Ethanol Blended Petrol (EBP) Programme

भारत ने तय समय से पांच महीने पहले पेट्रोल में 10% एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया
Ethanol Blended Petrol (EBP) Programme
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भारत ने तय समय से पांच महीने पहले पेट्रोल(Petrol) में 10% एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है। कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए 2025-26 तक इस आंकड़ों को दोगुना करने का लक्ष्य है। गन्ने और अन्य कृषि जिस से निकाले गए एथेनॉल को पेट्रोल में 10% मिलाने का लक्ष्य नवंबर, 2022 का था लेकिन इसे जून में ही हासिल कर लिया गया।

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन IOC(Indian Oil Corporation), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड BPCL और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड HPCL के ज़ोरदार प्रयासों के चलते ऐसा हो सका।

बजट में 1 अक्टूबर, 2022 से अन-ब्लेंडेड फ्यूल(Un-Blended Fuel) पर 2 रूपए प्रति लीटर की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगाने की घोषणा से फ्यूल कीमतों में बढ़ोतरी और उस अतिरिक्त बोझ को सहन करने वाले पर बहस शुरू हो गई है।

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पूरी ने 6 जून को कहा कि देश के कुछ पेट्रोल पम्प अप्रैल, 2023 के लक्ष्य से पहले 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल बेचने में सक्षम हो सकते है।

भारत में 2014 में एथेनॉल(Ethanol) मिश्रण का स्तर 2.33 फीसदी थी। सरकार द्वारा पिछले 8 साल में किए गए प्रयासों के साथ मौजूदा एथेनॉल सप्लाई ईयर [ESY] में ब्लैंडिंग के लिए एथेनॉल की उपलब्धता बढ़ाकर 450 करोड़ लीटर होने का अनुमान है जो 2014 में 67 करोड़ लीटर थी।

भारत में पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण का स्तर 9.99% तक पहुंचा गया है। यह प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है जो प्राकृतिक रूप से खमीर अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा के किण्वन द्वारा उत्पन्न होता है।

क्या है एथेनॉल सम्मिश्रण?

सरकार ने "एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम"(Ethanol Blending Program) के तहत साल 2020 तक पेट्रोल में 10% बायो एथेनॉल सम्मिश्रण(Bio Ethanol Blending) का लक्ष्य रखा है। जिसे साल 2030 तक बढ़ाकर 20% तक करना है। "एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम" को "राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति" 2018 के अनुरूप लांच किया गया था।

वर्तमान में पेट्रोल में बायों एथेनॉल का सम्मिश्रण लगभग 5% है। एक एथेनॉल मिश्रण को मिश्रित मोटर ईंधन के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें एथिल अल्कोहल होता है और जो कम से कम 99% शुद्ध होता है और कृषि उत्पादों से प्राप्त होता है और विशेष रूप से पेट्रोल(Petrol) के साथ मिश्रित होता है।

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"लीडर्स ऑफ़ क्लाइमेट मैनेजमेंट(Leaders of Climate Management)" प्रोग्राम बोलते हुए पूरी ने कहा कि सरकार की सभी योजनाओं में हरित ऊर्जा पर खास ज़ोर दिया जाता है। उन्होंने कहा 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य पहले ही हासिल हो चूका है या 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हम 2025 तक हासिल करने जा रहे हैं।

जिसके लिए 2030 का लक्ष्य तय किया गया था। अगर तेल विपणन कंपनियां अपने द्वारा अनुबंधित एथेनॉल(Ethanol) को उठती हैं तो नवंबर, 2021 तक भारत औसतन 8% तक पहुँच जाएगा। अब तक भारत में पेट्रोल के साथ सबसे अच्छा एथेनॉल मिश्रण 2% था।

प्रोग्राम का महत्त्व और लाभ

एथेनॉल को गैसोलीन(Gasolines) में मिलाकर यह कार चलाने के लिए आवश्यक पेट्रोल की मात्रा को कम कर सकता है जिससे आयातित महंगे और प्रदूषणकारी पेट्रोलियम(Polluting Petroleum) पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।

आज भारत अपनी ज़रूरत के 85 फीसदी तेल आयात करता है। भारत का शुद्ध पेट्रोलियम आयात 2020-21 में 185 मिलियन टन था जिसकी लागत 551 बिलियन अमेरिकी डॉलर(American Dollar) थी। अधिकांश पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग परिवहन में किया जाता है और E20 कार्यक्रम देश के लिए सालाना 4 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचा सकता है।

एथेनॉल कम प्रदूषणकारी ईंधन है और पेट्रोल की तुलना में कम लागत पर समान दक्षता प्रदान करता है।

अधिक कृषि योग्य भूमि की उपलब्धता, खाद्यान्न और गन्ने के बढ़ते उत्पादन के कारण अधिशेष संयंत्र-आधारित स्रोतों से एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए प्रौद्योगिकी की उपलब्धता तथा एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल [EBP] के अनुरूप वाहनों को बनाने की व्यवहार्यता रोडमैप में उपयोग किए जाने वाले कुछ सहायक कारक है।

E20 लक्ष्य "न केवल एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है, बल्कि इसे एक महत्वपूर्ण रणनीति आवश्यकता" के रूप में संदर्भित किया गया है। हम आमतौर पर जिन ऑटो ईंधन का उपयोग करते हैं वह मुख्य रूप से जीवाश्म करण की धीमी भूवैज्ञानिक प्रक्रिया से प्राप्त होते हैं और यही वजह है कि उन्हें जीवाश्म ईंधन के रूप में भी जाना जाता है।

एथेनॉल एक जैव ईंधन है अर्थात यह मुख्य रूप से कार्बनिक पदार्थों के प्रसंस्करण से प्राप्त होता है। भारत में एथेनॉल बड़े पैमाने पर गन्ने से किण्वन प्रक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग या Department of Food and Public Distribution-DFPD देश में ईंधन ग्रेड एथेनॉल (Fuel Grade Ethanol) उत्पादक भट्टियों को बढ़ावा देने के लिए एक नोडल विभाग है।

सरकार ने गन्ना आधारित कच्चे माल से एथेनॉल उत्पादन या खरीद की अनुमति दी है जैसे सी.एंड.बी भारी गुड़, गन्ने का रस चीनी की चाशनी, भारतीय खाद्य निगम [FCI] और मक्का के साथ अधिशेष चावल। एथेनॉल की सप्लाई पर उठाए गए क़दमों की वजह से सरकार ने देश में पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को 2030 से 2025-26 कर दिया है।

सरकार ने सेकेंड जनरेशन [2G] एथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जीवन योजना को भी नोटिफाई किया था। इसके लिए सरकार ने देश में वित्तीय समर्थन उपलब्ध कराया था।

सरकार ने पिछले महीने पेट्रोल में मिलाने के लिए गन्ने से निकाले एथेनॉल की कीमतों को 1.47 रूपए प्रति लीटर तक बढ़ा दिया था। कीमतें दिसंबर से शुरू हो रहे 2021-22 मार्केटिंग ईंयर(Marketing Year) के लिए बधाई गई है।

सरकार का कहना है कि पेट्रोल में एथेनॉल ज़्यादा मिलाने से तेल आयात का बिल कम होगा और इससे गन्ने के किसानों के साथ शुगर मिल को भी फायदा मिलेगा। बायोएथेनॉल(Bioethanol) की कीमत तय की जाएगी।

बायोएथेनॉल न केवल ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है बल्कि 2020 तक किसानों की आय को दोगुना करने तथा कृषि अपशिष्ट के व्यवसायी करण द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने में मदत भी करेगा।

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