
कोरोना महामारी ने दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्थाओं को बहुत नुकसान पहुंचाया है। भारत में भी छोटे कारोबारियों से ले कर बड़े कारोबारियों तक लाखों लोग आर्थिक रूप से परेशान हो गए है।
इस पर काबू पाने के लिए और आर्थिक तंगी में लोगों की सहायता करने के लिए केंद्र सरकार ने अलग-अलग क्षेत्रों में योजनाओं को शुरू किया है और लोगों की मदत की है। इन योजनाओं में से एक है PM FME – Formalization of Micro Food Processing Enterprises स्कीम जो नागरिकों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
इस योजना के माध्यम से 9 लाख या उससे ज़्यादा स्किल्ड या सेमि-स्किल्स नौकरी नागरिकों के लिए उतपन होगी और इसके माध्यम से 8 लाख से ज़्यादा यूनिट्स को फायदा होगा। इस योजना के तहत नागरिक आलू, लीची, टमाटर, पेठा, पापड़, आचार, मछली, पोल्ट्री फार्म, पशुचारा जैसे क्षेत्रों में काम कर सकते है या जो खुद का रोज़गार चलाना चाहते है उन्हें सरकार से आर्थिक सहायता भी मिलेगी।
इस योजना के अंतर्गत 25 लाख यूनिट्स आते है जो अपंजीकृत और अन-ऑफिसिअल है। इन यूनिट्स में से 66% यूनिट्स गांव में रहने वाले नागरिकों द्वारा चलाई जा रही है। इस योजना में 2020-21 से 2024-25 यानी 5 साल तक 10,000 करोड़ रूपए का खर्चा किये जाएंगे जिसमें से 60% खर्च केंद्र सरकार और 40% खर्च सभी राज्य सरकार देगी।
2020 में केंद्र सरकार ने पीएम एफएमई योजना का शुभ आरम्भ किया जिसके तहत किसान उत्पादक समूह, स्वयं सहायता ग्रुप और उत्पादक सहकारिताओं की पूरी श्रृंखला को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना से मिलने वाली वित्तीय मदत का सारा ज़िम्मा केंद्र सरकार ने लिया है।
इस योजना के तहत जो नागरिक अपने यूनिट की उन्नति करना चाहते है वह अपनी लागत का 35% हिस्सा क्रेडिट लिंक सब्सिडी के रूप में प्राप्त कर सकते है। क्रेडिट के रूप में सब्सिडी प्राप्त करने की अधिकतम सिमा 10 लाख प्रति यूनिट रखी गई है।
35% का क्रेडिट लिंक सब्सिडी नागरिक सामान्य प्रोसेसिंग सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग, इन्क्यूबेशन सेंटर, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों के विकास के लिए लिया जा सकता है। और अगर आप सेल्फ हेल्प ग्रुप को चलाना चाहते है तो सरकार से 40,000 रूपए की वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते है।
सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में सीधा भेज दिया जाएगा जिसके लिए आवेदकों का खुद का बैंक खाता होना और उसका आधार कार्ड से लिंक होना अनिवार्य है। इस योजना के तहत "एक जिला एक उत्पाद" स्कीम का भी सुबह आरम्भ किया गया।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग योजना के तहत क्षमता निर्माण चटक के अंतर्गत मास्टर ट्रेनरों को ऑनलाइन मोड, क्लास रूम लेक्चर, प्रदर्शन और ऑनलाइन पाठ्य सामग्री के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। क्षमता निर्माण के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण का मूल्यांकन और प्रमाणन, खाद्य उद्योग क्षमता और कौशल पहल द्वारा किया जाएगा।
इस योजना में प्रशिक्षण एवं सहयोग से छोटे खाद्य उद्यमियों को स्थापित होने में सहायता मिलेगी और यह आत्मनिर्भर भारत की ओर एक सशक्त कदम साबित होगा। और फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के असंगठित यूनिट में मौजूद जितने भी छोटे उद्योग है उनकी क्षमता को और बढ़ावा मिलेगा और इंडस्ट्री के फोर्मलाईज़ेशन को प्रोत्साहन मिलेगी।
इस योजना के तहत महिला उद्यमी पर बहुत ध्यान दिया गया है। योजना में किसान उत्पादक समूह, स्वयं सहायता ग्रुप और उत्पादक सहकारिताओं की पूरी चैन को सहायता प्रदान की जाएगी। आवेदक को पोर्टल पर पंजीकरण करना आवश्यक है तभी वह इस योजना से मिलने वाले लाभ प्राप्त कर सकते है।
इस योजना की विशेषताओं में से एक है देश में मौजूद छोटी फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को वित्तीय सहायता प्रदान करना और उन्हें आगे बढ़ने में मदत करना। योजना के तहत औपचारिक फेमवर में मौजूदा 2 लाख उद्यमों के संक्रमण के लिए समर्थन किया जाएगा।
इस योजना के तहत सामान्य प्रोसेसिंग सुविधा, प्रयोगशाला, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग, इंकुबेशन सेंटर को और अधिक बढ़ावा देना है। संस्थानों को मज़बूत करना, खाद्य प्रसंस्करण में अनुसंधान केंद्र में प्रशिक्षण देना इस योजना का उद्देश्य है। सूक्ष्म खाद्य उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए क्षमता संवर्धन भी बहुत आवश्यक है। छोटे उद्यमियों के प्रोत्साहन में यह कदम एक सराहनीय पहल सिद्ध होगा।
इस योजना से जुड़ने के कुछ मापदंड है जिसको सरकार ने निर्धारित किया है। पात्रता के अनुसार योजना का लाभ केवल वह नागरिक ले सकते है जो फ़ूड प्रोसेसिंग क्षेत्र से जुड़े हुए है। योजना के तहत मिलने वाले सीड फंड की राशि का इस्तेमाल छोटे औज़ार और कार्यशील पूंजी के लिए किया जाएगा और फ़ूड प्रोसेसिंग गतिविधि के लिए सेल्फ हेल्प ग्रुप को भी शामिल किया जाएगा।
सीड फंड तभी स्वयं सहायता समूह को दिया जाएगा जब उनके प्रत्येक सदस्य कच्चे माल का स्त्रोत, सालाना टर्नओवर, कितना उत्पादन संसाधित किया गया जैसी जानकारियां प्रदान न कर दें। अगर SHG की महिलाओं की बात करें तो उन्हें फ़ूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में 3 साल का एक्सपीरिएंस होना ज़रूरी है और स्वयं सहायता समूह को 10% प्रोजेक्ट कॉस्ट और 20% मार्जिन राशि अपने पास रखना होगा तभी इस योजना से जुड़ने की योग्यता पर खरा उतर पाएंगे।
इस योजना से जुड़ने के लिए आव्यश्यक दस्तावेज़ों में आधार कार्ड, बैंक अकाउंट नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, मुलिवास प्रमाणपत्र, बैंक पासबुक, रजिस्टर्ड मोबाईल नंबर, निगमन प्रमाणपत्र, आयु प्रमाणपत्र शामिल है।
ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन के लिए आवेदक को सबसे पहले खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और होम पेज से PMFME योजना की वेबसाइट पर क्लिक करना होगा जिसके बाद PMFME की ऑफिसियल वेबसाइट खुल जाएगी। जहाँ पंजीकरण फॉर्म मिलेगा जिसमें लाभार्थी का प्रकार, नाम, ई-मेल, मोबाइल नंबर, राज्य, डिस्ट्रिक्ट, एड्रेस आदि भर कर जमा करना होगा जिसके आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।