
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मिर्ज़ा कामरूप, असम में शहद प्रसंस्करण इकाई का उद्घाटन किया। इस अवसर पर तोमर ने कहा कि कृषि की अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनेक योजनाएं व कार्यक्रम लागू किए है। इनके माध्यम से गांव, गरीब किसानों को फायदा हो रहा है। तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र का विकास होने के साथ-साथ सहायक कामकाज विकसित होना ज़रूरी है ताकि गांवों की अर्थव्यवस्था मज़बूत हो, रोज़गार के अवसर सृजित हो व हमारे किसानों को अच्छी आमदनी हो सकें। आत्मनिर्भर भारत के तहत इस मिशन की घोषणा की गई थी। NBHM का उद्देश्य "मीठी क्रांति" के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापाक संवर्धन और विकास है, जिसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड NBB के माध्यम से लागू किया जा रहा है। NBHM का मुख्य उद्देश्य कृषि और गैर-कृषि परिवारों के लिए आमदनी और रोज़गार संवर्धन है। हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहर मिशन को 500 करोड़ रूपए के आवंटन को स्वीकृति दी है। देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने तीन साल 2020-21 से 2022-23 के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन को 500 करोड़ रूपए के बजट की स्वीकृति दी है।
राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन
मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए और "मीठी क्रांति" के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मधुमक्खी पालन के समग्र विकास की आवश्यकता महसूस की गई। तदनुसार एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना "राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन" NBHM वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के समग्र प्रचार और विकास और गुणवत्ता वाले शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के उत्पादन के लिए भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है। यह योजना राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के माध्यम से केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू की जाएगी। यह कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इस योजना को राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड [NBB] के माध्यम से लागू किया जा रहा है। इस मिशन की घोषणा 2017 में की गयी थी। इस मिशन की घोषणा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की गई थी। NBHM का उद्देश्य "मीठी क्रांति" के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश में वैज्ञानिक आधार पर मधुमक्खी पालन का व्यापक संबर्धन और विकास है। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं मधु मिशन [NBHM] के लिए मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए चार मॉड्यूल बनाए गए हैं जिनके माध्यम से देश में 30 लाख किसानों को प्रशिक्षण दिया गया है। इन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। ध्यातव्य है कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रूपए का आवंटन किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के अनुसार भारत में साल 2005-06 की तुलना में अब शहद उत्पादन 242% बढ़ गया है। वहीं इसके निर्यात में 265% की वृद्धि हुई है। शहद के निर्यात में हो रही बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि मधुमक्खी पालन साल 2024 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कारक रहेगा।
योजना का मुख्य उद्देश्य और उत्पादन
आय और रोज़गार सृजन के लिए मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास को बढ़ावा देना कृषि और गैर-कृषि परिवारों को आजीविका सहायता प्रदान करना और कृषि या बागवानी उत्पादन को बढ़ाना है। मधुमक्खी पालन उपकरण निर्माण इकाइयों आदि पर मधुमक्खी पालन, मधुमक्खी पालन पर उत्कृष्टता केंद्र, मधुमक्खी प्रजनकों द्वारा स्टॉक के गुणन, रोग निदान प्रयोगशालाओं की स्थापना, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के लिए अतिरिक्त बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। क्षेत्रीय स्तर पर शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के परिक्षण के लिए अत्याधुनिक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं और जिला स्तर पर मिनी या सेटेलाइट प्रयोगशालाओं की स्थापना मुख्य शहद उत्पादक जिलों या राज्यों में स्तर और संभावित क्षेत्रों में हनी कॉरिडोर का विकास और सुविधा प्रदान करना इस योजना के उद्देश्य है। साथ ही सामूहिक दृष्टिकोण के माध्यम से संस्थागत ढांचा विकसित करके मधुमक्खी पालकों को मज़बूत करना, SHJ या FPO या मधुमक्खी पालन सहकारी समितियों या संघों आदि का गठन करना भी इस योजना में आता है। इस योजना का मुख्य उपलब्धियों में 10,000 मधुमक्खी पालन, मधुमक्खी पालन और हनी सोसाइटी,फर्म या कंपनियों के साथ 16 लाख हनी बी कॉलोनियों को NBB के साथ पंजीकृत किया जाना है। शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के लिए ट्रेसबिलिटी स्त्रोत विकसित करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई और काम शुरू हुआ। यह शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों में मिलावट को नियंत्रित करने में मदत करेगा।
मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित गतिविधि है जो एकीकृत कृषि व्यवस्था के तहत ग्रामीण क्षेत्र में किसान या भूमिहीन मज़दूरों द्वारा की जा रही है। फसलों के परागण में मधुमक्खी पालन खासा उपयोग है जिससे कृषि आय में बढ़ोतरी के माध्यम से किसानों या मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ रही है और शहद व बी वैक्स, बी पोलेन प्रोपोलिस, रॉयल जैली, बी वेनोम आदि महंगे मधुमक्खी उत्पाद उपलब्ध हो रहे है। भारत की विविधता पूर्ण कृषि जलवाय मधुमक्खी पालन या शहद उत्पादन और शहद के निर्यात के लिए व्यापक संभावनाएं और अवसर उपलब्ध कराती है। मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित क्रियाकलाप है जो एकीकृत कृषि प्रणाली के एक भाग के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों या भूमिहीन मज़दूरों द्वारा की जा रही है। मधुमक्खी पालन फसलों के परागण में उपयोगी रहा है जिससे फसल की पैदावार बढ़ाने एवं शहद तथा अन्य उच्च मूल्य वाले मधुमक्खी उत्पादों जैसे मोम, मधुमक्खी पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जैली, मधुमक्खी का विष आदि को उपलब्ध कराने के माध्यम से किसानों या मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि हुई हैं। भारत की विविध कृषि जलवायु स्थितियां मधुमक्खी पालन या शहद उत्पादन कथा शहद के निर्यात के लिए व्यापक संभावनाएं तथा अवसर प्रदान करती हैं।