पन्ना सरदारों द्वारा शासित किया यह नगर, आज अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है

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पन्ना सरदारों द्वारा शासित किया यह नगर, आज अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है

पन्ना सरदारों द्वारा शासित किया यह नगर, आज अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है

सिंधारी नदी के पास स्थित छतरपुर(Chhatarpur) मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) का एक जिला है जो अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। पन्ना सरदारों द्वारा शासित इस नगर पर 18वीं शताब्दी में कुंवर सोने शाह(Kunwar Sone Shah) का अधिकार हो गया था। यह जिला चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है और वृक्षों, तालाबों व नदियों की वजह से बहुत सुंदर दिखता है।

राव सागर(Rao Sagar), प्रताप सागर(Pratap Sagar) और किशोर सागर(Kishor Sagar) यहाँ के तीन महत्वपूर्ण तालाब है। पहले छतरपुर चारों तरफ से दीवारों से घिरा था। छतरपुर पहले एक राज्य था जो अब एक जिला बन गया है। केन यहाँ की मुख्य नदी है। उर्मल और कुतुरी उसकी सहायक नदियाँ हैं। यहाँ स्कूल और कॉलेज भी मौजूद है।

इतिहास

1785 में छतरपुर(Chhatarpur) की स्थापना हुई थी और इसका नाम बुंदेल राजपूत राजा छत्रसाल(Bundel Rajput Raja Chhatrasal) के नाम पर रखा गया था। बुंदेल शासकों के आखरी राजा छत्रसाल(Raja Chhatrasal) राजपूतों के परवार से छतरपुर (Chhatarpur) हार गए। 1806 में ब्रिटिश सरकार(British Government) ने छतरपुर(Chhatarpur) न लेने का वचन दिया लेकिन 1854 में वारिस न होने की वजह से व्यपगत की सिद्धान्त के तहत छतरपुर अपने कब्ज़े में ले लिया।

1867 से 1932 तक छतरपुर(Chhatarpur) पर विश्वनाथ सिंह(Vishwanath Singh) का शासन था और 1932 से 1947 तक राज गद्दी भवानी सिंह(Raj Gaddi Bhavani Singh) ने संभाली। फिर 1947 में भारत की आज़ादी के बाद यह अखंड भारत का हिस्सा बना और बुंदेलखंड के बाकी हिस्सों के साथ मिल कर विंध्य प्रदेश(Vindhya Pradesh) में शामिल हो गया। 1956 में विंध्य प्रदेश(Vindhya Pradesh) का नाम बदल कर मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) रख दिया गया।

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भारत के इस शहर की न्यू ईयर पार्टी की चर्चा दुनियाभर में होती है, विदेशी भाग-भाग कर आते हैं।

घूमने की जगह

1785 में स्थापित हुआ छतरपुर(Chhatarpur) एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक जड़े रखने वाला मशहूर शहर है। इस जिले में बहुत से मंदिर, महल और मीनारे है। राजा-महाराजा की धरोहर, उनके द्वारा बनवाए गए स्मारक, पर्यटकों को यहाँ आने पर मजबूर करते है। महल और इमारतों के साथ-साथ यहाँ बहुत सारे मंदिर भी है जो अपने आप में बहुत मान्यता रखते है।

1) महाराजा छत्रसाल संग्रहालय:- छतरपुर(Chhatarpur) के मुख्य पर्यटन स्थलों में महाराजा छत्रसाल पुरातत्व संग्रहालय(Maharaja Chhatrasal Museum) की गिनती भी होती है। यह संग्रहालय धुबेला झील(Dhubela Lake) के पास स्थित है। यहाँ पुराने समय की वस्तु देखने को मिलती हैं जो छतरपुर(Chhatarpur) का इतिहास दर्शाती है। इसका उद्घाटन 1955 में पंडित जवाहर लाल नेहरू(Pandit jawaharlal nehru) ने किया था।

इस म्युसियम(Museum) को 8 गैलरी में विभाजित किया गया है जिसमें अलग-अलग प्रकार की प्राचीन वस्तुए देखने को मिलती हैं। छतरपुर(Chhatarpur) के म्यूज़ियम(Museum) में राजा के वस्त्र, पुरानी नक्काशीदार मूर्तियां, शिव लिंग और पुराने हथियार मौजूद है।

इस जिले में मस्तानी महल भी है जिसकी सुंदरता के चर्चे दूर-दूर तक है। इस म्यूज़ियम में जाने के लिए भारतीय पर्यटकों को 20 रुपए और विदेशी पर्यटकों को 200 रुपए की टिकट लेनी होती है। यहाँ पर वीडियो-फोटो के लिए भी पैसे देने होते है।

2) श्री कृष्णा प्रणामी और भीम कुंड मंदिर:- छतरपुर(Chhatarpur) के महेवा में स्थित श्री कृष्णा प्रणामी मंदिर, छतरपुर(Chhatarpur) और आस-पास की जगहों पर बहुत मान्यता रखता है। मंदिर का निर्माण 1729 में महाराजा छत्रसाल(Maharaja Chhatrasal) द्वारा करवाया गया था। इस स्थान पर महाराज छत्रसाल(Maharaja Chhatrasal) के आध्यात्मिक गुरु स्वामी प्राणनाथ ने एक सभा को आयोजित किया था।

13वीं-14वीं शताब्दी का भीम कुंड मंदिर छतरपुर(Chhatarpur) के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यहाँ पत्थर से बानी मुर्गियाँ स्थापित है और इस मंदिर के ठीक सामने एक बावड़ी भी है जहाँ घूमने के लिए लोग जाया करते है।

3) रानेह झरना :- छतरपुर के पास स्थित यह झरना केन नदी के पास है। यह करीब 5 किमी में फैला है और यहाँ बहुत सी चट्टानों की शृंखला देखने को मिलती है। यहाँ का नज़ारा, यहाँ की खूबसूरती को देखने लोग दूर-दूर से आया करते है। यहाँ की सुंदर चट्टानों का रंग ज़्यादातर गुलाबी या लाल होते है जो यहाँ की खूबसूरती को और बढ़ा देता है।

कहा जाता है क्योंकि यह चट्टान ज्वालामुखी विस्फोट(volcanic eruptions) से बानी है इस लिए इसका रंग ऐसा होता है। यह जगह छतरपुर(Chhatarpur) से करीब 50 किमी की दूरी पर है और खजुराहो से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर गाड़ी या टैक्सी से आया जा सकता है।

4) कुटनी और रंगुवान बांध:- छतरपुर(Chhatarpur) में स्थित कुटनी बांध(Kutni Dam) बहुत खूबसूरत जगह है। इस जगह पर झरना भी है जो लोगों का मन मोह लेता है। पर्यटकों की सुविधा के लिए यहाँ मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) सरकार के टूरिज़म विभाग का गेस्ट हाउस भी बना हुआ है।

यह जगह छतरपु(Chhatarpur)र से करीब 50 किमी की दूरी पर स्थित है जिसको गाड़ी या टैक्सी से तय किया जा सकता है। 1957 में रंगुवान बांध(Ranguwan Dam) का निर्माण करवाया गया था। इस बांध को मुख्य तौर पर सिंचाई के उद्देश्य से रंगुवान गांव में बनवाया गया था। यहाँ का दृश्य देखने में बहुत अच्छा लगता है इस लिए यहाँ पर्यटकों की भीड़ रहा करती हैं।

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कैसे जाए और कहा रुके ??

मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल(Bhopal) से यह स्थान करीब 330 किमी की दूरी पर है। भोपाल(Bhopal) से छतरपुर बस, टैक्सी से जाया जा सकता है। छतरपुर, जिला मुख्याल से 55 किमी और बिजावर तहसील से 15 किमी की दूरी पर हैं।

यहाँ बस या टैक्सी से यात्रा की जा सकती हैं। इसके अलावा भोपाल(Bhopal) से खजुराहो विमान से भी पहुँचा जा सकता है जिसके बाद आगे का सफर गाड़ी या टैक्सी से करना होगा। अगर रुकने की बात करें तो यहाँ हर तरह के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा और इच्छा के अनुसार बुक किया जा सकता हैं।

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