चित्रकूट:एक तीर्थस्थल और एक नगर पंचायत

चित्रकूटएक तीर्थस्थल और एक नगर पंचायत
चित्रकूटएक तीर्थस्थल और एक नगर पंचायत

चित्रकूट:एक तीर्थस्थल और एक नगर पंचायत

चित्रकूट भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश का एक जिला है। चित्रकूट धाम इसका मुख्यालय है जो पवित्र मन्दाकिनी नदी के तट पर बसा है। बुंदेलखंड का धार्मिक शहर अपने विभिन्न मंदिरों के लिए पुरे देश में मशहूर है। चित्रकूट में भगवान राम ने वनवास के 11 साल बिताए थे और यही पर राम-भरत मिलाप हुआ था।

चित्रकूट चारों ओर से विंध्य पर्वतमाला और अरण्यों से घिरा हुआ था। यहीं पर ऋषि अत्रि और सती अनुसूया ने ध्यान लगाया था। चित्रकूट ही वह स्थान है जहाँ ब्रह्मा, विष्णु और महेश को अनुसूया ने जन्म दिया था।

चित्रकूट डिवीज़न देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है। चित्रकूट में मुख्य रूप से केन, बेतवा और यमुना नदी बहती है। चित्रकूट मंदाकिनी नदी के किनारे बसा भारत के सबसे प्राचीन तीर्थस्थलों में से एक है। जहाँ रामघाट और कामतानाथ मंदिर स्थित है।

इस जिले से सटा हुआ एक स्थान राजापुर है जिसे कुछ लोग तुलसी दासजी का जन्म स्थान भी बताते है।

इतिहास

ऐतिहासिक दृष्टि से जनपद चित्रकूट का अतीत अत्यंत गौरवशाली और महिमंडित रहा है। चित्रकूट प्राचीन काल में कौशल साम्राज्य का अभिन्न अंग था। पुरातात्विक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा औद्योगिक दृष्टि से चित्रकूट का अपना विशिष्ट स्थान है। वैदिक काल में ही ऋषि अत्रि और सती अनुसूया ने ध्यान लगाया था।

ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने चित्रकूट में ही सती अनुसूया के घर जन्म लिया था। जैन साहित्य में भी चित्रकूट का वर्णन किया गया है। बौद्ध ग्रंथ ललितविस्तर में भी चित्रकूट की पहाड़ी का उल्लेख है। 6 मई, 1997 में उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने इन तहसीलों को बांदा जनपद से अलग कर दिया मतलब कर्वी और मऊ तहसील बांदा जिले से अलग कर दिया गया।

4 सितंबर, 1998 में जिले का नाम बदल कर चित्रकूट कर दिया गया। यह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में फैली उत्तरी विंध्य शृंखला में स्थित है। यहाँ का बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट और मध्य प्रदेश के सतना जनपद में शामिल है। सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास रखने वाले चित्रकूट में अमावस्या के समय यहाँ के विभिन्न क्षेत्रों से लाखों श्रद्धालु एकत्र होते है।

घूमने की जगह

पयस्वनी नदी के तट पर बसा चित्रकूट बहुत ही सुंदर, प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्थान है। यह जगह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सिमा से लगा हुआ है। चित्रकूट ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण स्थल है। चित्रकूट में घूमने की बहुत सारी जगह है।

1) राम घाट:- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित रामघाट को हिन्दू धर्म में एक पवित्र स्थल माना जाता है। कुछ कथाओं से पता चलता है कि भगवन राम, भगवन लक्ष्मण और माँ जानकी अपने निर्वासन के दौरान यहाँ स्नान किया करते थे। अपनी मान्यता और सुंदरता से हज़ारों भक्तों को राम घाट अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह घाट प्रमुख चित्रकूट पर्यटन स्थल में से एक है। भारत की संस्कृति और धार्मिक एकता का रोचक दृश्य कैद करने के इच्छुक फोटोग्राफरों की यहाँ भीड़ लगी रहती है। यहाँ पर नाव भी है जिसकी सवारी कर नदी की सुंदरता और आध्यात्मिकता को अच्छे से देखा और महसूस किया जा सकता है। घाट का सुबह का दृश्य देखने लायक होता है जब स्तुति देने के लिए भक्त गण नदी में खड़े रहते है।

2) गुप्त गोदावरी की गुफाएँ:- गुप्त गोदावरी गुफाएँ हिंदू धर्म में असाधारण स्तर की महत्वता रखता है। इन गुफाओं से सम्बंधित कई मान्यताएं है जिसमें से एक है कि श्री राम ने भाई लक्ष्मण के साथ अपने वनवास के समय यहाँ दरबार लगाया था। गुफा के घरों के प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश की नक्काशी की गई है। यह स्थान तीर्थ यात्रियों द्वारा उनके धार्मिक महत्व के कारण बहुत मशहूर है। गुफाओं के अंदर पानी का दबाव बहुत ज़्यादा है जिससे दर्शन थोड़ा कठिन हो जाता है। लेकिन पानी के बीच से निकल कर दर्शन करना पर्यटकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता है।

3) लक्ष्मण पहाड़ी:- चित्रकूट का धार्मिक स्थल लक्ष्मण पहाड़ी कामदगिरि पहाड़ी के पास ही स्थित है। इस पहाड़ी पर राम, लक्ष्मण और भरत का मंदिर देखने को मिलता है। यहाँ पर पंडित जी भी बैठे होते है। इस पहाड़ी पर खंभे बने हुए है जिसे गले लगाना पड़ता है। कहा जाता है जब भरत जी यहाँ आए थे तब भगवान राम के गले मिले थे इस लिए पर्यटकों और श्रद्धालुओं को इस खंभे को भेदना होता है। चित्रकूट की लक्ष्मण पहाड़ी पर भी रोप वे शुरू हो गया है। दरअसल, लक्ष्मण पहाड़ी पर जाने के लिए तीर्थ यात्रियों को करीब 400 सीढ़ियाँ चढ़कर जाना होता था। रोप से यात्रा का किराया 75 रुपए निर्धारित किया गया है और पांच साल से छोटे बच्चे का 40 रुपए किराया लिया जाएगा। यदि कोई एक तरफ से सफर करना चाहे तो भी 40 रुपए ही किराया लिया जायेगा।

4) हनुमान धारा:- हनुमान धारा पहाड़ी पर स्थित एक झरना है और चित्रकूट के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक है। यह जगह बहुत सारे कारणों से पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। हनुमान धारा पर महत्वपूर्ण मंदिरों का संग्रह स्थित है। यह धारा पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित एक झरना है। पहाड़ के सहारे लगी हनुमान जी की एक विशाल प्रतिमा के ठीक ऊपर दो जल के कुंड है जो हमेशा जल से भरे रहते है। पहाड़ी के ऊपर हनुमान जी की विशाल मूर्ति के ठीक सामने के तालाब में झरने से पानी गिरता है। इस जगह के नाम के पीछे का इतिहास बहुत आकर्षक है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान लंका दहन के बाद जब इस जगह पर लौटे तो गुस्से से काँप रहे थे। उनके क्रोध को रोकना लगभग ना मुमकिन हो रहा था। अंत में भगवान राम ने उनके क्रोध को शांत करने में मदत की जिसके बाद उन्होंने इस जलधारा के निचे स्नान किया।

कैसे जाएं और कहा रुकें??

चित्रकूट जाने के लिए हवाई, रेल और सड़क मार्ग की यात्रा बहुत आसान है।

अगर हवाई मार्ग से जाने की बात करें तो चित्रकूट का सबसे नजदीकी इलाहाबाद हवाई अड्डा है जिसकी दूरी चित्रकूट से मात्र 135 किमी की है।

चित्रकूट से 8 किमी की दूरी पर कर्वी रेलवे स्टेशन है जो चित्रकूट का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन झाँसी-मानिकपुर लाइन पर स्थित है और भारत के सभी मुख्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

अगर सड़क मार्ग से चित्रकूट जाने की बात करें तो चित्रकूट देश के बड़े शहरों से अच्छे से जुड़ा है तो बस या निजी वाहन से चित्रकूट जाने में कोई परेशानी नहीं होती है।

अगर रुकने की बात करें तो चित्रकूट में कई प्रकार के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा के अनुसार बुक किया जा सकता है।

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