
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना देश में बेहतर शैक्षणिक संस्थान व चिकित्सकीय विकास के लिए शुरू की गई है। इस योजना के तहत देश में एम्स जैसे उच्च चिकित्सा एवं शैक्षणिक संस्थान खोले जाएंगे और सरकारी चिकित्सा कॉलेजों का विकास किया जाएगा। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की घोषणा साल 2003 में की गई थी। इस योजना के भूतपूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कैबिनेट ने मार्च, 2006 में मंज़ूरी दी थी। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना [PMSSY] को जारी रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने इसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना से आगे बढ़ाकर 2019-20 में भी जारी रखा है। यह योजना 12वीं पंचवर्षीय योजना [2012-2017] से सुचारु रूप से चल रही है। इस योजना को वित्तीय बजट 2021-22 में जारी रखते हुए मोदी कैबिनेट ने वित्त अधिनियम के सेक्शन 136वीं के तहत शिक्षा उपकरण 3 से बढ़कर 4 फीसदी कर दिया है। इस योजना के तहत आधुनिक चिकित्सा उपकरणों से युक्त आधुनिक हॉस्पिटल्स खोले जा रहे है। जिससे भारत की जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 6 राज्यों में एम्स, भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान खोले गए हैं जो ऑपरेशनल है। इसके अलावा कई और AIIMS खोले जा रहे हैं। इस योजना से देश के सवा-सौ करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। इस योजना के तहत देश के हर राज्य में उच्च चिकित्सकीय संस्थान और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान विकसित किए जाएंगे। इस योजना के अंतर्गत अब तक 22 नए क्षेत्रीय एम्स की स्थापना को मंज़ूरी दे दी गई है।
क्या है प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना?
प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की घोषणा साल 2003 में तृतीयक स्वास्थ्य सेवा अस्पतालों की उपलब्धता से जुड़े असंतुलन को दूर करने और देश में चिकित्सा शिक्षा में सुधार के लिए की गई थी। इस योजना के तहत उच्च स्तरीय मेडिकल सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। जिसके तहत भारत सरकार केंद्रीय बजट से एम्स के स्तर के अत्याधुनिक अस्पतालों का निर्माण कर रही है। इस योजना के तहत सरकार ना सिर्फ एम्स जैसे अस्पतालों का निर्माण कर रही है वरन राज्य स्तरीय सरकारी अस्पतालों के अपग्रेड का काम भी किया जा रहा है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत बनाने वाले एम्स का रखरखाव व संचालन का कार्य केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य देश के विभिन्न भागों में स्वास्थ्य सुविधाओं को सभी के लिए सामान रूप से उपलब्ध करवाना है। इस योजना के अंतर्गत देश के पिछड़े राज्यों में चिकित्सा शिक्षा को बेहतर करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध करवाने का लक्ष्य निर्धारित है। इस योजना को मार्च, 2006 में मंजूरी दी गई थी। वैसे तो भारत में स्वास्थ्य सुरक्षा योजना को 2008 में लागू किया गया था लेकिन उस समय इस योजना को भारत के कुछ हिस्सों में लागू किया जा सका जिसका कारण यह हुआ कि संपूर्ण भारत वासियों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया। इस योजना में सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रह रहे लोगों का मुफ्त इलाज करने की योजना आयोजित की है। स्वास्थ्य समाज में ही सफल राष्ट्र का निर्माण होता है। मानव स्वास्थ्य की सुविधाओं के बिना सफल समाज की कल्पना नहीं कर सकते प्रगतिशील सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 10 सालों में कई योजनाएं लागू की है।
योजना की आवश्यकता और उसके चरण
देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण कई लोगों को उचित उपचार नहीं मिलता है। एक आंकड़े के मुताबिक हर साल लगभग दस लाख लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारन मर जाते हैं और 700 मिलियन लोगों की विशेष देखभाल तक पहुंच नहीं हैं। 80 फीसदी विशेषता शहरी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। इसके अलावा भारत में प्रति हज़ार जनसंख्या पर अस्पताल के विस्तारों की संख्या में उपलब्धता की आवश्यकता है। प्राइवेट हॉस्पिटल में स्वास्थ्य सुविधाएं होने के बावजूद पैसे की तंगी के चलते लोग अपना इलाज नहीं कर पाते। इन छोटी मगर बेहद ज़रूरी बातों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने पीएम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का लोकार्पण किया। पीएम स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का उद्देश्य हर राज्य में एम्स जैसे अत्याधुनिक अस्पतालों का निर्माण करना और सरकारी अस्पतालों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से अपग्रेड करना है। इन्हीं वजहों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पहली बार मार्च, 2006 में सामान्य रूप से देश में सस्ती या विश्वसनीय तृतीयक स्तर स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता में असंतुलन को ठीक करने और प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं में गुणवत्तपूर्ण चिकित्सा शिक्षा के लिए सुविधाएं देने के लिए एम्स की स्थापना की है। योजना के पहले चरण में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान [AIIMS] को 6 स्थानों बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तरांचल में शुरू किया गया। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के दूसरे चरण में सरकार ने अखिल भारतीय आयुर्वितान संस्थान जैसे दो और संस्थानों जिसमें से एक पश्चिम बंगाल और उतर प्रदेश राज्य के संस्थान का और छह मेडिकल कॉलेज संस्थानों के उन्नयन को मंजूरी दी गई है।
अगर प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का लाभ उठाना चाहते है तो इसके लिए सबसे पहले इसकी ऑफिसियल वेबसाइट http://pmssy-mohfw.nic.in// पर जाना होगा। जैसे ही प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएंगे वहां एक एप्लीकेशन फॉर्म मिलेगा। इस एप्लीकेशन फॉर्म को आपको यहां से डाउनलोड करना होगा। इसके बाद फॉर्म में पूछी गई महत्वपूर्ण जानकारी जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर, कैप्च कोड आदि को ध्यानपूर्वक भरना होगा। सारी महत्वपूर्ण जानकारी फॉर्म में भरने के बाद फॉर्म को ऑफिसियल वेबसाइट पर सबमिट करना पड़ेगा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित लागत 823 करोड़ रूपए है। जिसके तहत 620 करोड़ रूपए निर्माण लागत के लिए व 200 करोड़ चिकित्सा उपकरणों की खरीद व मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटरों के लिए रखा गया है। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक के लिए 125 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के उन्नयन परियोजना के लिए संस्था के अनुसार 150 करोड़ रूपए लगता लगने का अनुमान लगाया गया है। जिनमें से 125 करोड़ रूपए केंद्रीय सरकार का योगदान और शेष 25 करोड़ रूपए संबंधित राज्य सरकारों द्वारा खर्च किए जाएंगे। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत इस साल सभी 13 एम्स में 7,500 बैंड की उपलब्धता बढ़ाई गई है। इन 13 एम्स में 17,000 आईपीडी मरीज़ हर महीने और 20,000 ओपीडी मरीज़ हर महीने का लक्ष्य सरकार द्वारा रखा गया है। 280 नए स्पेशलिटी डिपार्टमेंट सभी 13 एम्स में बनाने की भी सरकार की योजना है। शैक्षणिक चिकित्सकीय सुविधाओं की बात करें तो सरकार ने 1,500 यूजी और 800 पीजी सीटें इस साल निर्धारित की है।