बीसवीं और इक्कीसवीं सदी, दोनों में ही उनका ज़लज़ला रहा - श्री अटल बिहारी वाजपेयी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री और 'भारत रत्न' श्री अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकलौते ऐसे नेता थे जिन्होंने चार राज्यों के छः लोकसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया। वह लगातार 40 साल तक भारतीय संसद के सदस्य रहे।
बीसवीं और इक्कीसवीं सदी, दोनों में ही उनका ज़लज़ला रहा - श्री अटल बिहारी वाजपेयी
बीसवीं और इक्कीसवीं सदी, दोनों में ही उनका ज़लज़ला रहा - श्री अटल बिहारी वाजपेयी

श्री अटल बिहारी वाजपेयी(Shri Atal Bihari Vajpayee) को राष्ट्र पुरुष कहा जाये, राष्ट्र मार्गदर्शक कहा जाये, राष्ट्र कवि कहा जाये या सच्चा देशभक्त, जिसके मन जो रुचे, सो कहे। भारत के सच्चे सपूत को ऐसी अनगिनत उपाधियां प्राप्त हैं।

इन सभी उपाधियों से ऊपर वो एक सच्चे और अच्छे इंसान थे जिन्हें बिना पुरस्कार दिए भी असल मायनों में भारत रत्न कहा जा सकता था। हालांकि, अब तो उन्हें आधिकारिक तौर पर भारत रत्न से नवाज़ा जा चुका है। 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. श्री प्रणव मुखर्जी (Shri Pranab Mukherjee) द्वारा उन्हें उनके घर जाकर 'भारत रत्न' से सम्मानित किया था।

श्री वाजपेयी का जन्‍म मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) के ग्वालियर(Gwalior) जिले की शिंदे छावनी में 25 दिसंबर 1924 को हुआ था, इस दिन को भारत में बड़ा दिन कहा जाता है। ब्रह्ममुहूर्त में मां कृष्णा वाजपेयी(Krishna Vajpayee) की कोख से जन्में अटल के पिता पण्डित श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी(Shri Krishna Bihari Vajpayee) उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में आगरा(Agra) जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर(Bateshwar) के मूल निवासी थे। लेकिन मध्य प्रदेश(Madhya Pradesh) की ग्वालियर(Gwalior) रियासत में अध्यापक होने के चलते उनका निवास ग्वालियर(Gwalior) में ही रहा।

ये तो आप सभी जानते हैं कि श्री अटल जी बहुत दिग्गज लेखक कवि थे लेकिन शायद आपको ये न पता हो कि अटल जी के अंदर ये गुण उनके पिता जी से आया। उनके पिता श्री कृष्ण बिहारी जी अध्यापक होने के साथ ही साथ वे हिंदी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे।

अटल जी ने अपनी बी.ए. तक की पढ़ाई ग्वालियर विक्टोरिया कालेज(Gwalior Victoria College) (अब के लक्ष्मीबाई कालेज(Lakshmibai College)) से ही पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने महात्मा रामचन्द्र वीर(Ramchandra Veer) द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढ़ी जिसके बाद उनके जीवन की दिशा ही बदल गई। छात्र जीवन से ही वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए थे और तभी से ही राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू कर दिया था।

बी. ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद कानपुर(Kanpur) चले गए और वहां के डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में एम.ए. की पढ़ाई फर्स्ट डिवीज़न के साथ पूरी की। फिर कानपुर(Kanpur) में ही एल॰एल॰बी॰ की पढ़ाई शुरू कर दी लेकिन पढ़ाई को बीच में ही विराम देकर फुल टाइम संघ के साथ जुड़ गए।

वहां डॉ॰ श्यामाप्रसाद मुखर्जी(Syama Prasad Mukherjee) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय(Deendayal Upadhyaya) के तत्वाधान में राजनीति के गुर सीखे। इसके साथ ही पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, वीर अर्जुन और दैनिक स्वदेश जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

राजनीति के राजा-

अपने राजनीतिक धुर-विरोधियों का सम्मान करने वाले व विपक्षियों के भी फेवरिट नेता श्री अटल जी ने अपने जीवन का पहला चुनाव 1952 में लड़ा था। हालांकि, उन्हें अपने पहले लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं मिली थी।

1951 में श्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी(Shri Shyama Prasad Mukherjee) के नेतृत्व में जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक श्री अटल जी 1957 में जनसंघ की टिकट पर उत्तर प्रदेश की बलरामपुर(Balrampur) लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और विजयी हो कर संसद पहुंचे।

1957 से लेकर 1977 तक यानि जनता पार्टी की स्थापना तक वे लगातार बीस वर्षों तक जनसंघ से संसदीय दल के नेता रहे। सन् 1968 से 1973 तक वे जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।

23 जनवरी 1977 को जनता पार्टी की स्थापना के 2 महीने बाद की देश में मोरारजी देसाई (Morarji Desai) की सरकार बनी और अटल जी को विदेश मंत्री का कार्यभार सौंपा गया।इस दौरान उन्होंने विदेशों में भारत की छवि को सातवें आसमान पर ले जा कर खड़ा कर दिया।

1980 में अटल जी जनता पार्टी से असंतुष्ट हो गए और पार्टी छोड़ दी और फिर 'भारतीय जनता पार्टी (BJP)' की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। भारतीय जनता पार्टी गठन का मुख्य श्रेय श्री लाल कृष्ण अडवाणी को जाता है।

6 अप्रैल 1980 को स्थापित हुई बीजेपी के अध्यक्ष पद का दायित्व अटल जी को सौंपा गया। वे दो बार राज्यसभा सदस्य के रूप में भी निर्वाचित हुए। सन् 1996 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी और अटल जी ने प्रधानमंत्री के तौर पर देश की बागडोर संभाली हालांकि वे इस पद पर मात्र 13 दिन तक ही रह पाए थे क्योंकि उनकी पार्टी संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी।

अटल जी 1996 से लेकर 2004 तक यानि 8 साल में तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। कोई भी सरकार न टिक पाने के कारण 1998 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए. भारतीय जनता पार्टी को फिर से सबसे ज्यादा सीटें मिली। अटल की ने कुछ अन्य दलों के सहयोग से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का गठन किया और पुनः देश के प्रधानमंत्री बने।

इस बार इनकी सरकार पहले से तो ज्यादा लेकिन मात्र 13 महीने ही चल पाई। तमिलनाडु (Tamil Nadu) की मुख्यमंत्री सुश्री जे जयललिता ने NDA से अपना गठबंधन तोड़ दिया।जिसके चलते अटल सरकार फिर से गिर गई। सरकार गिरते ही 1999 में फिर लोकसभा चुनाव हुए, बीजेपी फिर बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई।

इस बार अटल जी ने 13 दलों के गठबंधन के साथ सरकार बनाई और तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। अटल जी की इस सरकार में सभी दलों के मिलाकर कुल 81 मंत्री थे। इस बार अटल जी ने अपना कार्यकाल निर्विरोध पूरा किया। इसी के साथ अटल जी पूरे 5 साल तक प्रधानमंत्री रहने वाले पहले गैर कोंग्रेसी नेता भी बने।

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प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल कार्य:

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना-

अपने 5 वर्षों के पूरे कार्यकाल के दौरान अटल जी की सरकार ने देश के अंदर प्रगति के नए आयाम छुए और दुनियाभर में भारत का डंका भी बजाया। अटल जी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने किसानों, गरीबों और युवाओं के लिए अनेकों योजनाएं लागू की।

वाजपेयी सरकार ने देश के चारों कौनों को आपस में जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना(Golden Quadrilateral) की शुरुआत की जिसके अंतर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई व मुम्बई महानगरों को राजमार्ग से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल कार्यकाल में देश के अंदर जितनी सड़कों का निर्माण हुआ उतना शेरशाह सूरी के समय में भी नहीं हुआ था।

(शेरशाह सूरी- भारत में जन्में पठान जिन्होंने 1540 में हुमायूँ को हराकर भारत में सूरी साम्राज्य की स्थापना की थी, तब के भारत में अफ़ग़ानिस्तान(Afghanistan), पाकिस्तान(Pakistan), बांग्लादेश(Bangladesh), नेपाल(Nepal), भूटान(Bhutan), तिब्बत(Tibet), श्रीलंका(Sri Lanka) एवं म्यांमार(Myanmar) भी हुआ करता था। भारतीय पोस्टल विभाग की स्थापना शेरशाह सूरी(Sher Shah Suri) ने ही की थी और इसी की पहुंच बढ़ाने उसने भयंकर सड़कों का निर्माण कराया था।

पाकिस्तान से संबंधों में सुधार की पहल

19 फरवरी 1999 को अटल सरकार ने सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा की शुरआत की। इस बस के पहले यात्री अटल जी ही बने थे। वे स्वयं बस में बैठ कर पाकिस्तान गए थे और नवाज़ शरीफ से मुलाकात कर दोनों देशों के संबंधों को बेहतर किया था।

कारगिल युद्ध

संबंधों को बेहतर करने वाली अटल जी की ये पहल पाकिस्तानी सेना को हज़म नहीं हुई। पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज़ मुशर्रफ की शह पर उग्रवादियों व पाकिस्तानी सेना ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया।

अटल जी ने सीमा उल्लंघन न करने की अंतर्राष्ट्रीय सलाह का सम्मान किया और धैर्य पूर्वक ठोस फैसले लिए, भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा कब्ज़ा किए गए क्षेत्र को मुक्त कराया। प्रतिकूल परिस्थियों के बावजूद भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया। हालांकि इसमें भारत को काफी जान माल की हानि हुई थी और पाकिस्तान के साथ सुधरे संबंध भी शून्य हो गए।

सबसे बड़ी उपलब्धि- भारत को परमाणु शक्ति समृद्ध देशों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया

11 और 13 मई को पोखरण(Pokhran) (राजस्थान(Rajasthan) के एक नगर) में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट(underground nuclear test explosion) किए गए और भारत को परमाणु शांति संपन्न देश घोषित किया गया। हमारे देश के वैज्ञानिकों की मुख्य भूमिका तो रही ही लेकिन अटल जी की दिलेरी न होती तो ये कभी संभव न हो पता। वैज्ञानिकों द्वारा यह यह परिक्षण इतनी गोपनीयता के साथ किया गया था कि किसी को कानो कान खबर ही नहीं लगी थी।

जबकि पूरी दुनिया के शक्तिशाली देशों के विकसित जासूसी उपग्रह भारत पर टकटकी लगाए बैठे थे। जब भारत ने उपग्रहों को चकमा दे दिया और वो कुछ नहीं कर पाए तो फिर उन पश्चिमी देशों में भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। बावजूद इसके अटल सरकार ने दृढ़ता पूर्वक काम करते हुए आर्थिक विकास की ऊंचाइयों को छुआ।

श्री अटल बिहारी वाजपेयी
श्री अटल बिहारी वाजपेयी

प्रधानमंत्री के तौर पर अन्य महान कार्य ये रहे-

  • उन्होंने सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया था।

  • उनकी सरकार ने देश में विद्युतीकरण को तेज़ करने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग का गठन किया।

  • देश के संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल का गठन किया।

  • सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट(software development) के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल का गठन किया।

  • नई टेलीकॉम नीति(telecom policy), राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास, कोकण रेलवे की शुरुआत जैसे बुनियादी ढांचे मजबूत करने वाले कदम उठाए।

  • व्यापार एवं उद्योग समिति, आर्थिक सलाह समिति, राष्ट्रीय सुरक्षा समिति का भी गठन किया।

  • आम जीवन में उपयोग होने वाले प्रोडक्ट्स के मूल्यों को नियंत्रित करने के लिए उनकी सरकार ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मलेन बुलाया था।

  • उड़ीसा राज्य का जो सबसे गरीब क्षेत्र था उसके लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।

  • आवास निर्माण की गति को बढ़ावा देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट(Urban Ceiling Act) को ख़त्म किया।

  • गावों में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए काई योजनाओं की शुरुआत की, विदेशों में बसे भारतीयों को बीमा योजना का लाभ दिलाया।

राजनीति के पटल पर अटल का नाम हमेशा अमर रहेगा।

राजनीतिक तौर पर अटल जी हमेशा एक ही बात पर जोर दिया करते थे- भारत हमेशा 'ऐसा भारत जो भूख और डर से, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो.'

निजी जीवन-

वे एक ओजस्वी, पटु वक्ता एवं प्रसिद्ध हिन्दी कवि भी थे। उनकी लोकप्रियता किस्से छिपी है लेकिन उनसे ज्यादा लोकप्रिय उनके भाषण और कविताएं हैं।व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उन्होंने कभी भी विवाह नहीं किया।

उन्होंने अपने पुराने दोस्त राजकुमारी कौल(Rajkumari Kaul) और बी.एन. कौल(B.N. Kaul) की बेटी नमिता भट्टाचार्य को अपनी दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया था। अंतिम दिनों में अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे।

मृत्यु-

प्रधानमंत्री कार्यकाल समाप्त होने के कुछ साल बाद ही 2009 में उन्हें एक दौरा पड़ा, वे बोलने में अशक्षम हो गए थे। काफी लंबे वक्त तक व्हील चेयर पर रहे। 16 अगस्त 2018 में किडनी संक्रमण समेत कुछ अन्य बीमारियों के चलते दिल्ली की एम्स हॉस्पिटल में शाम 5 बजकर 5 मिनट पर उनका निधन हो गया।

उनके निधन के उपरांत देश में सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई. अमेरिका, चीन, जापान, ब्रिटेन, बांग्लादेश और नेपाल समेत विश्व के कई राष्ट्रों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया।

उनके बारे में लिखने के लिए मेरे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं बस, इतना मान लीजिए कि वे बहुत दिग्गज नेता और महानतम व्यक्तित्व थे। सुप्रसिद्ध गज़ल गायक स्व. श्री जगजीत सिंह जी ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था, समय मिले तो ज़रूर सुनियेगा।

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