क्या है स्टार्ट-अप इंडिया योजना और कैसे उठा सकते है इसका फायदा?

देश के नागरिकों के बीच उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा
क्या है स्टार्ट-अप इंडिया योजना और कैसे उठा सकते है इसका फायदा?
क्या है स्टार्ट-अप इंडिया योजना और कैसे उठा सकते है इसका फायदा?

देश के नागरिकों के बीच उद्यमशीलता(entrepreneurship) की भावना को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्टार्ट-अप इंडिया योजना(Start-up India Scheme) की शुरुआत की गयी है। इस योजना के अंतर्गत रोज़गार और उद्योग के लिए फंडिंग(Funding) सहायता, मार्गदर्शन और उद्योग भागीदारी के अवसर प्रदान करके भारत में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना है।

स्टार्ट-अप इंडिया पहल शुरू करने का मतलब इसके माध्यम से बेरोज़गारों के बीच रोज़गार पैदा करना भी है। रजिस्ट्रेशन(Registration) में सरकार द्वारा शामिल कदम स्टार्ट-अप के लिए अतिरिक्त लाभों के साथ सरकार की योजना पर भरोसा करना और उन्हें सुविधाजनक बनाना है।

स्टार्ट-अप इंडिया योजना का उद्देश्य देश में नवाचार और स्टार्ट-अप के पोषण के लिए एक मज़बूत इको-सिस्टम(eco-system) का निर्माण करना है जो स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। ताकि भारतीय स्टार्ट-अप अपने पंखों को दूर-दूर तक फैला सकें।

स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में सभी हित धारकों के लिए एक प्लेटफार्म उपलब्ध कराना है और एक दूसरे से बातचीत करने या ज्ञान का आदान-प्रदान करने और अत्यधिक गतिशील वातावरण में एक दूसरे के साथ भागीदारी बनाने के लिए मंच प्रदान करना है।

स्टार्ट-अप इंडिया मिशन का लक्ष्य देश के युवाओं को इतना सशक्त बनाना है जिससे वह नौकरी खोजने की जगह नौकरी देने योग्य बन सके। साल 2016 तक भरता में लगभग 500 स्टार्ट-अप्स थे।

लेकिन अब भारत में 50,000 से ज़्यादा स्टार्ट-अप्स है। इस योजना के तहत श्रम कानूनों के संबंध में तीन साल के लिए स्टार्ट-अप(Start-Up) पर कोई निरीक्षण नहीं किया जाएगा। इसके अलावा पर्यावरण कानून अनुपालन में केवल पोस्ट-आत्म प्रमाणीकरण(Post-Self-Authentication) की आवश्यकता है।

क्या है स्टार्ट-अप योजना?

स्टार्ट-अप इंडिया भारत सरकार की एक पहल है। अभियान की घोषणा भारत के प्रधानमंत्री(Prime Minister) ने लाल किले(Red Fort) से 15 अगस्त, 2015 को की थी। इस स्कीम के तहत ना सिर्फ युवा उद्यमी तैयार हो रहे है बल्कि वह युवाओं को रोज़गार भी दे रहे है। इसके लिए 10,000 करोड़ का कोष स्थापित किया गया है।

इसके तहत 3 साल तक टैक्स छूट है और पहले 3 साल के दौरान कोई जांच नहीं होती है। भारत इस वक्त दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम है। यह 73.2 अरब अमेरिकी डॉलर(billion us dollars) के 21 यूनिकॉर्न(unicorn) है। प्रधानमंत्री मोदी(Prime Minister Modi) ने बताया कि साल 2022 तक 50 से अधिक स्टार्ट-अप यूनिकॉर्न क्लब(Start-up Unicorn Club) में शामिल हो सकते है।

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यूनिकॉर्न ऐसी स्टार्ट-अप कंपनियों को कहते है जिनकी कीमत एक अरब डॉलर(Billion) से ज़्यादा होती है। रजिस्ट्रेशन(Registration) में सरकार द्वारा शामिल कदम स्टार्ट-अप्स के लिए और ज़्यादा लाभों के साथ सरकार की योजना पर भरोसा करना और उन्हें सुविधाजनक बनाना है।

स्टार्ट-अप इंडिया योजना का उद्देश्य देश में नवाचार और स्टार्ट-अप के पोषण के लिए एक मज़बूत इकोसिस्टम का निर्माण करना है जो स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। भारतीय स्टार्ट-अप अपने पंखों को दूर-दूर तक फैला रहे हैं।

स्टार्ट-अप इंडिया योजना शुरू तो हुआ था टियर-1(Tear-1) शहरों से लेकिन टियर-2(Tear-2) और टियर-3(Tear-3) शहरों तक पहुंचने तक यह युवाओं में आत्मविश्वास जगाने में कामयाब रही है।

स्टार्ट-अप इंडिया स्कीम की विशेषता

स्टार्ट-अप इकोसिस्टम(Start-up Ecosystem) में सभी हित धारकों के लिए एक प्लेटफॉर्म(Platform) उपलब्ध कराना है जो एक दूसरे से बातचीत करने, ज्ञान का आदान-प्रदान करने और अत्यधिक गतिशील वातावरण में एक दूसरे के साथ भागीदारी बनाने के लिए एक मंच प्रदान करना है।

इंटेलेक्चुअल एप्लिकेशन(intellectual application) दाखिल करने में स्टार्टअप्स को कम लागत वाली क़ानूनी सहायता प्रदान करना और उसकी प्रक्रिया को तेज़ करना आता है। पेटेंट और डिजाइन एप्लीकेशन(Patent and Design Applications) से संबंधित 423 सहायक का एक पैनल और ट्रेडमार्क एप्लीकेशन(Panel and Trademark Applications) के लिए 596 लोगों के सहायक का एक पैनल गठित किया गया है।

अब तक 179 आवेदनों को मुफ्त क़ानूनी सहायता के साथ पेटेंट शुल्क में 80% तक की छूट का लाभ दिया गया है। ट्रेडमार्क(trademark) नियम 2017 के तहत स्टार्टअप्स के लिए ट्रेडमार्क दाखिल करने की फीस में 50% की छूट प्रदान की गयी है। सूक्ष्म एवं उद्यमों के लिए सार्वजनिक खरीद के मापदंडों(Mapping) को कम किया गया है।

सार्वजनिक प्रक्रिया में अब ज़्यादा स्टार्ट-अप निविदा प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए पात्र हैं। स्टार्ट-अप को तीन साल से पांच साल की अवधि के लिए आयकर से छूट दी गई है। स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का वित्तीय फंड (financial fund) पेश किया गया है और इसका प्रबंधन लघु उद्योग विकास बैंक ऑफ़ इंडिया(Small Industries Development Bank of India) CDB द्वारा किया जा रहा है।

अपने उद्यमी यात्रा के विभिन्न चरणों के माध्यम से स्टार्ट-अप्स और आकांक्षी उद्यमियों को शिक्षित करना व अगले कदम के लिए तैयार करना है। स्टार्ट-अप इंडिया योजना के लिए संचालन को आसान बनाने के लिए एक तेज़ और सरल प्रक्रिया प्रस्तावित की गई है। यह उद्यमियों को नए विचारों के साथ प्रयोग करने के लिए बढ़ावा देगी।

तब स्टार्ट-अप दिवालिया होने के दर से जटिल फैसले लेने से डरते थे। स्टार्ट-अप के लिए एक इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल(Insolvency professional) की नियुक्ति की गयी है ताकि बिना डर के जटिल फैसले लिए जा सके।

एक रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 27,746 कंपनियों को स्टार्ट-अप के तहत मान्यता मिल चुकी है और 221 कंपनियां कर का लाभ उठा रही है। 264 कंपनी को स्टार्ट-अप भारत फंड के तहत SIDBI द्वारा फंड दिया गया है स्टार्ट-अप इंडिया आंदोलन के प्रसार में और तेज़ी लाने के लिए कृषि सहित क्षेत्रों, सामाजिक क्षेत्रों, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा आदि क्षेत्रों पर और भी ध्यान दिया गया है।

मोबाइल ऐप(Mobile App) और पोर्टल भी स्टार्ट-अप के लिए एकल मंच के रूप में सेवा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। पंजीकरण आवेदन की स्थिति को ट्रैक करना और पंजीकरण(Registration) को कभी भी डाउनलोड(Download) करना आदि सब मोबाइल ऐप के माध्यम से कर सकते है।

सरकार ने बैंकों और NBFC के सहयोग से अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना(Pradhan Mantri Mudra Yojana) की शुरुआत की जो गैर-कॉर्पोरेट(non-corporate), गैर-कृषि MSMEs को उनके प्रारंभिक या विकास चरण में स्टार्ट-अप इंडिया ऋण प्रदान(Start-up India Loan Provider) करती है। यह लोन नई कंपनियों के साथ-साथ दूसरों को भी प्रदान किए जाते है।

स्टार्ट-अप इंडिया योजना में इस कंपनियों को कर में लाभ भी प्रदान किए जाते है। इस योजना में आवेदन करने वाली कंपनियों के अस्तित्व और संचालन की अवधि 10 साल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। साथ ही वह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी(private Limited company) या एक पंजीकृत भागीदारी फर्म होना चाहिए। किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए 100 करोड़ रूपए से अधिक वार्षिक कारोबार नहीं होना चाहिए।

किसी उत्पाद, प्रक्रिया या सेवा के विकास या सुधार की दिशा में काम करना चाहिए और धन व रोज़गार सृजन के लिए उच्च क्षमता के साथ स्केलेबल बिज़नेस मॉडल(Scalable Business Model) होना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए सरकार की स्टार्ट-अप इंडिया वेबसाइट(Start-Up India Website) पर विजिट कर सकते है जहाँ सुचना हिंदी(Hindi), अंग्रेजी(English), मराठी(Maharastra), गुजरती(Gujarati), तमिल(Tamil), तेलुगु(Telugu) और कई विदेशी भाषा में उपलब्ध है।

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