महाऋषि वामदेव की तपोभूमि के रूप में मशहूर एवं शजर पत्थरों का शहर, 'बांदा', के बारे में कुछ ख़ास बातें

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शजर पत्थरों का शहर कहलाया जाने वाला बांदा अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाता है। यह जगह महाऋषि वामदेव की तपोभूमि के रूप में मशहूर है। उत्तर प्रदेश के गठन से पहले बांदा इलाहाबाद डिवीज़न के अंदर आता था। प्राचीन काल में बांदा व्यापार का मुख्य केंद्र हुआ करता था। उत्तर प्रदेश का मुख्य शहर होने के साथ-साथ बांदा लोकसभा क्षेत्र भी है। इस शहर का नाम महाऋषि वामदेव के नाम पर रखा गया है।

यहाँ से चित्रकूट और कालिंजर करीब 60 कि.मी की दूरी पर है। बांदा केन नदी के ताल से प्राप्त गोमेद रत्नों के लिए बहुत प्रसिद्ध है जिनका निर्यात भी किया जाता है। यहाँ पर मंदिर-मस्जिद, कृषि विश्वविद्यालय और मेडिकल कॉलेज मौजूद है। बांदा की केन नदी भारत की एक मुख्य नदी है जिसमें शजर पत्थर पाए जाते है जो उसके अंदर बने प्राकृतिक दृश्य की वजह से मशहूर है।

इतिहास

दुनिया भर में भरता अपनी विविधताओं के साथ-साथ अपने गौरवशाली इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है। ऐसा ही गौरवशाली इतिहास रखने वाला बांदा पहले ब्रिटिश सरकार के अधीन इलाहाबाद मंडल का जिला था। 1998 में कर्वी और मऊ तहसील को जिले से अलग कर नया चित्रकूट जिला बना दिया गया।

बांदा की गद्दी पर कई राजाओं का राज रहा है। कभी यहाँ मुग़ल शासकों का दबदबा हुआ तो कभी मराठा सम्राट ने यहाँ की बागदौड संभाली। 1728 में इलाहाबाद के गवर्नर मुहम्मद खान बंगश ने बुंदेलखंड पर कब्ज़े की पहली नाकामयाबी के बाद फिर से वहाँ हमला कर दिया लेकिन इस बार भी उन्हें जीत हासिल नहीं हुई।

बाजीराव और मस्तानी बाई के संबंध का इतिहास पुराना है और उनके अटूट प्रेम की गाथा आज तक लोगों की ज़बान पर है। 1762 में अवध नवाब ने बुंदेलखंड को जीतने की कोशिश की लेकिन बुंदेलों की एकता ने तिंदवारी क्षेत्र के पास नवाब की सेना का लगभग सफाया कर दिया।

1791 में नोनी अर्जुन सिंह की देखरेख में बांदा के राजा बुंदेला ने आक्रमणकारियों का मुकाबला किया जिनका संबंध पेशवा बाजी राव, उनकी मुस्लिम पत्नी मस्तानी और उनके दोस्त हिम्मत बहादुर गोसाई से था। अली बहादुर ने खुद को बांदा का नवाब घोषित किया लेकिन 1802 में कालिंजर किले पर कब्ज़ा करने की कोशिश करते हुए उन्होंने अपनी जान गवा दी।

1804 में बसीन में नवाब शमशेर बहादुर को हरा कर ब्रिटिश शासन की स्थापना हुई। बांदा ने 1857 में हुए स्वतंत्रता विद्रोह में भी भाग लिए फिर आज़ादी के बाद अखंड भारत का हिस्सा बन गया।

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घूमने की जगह

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में स्थित बांदा खुद में ही बेहद खूबसूरत जगह है और तो और बांदा के आसपास 50 से 150 कि.मी में घूमने के लिए बहुत सी सुन्दर जगह मौजूद है। यहाँ विशाल पानी के झरने, ऐतिहासिक किले, प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल देखने को मिलते है।

1) चित्रकूट धाम:- पयसवानी नदी के तट पर स्थित चित्रकूट धाम बांदा के पास देखने के लिए एक सुंदर, प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्थान है जहाँ भगवन श्री राम ने अपने वनवास के समय 11 साल बिताए थे। चित्रकूट धाम उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सिमा पर स्थित है जो मानव हृदय को शुद्ध करने और प्राकृतिक रूप से आकर्षित करने के लिए मशहूर है।

कामद गिरि पर्वत के तट पर स्थित चित्रकूट धाम भारतीयों की आस्था का केंद्र है। यहाँ के लोगों की माने तो चित्रकूट धाम सबसे बड़ा तीर्थ स्थान है। कहा जाता है कि अमावस्या के दिन यहाँ स्थित कामद गिरी पर्वत की परिक्रमा करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है। बांदा से चित्रकूट धाम की दूरी लगभग 75 कि.मी है।

2) बृहस्पति कुंड झरना:- नियाग्रा फॉल्स या बृहस्पति कुंड झरना बांदा के पास स्थित पन्ना में एक सुंदर और आकर्षक झरना है। बांदा से 85 कि.मी की दूरी पर यह झरना बांदा के आसपास सबसे लोकप्रिय झरना है। 400 फ़ीट ऊँचा और लगभग 200-300 फ़ीट चौड़ा यह झरना अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है।

3) धारकुंडी आश्रम:- चित्रकूट के पास धारकुंडी आश्रम एक आध्यात्मिक स्थल है जहाँ मन की शांति के लिए पर्यटक जाया करते है। प्राकृतिक रूप से सुंदर आश्रम उन लोगों के लिए है जो अपने व्यस्त और तनाव भरे जीवन से थोड़ी शांति चाहते है।

श्री सच्चिदानंद जी महाराज ने चित्रकूट में सती अनुसूया आश्रम में 11 साल तक ध्यान किया फिर 1956 में धारकुंडी आश्रम की स्थापना की। बांदा से धारकुंडी आश्रम की दूरी सिर्फ 100 किमी है जिसे तय करने में रोड के माध्यम से ढाई घंटे लगते है।

4) कालिंजर किला:- खुजराहों के पास स्थित कालिंजर का अद्भुत किला लैंडस्केप फोटोग्राफरों के लिए सोने की खान है जहाँ उन्हें कई सुंदर और मनमोहक दृश्य देखने को मिल जायेगा। इस किले का इतिहास में बहुत महत्व रहा है। इस विशाल किले में भव्य महल और छतरियाँ है जिन पर बारीक और खूबसूरत नक्काशी की गई है।

कहा जाता है यह किला भगवान शिव का निवास स्थान है और यहाँ नीलकंठ महादेव का एक अनोखा मंदिर है। नीलकंठ मंदिर में 18 भुजा वाले महादेव की एक विशालकाय मूर्ति और नीले पत्थरों से बने शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के रास्ते पर भगवन शिव, काल भैरव, गणेश जी और हनुमान जी की प्रतिमाएं पत्तर पर तराशी गयी हैं।

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कैसे जाए और कहा रुके??

बांदा जाने के लिए ट्रेन, रोड और फ्लाइट की यात्रा आसान है।

बांदा का खुद का रेलवे स्टेशन है जो बड़े शहरों से उसे जोड़ता है। तो ट्रेन से बांदा आने में कोई परेशानी नहीं हैं।

अगर सड़क से बांदा आने का सोचा जाए तो बस, निजी साधन या टैक्सी से आया जा सकता है।

बांदा में हर तरह के होटल मौजूद है जिसे अपनी सुविधा और इच्छा के अनुसार बुक किया जा सकता है।

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