उत्तर प्रदेश का पहला जिला 'आगरा': सिर्फ ताज़महल और पेठे के लिए ही प्रचलित नहीं है

आगरा दिल्ली के दक्षिण पूर्व में 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक विशाल नगर है। इस जगह को जयपुर-दिल्ली-आगरा का स्वर्ण त्रिकोण के नाम से भी जाना जाता है। आगरा शहर अपने आस-पास बहुत से शहरों से जुड़ा हुआ है और बहुत से पर्यटक यहाँ घुमने भी आते हैं।
उत्तर प्रदेश का पहला जिला 'आगरा': सिर्फ ताज़महल और पेठे के लिए ही प्रचलित नहीं है
उत्तर प्रदेश का पहला जिला 'आगरा': सिर्फ ताज़महल और पेठे के लिए ही प्रचलित नहीं है

उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित एक विशाल राज्य है। उतर प्रदेश का इतिहास लगभग 4000 वर्ष पुराना है। उत्तर प्रदेश, उत्तर में उत्तराखंड और नेपाल, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में छत्तीसगढ़ और झारखण्ड से घिरा हुआ एक विशाल राज्य है। उत्तर प्रदेश राज्य का विस्तार 2,38,566 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। उत्तर प्रदेश का मुख्य न्यायलय प्रयागराज में स्थित है। हमीरपुर, बांदा, झाँसी, कानपुर, नोएडा, गोरखपुर, मथुरा, मुरादाबाद, अलीगढ, सुलतानपुर, ललितपुर, सहारनपुर, प्रयागराज आदि यह के मुख्य शहर है। उत्तर प्रदेश का गठन 24 जनवरी 1950 को हुआ था।

उत्तर प्रदेश के पहले ज़िले आगरा के बारे में हम कुछ रोचक बातें जानते हैं:

आगरा शहर की स्थापना बहुत पहले हो चुकी थी पर उसके बाद वर्ष 1526 से 1658 तक आगरा मुगल साम्राज्य की राजधानी था। वर्ष 1506 में सिकंदर लोदी ने अपनी राजधानी दिल्ली से आगरा स्थानांतरित कर दी थी। उसके बाद वर्ष 1526 में सिकंदर लोदी के पुत्र इब्राहिम लोदी बाबर को हरा कर आगरा पर शासन करने वाला पहला मुग़ल शासक बन गया। मुग़ल साम्राज्य ने बहुत से स्मारक विशेष कर ताजमहल के निर्माण को देखा था।

आगरा अपनी बहुत से मुगलकालीन इमारतों की वजह से पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है, विशेष रूप से ताजमहल,आगरा का किला,फतेहपुर सीकरी विश्व की धरोहरों में से एक हैं।

आगरा दिल्ली के दक्षिण पूर्व में 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक विशाल नगर है। इस जगह को जयपुर-दिल्ली-आगरा का स्वर्ण त्रिकोण के नाम से भी जाना जाता है। आगरा शहर अपने आस-पास बहुत से शहरों से जुड़ा हुआ है और बहुत से पर्यटक यहाँ घुमने भी आते हैं। आगरा उत्तर प्रदेश का चौथा सर्वाधिक आबादी वाला देश है। इसे देश की दलितों की राजधानी के नाम से भी जाना जाता है।

सात अजूबों में से एक 'ताजमहल' यहां पर ही स्थित है। ताजमहल वायु प्रदूषण के कारण और उसके पीछे स्थित यमुना नदी में सीवेज डिस्चार्ज के कारण बहुत क्षति हुए है गन्दी हवा के कारण सफ़ेद-संगमरमर का ताजमहल हरे और पीले रंग में बदल चुका है आगरा शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर में आठवें नंबर पर आ चुका है और यमुना नदी भी दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक है।

आगरा ज़िले का 7% से भी कम हिस्सा वनों की आड़ में स्थित है केथम झील, जो एक मात्र प्रमुख वन्यजीव अभ्यरण है, आगरा के पास स्थित है इस झील को सुर सरोवर पक्षी अभ्यरण के नाम से भी जाना जाता है।

इस झील में निवासी और प्रवासी पक्षियों की दो दर्जन से भी अधिक किस्में पाई जाती हैं।

नाच भालू अभ्यारण, जो भारत का पहला आगरा भालू बचाव सुविधा केंद्र है, आगरा में ही स्थित है। यहां पर स्थित शोषण-ए-खानाबदोश जनजाति 1972 से गैर क़ानूनी है पर फिर भी कलंदर को डांसिंग भालू के नाम से जाना जाता है।

ताजमहल-

ताजमहल सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ एक बहुत विशाल मकबरा है। ताजमहल को मुग़ल सम्राट ने अपनी पत्नी नूरजहाँ की याद में बनबाया था। दुनिया में ताजमहल बहुत अच्छी तरह से संरक्षित ईमारत है। ताजमहल भारतीय मुस्लिम वास्तुकला की विभिन्न कृतियों का एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण में से एक है।

पूर्णिमा से दो दिन पहले और दो दिन बाद ताजमहल को रात में भी पर्यटकों के लिए खोला जाता है। भारतीय पुरात्तव संस्था का कार्यालय आगरा में माल रोड से लगा हुआ है। ताजमहल की टिकिट गैर-भारतीयों के लिए 750 और भारतीयों के लिए 500 रूपए निश्चित की गयी है रात्रि में ताजमहल देखने का समय 8:30 – 9:00 और 9:00 – 9:30 है, पर यहां के नियमों के अनुसार, आपको यहां 30 मिनट पहले पहुंचना आवश्यक है।

आगरा का किला-

आगरा के किले को मुख्यतः लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है, और यह बहुत ही सुन्दर विश्व धरोहर है। आगरा का किला बहुत हद तक दिल्ली के लाल किले से मिलता जुलता है। इस किले के महल वाले हिस्से को सफ़ेद संगमरमर पत्थर से बनाया गया है।

जामा मस्जिद-

भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद आगरा शहर में स्थित है। जामा मस्जिद आगरा किले के विपरीत में स्थित एक बहुत विशाल मस्जिद है 1648 में शाहजहाँ ने इस इसे अपनी बेटी जहांनारा के लिए बनबाया था। जब औरंगजेब ने शाहजहाँ को कैद कर लिया था उस समय जहांनारा ने ही उनकी अच्छी तरह देखभाल की थी। जामा मस्जिद के आस पास बहुत बड़ा बाज़ार भी लगता है। दूर-दूर से आने वाले पर्यटक यहाँ बहुत सी खरीददारी करते है।

चीनी का रोजा (मस्जिद)-

शाहजहाँ के राज दरबार के प्रधानमंत्री तथा अल्लामी के महान कवि मौलाना शुक्र्ल्लाह शिराजी ने इस ईमारत का निर्माण कराया था। उनको स्वयं के मकबरे का निर्माण कराने का बहुत शौक था जिसकी वजह से ही 1635 में उन्होंने चीनी के राउजा का निर्माण कराया था, जिसको चीन का किला के नाम से भी जानते हैं। इस मकबरे में एक अप्राकृतिक गुम्बद हैइसलिए इस वास्तुकला को अपरंपरागत माना जाता है।

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