (Maan Mandir) और बहुत कुछ मौजूद है।

4) महोबा:- आल्हा ऊदला का नगर कहे जाने वाले महोबा(mahoba) में घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। बड़ी चंद्रिका देवी मंदिर(Chandrika Devi Temple) , खखरामठ (Khakhramath), जैन रॉक गुफाएं(Jain Rock Caves) और बहुत सारे पर्यटन स्थल है जो पर्यटक का ध्यान अपनी तरफ खींचते है।

5) पन्ना:- हीरों के लिए जाना जाने वाला पन्ना पहले राजा छत्रसाल(Raja Chhatrasal) के अधीन हुआ करता था। कहा जाता है यह स्थान सतयुग से ही प्रसिद्ध है। यहाँ राजा दक्ष ने यज्ञ किया था जिसमें कूद कर सती ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। यहाँ घूमने के लिए पांडव गुफा (Pandava Cave)और झरना, पद्मावती देवी मंदिर(Padmavathi Temple) और बहुत सारी जगह है।

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति
मेजर ध्यान चंद स्पोर्ट्स एकेडमी द्वारा आयोजित बुंदेलखंड स्तरीय पुरुष दौड़ प्रतियोगिता

कैसे जाएं और कहा रुके

बुंदेलखंड(Bundelkhand) जाने के लिए हवाई, सड़क और रेल मार्ग की यात्रा आसान है। बुंदेलखंड(Bundelkhand) सड़क के माध्यम से पुरे देश से अच्छे से जुड़ा है। इस लिए यात्रा में कोई परेशानी नहीं है और बस, निजी वाहन या टैक्सी से यात्रा की जा सकती है।

हवाई मार्ग से बुंदेलखं(Bundelkhand)ड जाने के लिए झाँसी एयरपोर्ट, चित्रकूट एयरपोर्ट या दतिया एयरपोर्ट आ कर टैक्सी या निजी वाहन से यात्रा की जा सकती है।

अगर रेल मार्ग से यात्रा करें तो बुंदेलखंड एक्सप्रेस(Bundelkhand Expressway) से बुंदेलखंड(Bundelkhand) पहुँचा जा सकता है। यहाँ रुकने के लिए हर प्रकार के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा अनुसार बुक किया जा सकता है।

बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बटा जेजाकभुक्ति
पन्ना सरदारों द्वारा शासित किया यह नगर, आज अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है

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