क्या है फेम इंडिया मिशन? जानिए योजना से जुडी सारी जानकारी!

केंद्र सरकार के द्वारा "फेम इंडिया स्कीम" को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था
क्या है फेम इंडिया मिशन? जानिए योजना से जुडी सारी जानकारी!
क्या है फेम इंडिया मिशन? जानिए योजना से जुडी सारी जानकारी!

पर्यावरण प्रदूषण हमारे लिए आज सबसे बड़ा संकट है। अभी के समय में धरती के लिए सबसे बड़ा खतरा बढ़ता हुआ प्रदूषण है। हमारे द्वारा जहरीले गैसों को वातावरण में छोड़ना पर्यावरण को प्रदूषित करने का सबसे बड़ा कारण है। यदि हम समय रहते पर्यावरण प्रदूषण को लेकर सचेत नहीं हुए तो पृथ्वी पर हमारा रहना मुश्किल हो जाएगा। यह प्रदूषण केवल मानव जीवन के लिए ही खतरा नहीं है बल्कि सभी जीव-जंतु एवं समस्त सृष्टि के लिए संकट बन गया है। हमारे द्वारा की जा रही प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमें ही बुरी तरह से प्रभावित कर रही है। भारत सरकार भी बढ़ते हुए प्रदूषण को कम करने के लिए कई प्रकार से प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों को कम करने और इससे होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए 'फेम इंडिया योजना' को शुरू किया है। योजना के माध्यम से भारत में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। देश में पेट्रोल डीजल के दाम में हो रही लगातार बढ़ोतरी देशवासियों के लिए चिंता का विषय है। पेट्रोल-डीजल से प्रदूषण भी बढ़ रहा है इन दो कारणों से आम लोगों का आकर्षण इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर हो रहा है। सरकार भी चाहती है कि लोगों का इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर झुकाव हो। योजना के तहत इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। योजना को 2015 में इसी उद्देश्य के साथ शुरू किया गया था। देश के प्रमुख राज्यों में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या को बढ़ाकर प्रदूषण को कम किया जाए इस उद्देश्य से सरकार योजना में बजट का बड़ा हिस्सा खर्च कर रही है।

क्या है योजना?

केंद्र सरकार के द्वारा "फेम इंडिया स्कीम" को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इस योजना का पूरा नाम ‘Faster adoption and manufacturing of hybrid & electric vehicles in India mission' है। इस योजना को दो चरण में बांटा गया है। पहला चरण समाप्त हो गया है और दूसरा चरण चल रहा है। पहला चरण 2015-17 तक चला। दूसरे चरण की शुरुआत 2019 में की गई थी जो 2022 तक चलेगी। केंद्र सरकार ने योजना के तहत राज्यों को इलेक्ट्रिक बसे दी हैं। दूसरे चरण की योजना में कुल 10,000 करोड़ रुपए की लागत आएगी। योजना के तहत गोवा, गुजरात, चंडीगढ़ और महाराष्ट्र में 670 इलेक्ट्रिक बसों को चलाया गया है, और मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पोर्ट ब्लेयर जैसे राज्यों में 241 चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की गई है। इस योजना के दूसरे चरण के अंतर्गत संपूर्ण भारत में इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल को बढ़ावा दिया जाएगा। इस योजना के द्वारा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को नियंत्रित किया जाएगा। सरकार के द्वारा चिन्हित किए गए राज्यों में हैवी ट्रांसपोर्टेशन के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग पॉइन्ट बनाने की मंजूरी मिल गई है। फेम इंडिया योजना के पहले चरण में लगभग 28,0987 हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को मांग प्रोत्साहन के माध्यम से लगभग 359 करोड़ रुपए की सहायता मिली थी। 280 करोड़ रुपए की लागत से 425 इलेक्ट्रिक बसों को डीएचआई के द्वारा विभिन्न शहरों में शुरू किया गया है। योजना के पहले चरण में बेंगलुरु, जयपुर, चंडीगढ़, दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में 45 करोड़ रुपए खर्च करके 420 चार्जिंग स्टेशन की स्थापना की गई है।

योजना का लाभ उद्देश्य

फेम इंडिया स्कीम का मुख्य उद्देश्य देश की जनता को इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध करवाना है। जिसके तहत प्रदूषण के स्तर में कमी होगी और पर्यावरण को साफ और स्वच्छ रखा जाएगा। डीजल और पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों में कमी आएगी और इनके द्वारा होने वाले प्रदूषण में सुधार होगा। योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग बढ़ने से पर्यावरण को लाभ होगा जिससे हमारा जीवन बेहतर बनेगा। योजना को सफल बनाने के लिए योजना के तहत देश के विभिन्न शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन की स्थापना बड़े पैमाने पर की जा रही है। यह स्कीम नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को चार्जिंग बुनियादी संरचना के साथ जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी। स्कीम चार्जिंग स्टेशन की स्थापना के लिए निवेश भी करेगा। योजना के तहत डीजल-पेट्रोल पर होने वाले खर्चे को भी नियंत्रित किया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित भी किया जाएगा। डीजल-पेट्रोल के बजाय बिजली के वाहनों और बिजली के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत में कमी लोगों को ज्यादा आकर्षित करेगी और 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहन राष्ट्र बनाने की सरकार के उद्देश्य को मजबूत करेगी। यह योजना 2 पहिया, पैसेंजर चार पहिया, तीन पहिया ऑटो, लाइट कमर्शियल व्हीकल और बसों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इस योजना में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजी जैसे प्लग इन हाइब्रिड, माइल्ड हाइब्रिड, बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन और स्ट्रांग हाइब्रिड शामिल किए गए हैं। योजना के तहत वर्ष 2022 तक देश भर में लगभग 60 लाख हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़क पर चलाने का लक्ष्य है। इससे लगभग 62 हजार करोड रुपए के 950 करोड़ लीटर डीजल और पेट्रोल की खपत में कमी आएगी। इस योजना के तहत चार क्षेत्रों पर अधिक फोकस किया गया है जैसे चार्जिंग बुनियादी ढांचा, पायलट प्रोजेक्ट, प्रौद्योगिक विकास और मांग निर्माण।

योजना से जुड़ी बातें

पहले इलेक्ट्रिक दोपहिया पर मिलने वाली सब्सिडी की दर 10,000 रुपए प्रति kWh थी। अब इसे बढ़ाकर 15,000 रुपए प्रति kWh कर दिया गया है। यह लगभग वाहन के लागत का 40% है। केंद्र सरकार बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक बसों और तीन पहिया वाहनों की खरीद करेगी। ई.ई.एस.एल को तीन लाख इलेक्ट्रिक रिक्शा खरीदने का निर्देश दिया गया है, और इसे 9 प्रमुख शहरों कोलकाता, हैदराबाद, सुरत, पुणे, चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली और बैंगलोर में इलेक्ट्रिक बसों के मांगो को पूरा करने के लिए कहा गया है। दूसरे चरण की योजना के तहत गोवा को 100 बस, महाराष्ट्र को 240 बस, गुजरात को 250 बस और चंडीगढ को 80 बस दी जाएगी। दूसरे चरण की योजना के तरफ सूरत में 50 चार्जिंग स्टेशन, मालापुरम में 28, कोलम में 25, तिरुवनंतपुरम में 27, पोर्ट ब्लेयर में 10, तिरुचिरापल्ली में 25 और इंदौर में 76 चार्जिंग स्टेशन बनाने का लक्ष्य है। अक्टूबर 2020 के अंत तक बेस्ट के पास 3,875 बस थी जिनमें 38 बसें इलेक्ट्रिक थी। पहली 6 बसों को सरकार ने 2017 में खरीदा था जबकि बाकि 32 बसों को फेम इंडिया योजना के तहत पट्टे पर लिया गया था। इस योजना के तहत 16 राजमार्ग और 9 एक्सप्रेस-वे पर 1,576 इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन को मंजूरी मिली है। ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार हाईवे के दोनों किनारों पर हर 25 किलोमीटर पर एक चार्जिंग स्टेशन होना चाहिए।

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