
हमारे भारत देश के गांवों को आदर्श बनाने के लिए सबसे पहले हमारे किसानों को शिक्षित करना आवश्यक है। हमारे किसान जब शिक्षित होंगे तभी वह सरकार के द्वारा चलाई जा रही नई-नई योजनाओं और सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। किसान अपनी फसलों का पैदावार बढ़ा सकें और अपने अनाजों का सही मूल्य पा सके इसके लिए सरकार कई तरह की योजनाओं को चला रही है और बहुत सारी योजनाओं को चलाने के लिए विचार कर रही है। जब गांव में सारी मूलभूत सुविधाएं होंगी तभी गांव को आदर्श गांव माना जाएगा। सरकार गांव में मूलभूत सुविधाओं को बहाल करने के लिए सदैव तत्पर है।
'सांसद आदर्श ग्राम योजना' की शुरुआत देश के ग्रामीण क्षेत्रों के आधुनिक विकास के लिए केंद्र सरकार के द्वारा की गई है। देश के ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए सभी सांसदों के द्वारा चयनित एक गांव को योजना के तहत आदर्श ग्राम बनाना है। सरकार के द्वारा गांव के उत्थान के लिए कई प्रकार के योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। गांव के आर्थिक विकास, सामाजिक विकास, व्यक्तिगत विकास व मानव विकास के लिए तथा गांव के परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का प्रयास सरकार के द्वारा किया जा रहा है। सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य गांव और वहां के लोगों में उन सभी मूल्यों को स्थापित करना है जिससे वह अपने जीवन को सुधार कर दूसरों के लिए आदर्श गांव बना सके।
"सांसद आदर्श ग्राम योजना" को भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस पर 11 अक्टूबर, 2014 को शुभारंभ किया गया। हमारे भारत के गांव को समर्पित इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि प्रत्येक सांसद को वर्ष 2019 तक 3 आदर्श गांव बनाने होंगे। अगर ऐसा होता है तो वर्ष 2019 तक लगभग 2,400 गांव का विकास हो जाएगा। ग्रामीण विकास की यह योजना महात्मा गांधी के 'स्वराज' विचार पर आधारित है। महात्मा गांधी का सपना था कि हमारे भारत देश के गांव स्वच्छ रहें और वह विकसित बने।
गांधी जी के इसी सपनों को पूरा करने के लिए सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत सभी सांसदों को एक गांव दी जाती है जिनका विकास करना और अन्य गांव के समक्ष उन्हें आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना होता है। इस योजना के तहत प्रत्येक सांसदों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य के अनुसार हर सांसद को वर्ष 2019 तक 3 गांव तथा वर्ष 2024 तक 5 गांव को विकसित करना है। योजना के तहत पहले आदर्श ग्राम को 2016 तक और दो अन्य गांव को वर्ष 2019 तक विकसित किया जाना था।
यह योजना प्रत्येक गरीब परिवार को गरीबी से निकालने के लिए विशेष प्रयास करेगी। सांसद आदर्श ग्राम योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को बेहतर रोजगार के अवसर मुहैया कराना और बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध करवाना है। इस योजना के तहत सांसद के द्वारा ग्राम का चयन करके उनमें स्वास्थ्य, कृषि, पशुपालन, शिक्षा, रोजगार, साफ-सफाई, पर्यावरण, आजीविका, कुटीर उद्योग आदि क्षेत्रों में विकास पर जोर देना है।
सरकार के द्वारा चलाई जा रही इस सांसद आदर्श ग्राम योजना के मूल रूपों को प्राप्त करने के लिए कुछ मुख्य उद्देश्य इस योजना के हैं। योजना के मुख्य उद्देश्य में शिक्षा सुविधाओं व स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों तक पहुंचाना, वयस्क साक्षरता, ई-साक्षरता के लिए सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना, विद्यालयों में पुस्तकालय, शौचालय और स्मार्ट स्कूलों के रूप में विकसित करने का समर्थन, स्थानीय स्तर पर विकास करना तथा प्रभावी शासन मॉडल उत्पन्न करना जिसके माध्यम से पड़ोसी ग्राम पंचायतों को सीखने और अनुकूलन करने का अवसर और प्रेरणा मिल सके, पूरी आबादी के सभी वर्गों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए कार्य करना, बेहतर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना, मानव विकास को बढ़ावा देना, समृद्ध सामाजिक पहुंच को बढ़ावा देना, अधिकारों तक सुनिश्चित पहुंच प्रदान करना, विषमताओं को कम करना, आजीविका के बेहतर अवसर खोजना, उच्चतर उत्पादन सुनिश्चित करना आदि शामिल हैं।
योजना के तहत अन्य ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित करने के लिए स्थानीय विकास के स्कूलों के रूप में चिन्हित आदर्श गांव का पोषण करना लक्ष्य है। योजना के अंतर्गत लोगों की आकांक्षाओं और स्थानीय क्षमता के अनुरूप व्यापक विकास प्राप्त करने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों और निजी और स्वैच्छिक पहलों को मिलाना उद्देश्य है। वर्तमान योजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से आदर्श ग्राम कहे जाने वाले आदर्श ग्रामों को विकास और स्थानीय संदर्भ में कुछ नई पहलों को डिजाइन किया जाना है, जो हर गांव में भिन्न हो सकते हैं। योजना का उद्देश्य स्थानीय विकास के ऐसे मॉडल को तैयार करना है जिन्हें अन्य गांवों में दोहराया जा सके।
योजना के तहत जिस गांव का चयन आदर्श ग्राम के रूप में होगा वह ग्राम पंचायत बुनियादी इकाई होगी। मैदानी क्षेत्र में इसकी आबादी 3,000-5,000 और पहाड़ी, दुर्गम और आदिवासी इलाकों में इसकी अवधि 1,000-3,000 तक होगी। सांसद अपने क्षेत्र के किसी गांव का आदर्श ग्राम के रूप में चयन कर सकते है, बस सांसद अपने या अपने पति या पत्नी के गांव का चयन आदर्श ग्राम के रूप में नहीं कर सकते है।
लोकसभा सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र के भीतर से एक ग्राम पंचायत का चयन करना होगा जिस राज्य से राज्यसभा सांसद चुना जाता है, उस राज्य के किसी भी जिले के किसी भी ग्राम पंचायत को वह चुन सकता है। एक आदर्श ग्राम को सांसद, ग्राम पंचायत, नागरिक समाज और सरकारी तंत्र के द्वारा विधिवत रूप से सुविधा प्रदान करते हुए तथा उसकी क्षमता और उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए लोगों की साझा दृष्टि से विकसित होना चाहिए। आम गांव को आदर्श गांव में परिवर्तित करने के लिए ग्राम पंचायतों और उनके अंदर लोगों की संस्थाओं को मज़बूत करना होगा। गांव में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना होगा।