
किसी भी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधन, पूंजी निर्माण तथा बाजार के आकार पर निर्भर करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना से लड़ी जा रही जंग और उसमें हो रही परेशानी को देखते हुए आत्मनिर्भर भारत का नारा 2020 में दिया। और 2 मई, 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान का शुभ आरम्भ किया। देश को आत्मनिर्भर बनने के लिए ज़रूरी है कि आयात कम हो और देश में ही सामानों का उत्पादन बढ़ाया जाए। भारत में मैन्युफैक्चर को बढ़ावा देने और वर्क फ़ोर्स को रोज़गार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने कई अलग-अलग सेक्टर में पीएलआई स्कीम यानी प्रोडक्शन लिंक्ड डसेंटिव स्कीम की शुरुआत की है। यह देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने का बेहतरीन अवसर है। राज्यों को भी इस स्कीम का पूरा लाभ लेते हुए अपने यहाँ ज़्यादा निवेश आकर्षित करना चाहिए। पीएम का कहना है कि देश अब विकास का इंतज़ार नहीं कर सकता, मिलकर काम करने से मिलेगी सफलता हमें। पीएलआई योजना के तहत कंपनियों को भारत में अपनी यूनिट लगाने और एक्सपोर्ट करने पर विशेष रियायत के साथ-साथ वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। आने वाले पांच साल में देश में प्रोडक्शन करने वाली कंपनियों को 1.46 लाख करोड़ रूपए का इंसेंटिव देगी। जिससे देश में प्रोडक्ट बनने से भारत का इंपोर्ट पर खर्च घट जाएगा और देश में सामान बनने से रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न हो। इस स्कीम के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में फैक्ट्री लगाने के साथ-साथ घरेलू कंपनियों को प्लांट लगाने में मदत मिलेगी और यह योजना 5 साल के लिए बनाई गई है। इस योजना में कंपनियों को कैश इंसेंटिव मिलेगा और इसका लाभ सभी उभरते सेक्टर जैसे ऑटोमोबाइल नेटवर्किंग उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण, उन्नत रसायन विज्ञान, टेलकॉम, फार्मा और सोलर पीवी निर्माण आदि ले सकते है।
क्या है पीएलआई योजना?
घरेलू मेन्युफैक्टरिंग को बढ़ावा देने और आयात बिलों में कटौती करने के लिए मार्च, 2020 में केंद्र सरकार ने पीएलआई अर्थात प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना को शुरू किया था जिसका उद्देश्य घरेलू इकाइयों में निर्मित उत्पादों की बिक्री में वृद्धि पर कंपनियों को प्रोत्साहन देना है। देश में इस योजना के लिए 13 क्षेत्रों में चुनाव किया गया जिसके तहत सरकार देश में मैन्युफैक्टरिंग कंपनियों को 1.97 लाख करोड़ के अलग-अलग मद में प्रोत्साहन देगी। भारत में विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करने के अलावा इस योजना का उद्देश्य स्थानीय कंपनियों को मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों की स्थापना या विस्तार करने के लिए प्रोत्साहित करना भी है। यह योजना भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करेगा। मोदी सरकार ने पीएलआई स्कीम के तहत ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट को 57,000 करोड़ रूपए, फार्मा एंड ड्रग सेक्टर के लिए 15,000 करोड़ रूपए, टेलीकॉम नेटवर्क एवं इंफ्रास्ट्रक्टर के लिए 12,000 करोड़ रूपए, टेक्सटाइल एंड फ़ूड प्रोडक्ट्स सेक्टर के लिए 10,000 करोड़ रूपए, सोलर फोटोवॉल्टिक सेक्टर के लिए 4,500 करोड़ रूपए और टेक्सटाइल सेक्टर के लिए 6,300 करोड़ रूपए देने की घोषणा की है।
योजना की विशेषता
पीएलआई का मुख्य ध्यान ऑटोमोबाइल, फ़ूड प्रोसेसिंग, फॉर्म, एडवांस्ड केमिस्ट्री और सोलर एनेग्री क्षेत्रों में होगा। इस योजना के अंतर्गत आने वाले 5 से 7 सालों में मोदी सरकार ने 1.46 लाख रूपए खर्च करने की घोषणा की है। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना भारत में घरेलू उत्पादक क्षमता को बढ़ावा देने और विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से लागू किया गया। बजट में पीएलआई स्कीम से जुडी योजनाओं के लिए करीब 2 लाख करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। प्रोडक्शन का औसतन 5% इंसेंटिव के रूप में दिया गया है यानि सिर्फ पीएलआई स्कीम के द्वारा आने वाले 5 सालों में लगभग 520 बिलियन डॉलर का प्रोडक्शन भारत में होने का अनुमान है। इसके अलावा जिस-जिस सेक्टर के लिए पीएलआई योजना बनाई गई है उन सेक्टरों में अभी जितने वर्क फ़ोर्स काम कर रहे है वह लगभग दोगुनी हो जाएगी। इस लिए यह योजना रोज़गार निर्माण को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। भारत में मैन्फैयूक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इस स्कीम में बैटरी बनाने के लिए 18,100 करोड़ रूपए का प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव दिया जाएगा। तो वही इलेक्ट्रॉनिक और टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट के लिए 5,000 करोड़ रूपए, स्पेशयलटी स्टील के लिए 6,000 करोड़ रूपए का पीएलआई में प्रावधान है।
कैसे हो रहा फायदा?
पीएलआई योजना भारत में इकाइयों को स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को आमंत्रित करेगी। हमारी दवाइयां, वैक्सीन, गाड़ियां फोन आदि हमारे देश में ही बने इसकी दिशा में पीएलआई स्कीम बड़ा कदम माना जा रहा है। मार्च में पीएम मोदी ने पीएलआई स्कीम के बारे में बताते हुए कहा था कि पिछले साल मोबाइल फ़ोन और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स निर्माण के लिए पीएलआई स्कीम लॉन्च किया गया था। कोरोना काल के दौरान भी इस सेक्टर में बीते साल 35 हज़ार करोड़ रूपए का प्रोडक्शन हुआ। यही नहीं कोरोना के दौर में भी इस सेक्टर में करीब-करीब 1,300 करोड़ रूपए का नया इंवेस्ट आया हुआ है। इससे हज़ारों नए जॉब्स इस सेक्टर में तैयार हुए है। सरकार मेड इन इंडिया के जरिए प्रोडक्शन को बढ़ाने पर ज़ोर दे रही है। इससे ना सिर्फ सामान देश में बन कर मिलेगा बल्कि रोज़गार भी बढ़ेगा। हाल ही में सरकार टेक्निकल और मैन मेड फाइबर के आयात को कम करने के लिए भारत में ही इन फाइबर के प्रोडक्शन के लिए टेक्सटाइल क्षेत्र में पीएलआई स्कीम ले कर आई है। खास बात यह है कि पीएलआई स्कीम के कई क्षेत्र ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों पर फोकस कर रहे है। टेक्सटाइल और फ़ूड प्रोसेसिंग का क्षेत्र ऐसा ही है। सरकार ने पीएलआई योजना के लिए चैंपियन ओईएम प्रोत्साहन योजना और कॉम्पोनेन्ट चैंपियन प्रोत्साहन योजना के तहत ऑटो और ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं, दोनों के लिए 42,500 करोड़ रूपए के निवेश अनुमान का लक्ष्य रखा था। सरकार ने कहा कि उसने घटक चैंपियन प्रोत्साहन योजना के तहत आवेदकों से 29,834 करोड़ रूपए के प्रस्तावित निवेश को मंज़ूरी दी है जो इसके 25,938 करोड़ रूपए के लक्ष्य से ज़्यादा है।