सरदार का सपना था अखंड भारत जिसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और 1947 के बटवारे के बाद देश की रियासतों का एकीकरण और अखंड भारत के निर्माण में उनका बहुत योगदान है

सरदार का सपना था अखंड भारत जिसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और 1947 के बटवारे के बाद देश की रियासतों का एकीकरण और अखंड भारत के निर्माण में उनका बहुत योगदान है
सरदार का सपना था अखंड भारत जिसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और 1947 के बटवारे के बाद देश की रियासतों का एकीकरण और अखंड भारत के निर्माण में उनका बहुत योगदान है

वल्लभ भाई झावेरभाई पटेल(Vallabhbhai Jhaverbhai Patel) उर्फ़ सरदार पटेल (Sardar Patel) भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने आज़ाद भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में काम किया है। वह भारत के मशहूर वकील और राजनेता थे जो कांग्रेस के प्रतिष्ठित नेता और भारत के गणराज्य की स्थापना के पिता थे।

उन्होंने भारत की आज़ादी की लड़ाई पूरी सूझ-बुझ और हिम्मत से लड़ी थी। उन्हें भारत और दूसरी जगहों पर "सरदार" कह कर पुकारा जाता था जिसका हिंदी, उर्दू और फ़ारसी में मतलब होता है "प्रमुख"। उन्हें नेहरू के मंत्रिमंडल में बतौर गृहमंत्री(Home Minister) नियुक्त किया गया।

सरदार का सपना था अखंड भारत जिसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और 1947 के बटवारे के बाद देश की रियासतों का एकीकरण और अखंड भारत के निर्माण में उनका बहुत योगदान है। जब देश का बटवारा हो रहा था तब कई रियासतों ने स्वतंत्र रहने की मांग की तो कुछ ने पाकिस्तान(Pakistan) का चुनाव किया पर सरदार के मज़बूत इरादे थे जिसने भारत को टूटने नहीं दिया इस कारण से उन्हें "आयरन मेन(IRON MAN)" कहा जाता है। 15 दिसंबर, 1950 को बम्बई(Bombay) में उनका निधन हो गया।

जीवन परिचय

सरदार जी का जन्म गुजरात(Gujarat) के नडियाद(Nadiad) में एक लेवा पटेल(leva patel) उर्फ़ पाटीदार जाती में हुआ था। उनके पिता झवेरभाई पटेल(Jhaverbhai Patel) और माँ लाडबा देवी(Laad Bai) थी जिनकी वह चौथी संतान थे। उनकी ज़्यादातर पढाई घर में हुई है।

लेकिन वकालत के लिए वह लंदन(London) चले गए और वापस आ कर उन्होंने अहमदाबाद (Ahmedabad) में काम शुरू कर दिया। गाँधी जी का उनपर इतना असर हुआ की उन्होंने आंदोलन में भाग लेना शुरू कर दिया। आज़ादी के आंदोलन में सरदार साहब का सबसे पहला और बड़ा योगदान था 1918 का खेडा संघर्ष।

उस समय खेडा खण्ड या डिवीज़न(division) भयंकर सूखे से जूझ रहा था, किसानों ने अंग्रेजी हुकूमत से कर में छूट की मांग भी की लेकिन अँग्रेज़ों ने इस विनती को अस्वीकार किया। इस बात पर गुस्साए सरदार पटेल(Sardar Patel), गाँधी जी(Gandji Ji) और अन्य लोगों ने किसानों को कर ना देने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत को झुकना पड़ा और सरकारी करो में रहत देनी पड़ी। सरदार पटेल(Sardar Patel) की यह लड़ाई राजनीति की पहली जीत थी।

फिर 1928 में गुजरात में एक और आंदोलन हुआ "बारडोली सत्याग्रह(Bardoli Satyagraha)" जिसका नेतृत्व सरदार जी ने किया। ब्रिटिश सरकार ने कर में 30 प्रतिशत की वृद्धि कर दी जिसके विरोध में सरदार जी ने बारडोली सत्याग्रह(Bardoli Satyagraha) शुरू कर दिया।

सरदार का सपना था अखंड भारत जिसके लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और 1947 के बटवारे के बाद देश की रियासतों का एकीकरण और अखंड भारत के निर्माण में उनका बहुत योगदान है
"तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा", का नारा देने वाले सुभाष चन्द्र बोस जिन्हें सब नेता जी के नाम से भी जाते है भारत की आज़ादी के मशहूर और सबसे बड़े नेता

ब्रिटिश सरकार ने इस बार जीत की ठानी थी उन्होंने आंदोलन को कुचलने के लिए बड़े दर्दनाक और कठोर कदम उठाए लेकिन सरदार जी और उनके साथियों ने हार नहीं मानी और आखिर में किसान की मांग को सरकार ने मान लिया।

आज़ादी के बाद पहले प्रधानमंत्री बनने की बारी आई तो अधिकांश कांग्रेस समितियों ने सरदार जी को अपने प्रधानमंत्री के रूप में देख लिया था लेकिन गाँधी जी की इच्छा के अनुसार उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री पद की रेस से बाहर रखा और नेहरू जी(Nehru Ji) का समर्थन करने लगे। बाद में उन्हें उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बनाया गया।

किन्तु इसके बाद भी नेहरू जी और सरदार जी के सम्बन्ध में खिंचाव ही रहा यहाँ तक की कई बार दोनों ने अपने-अपने पद का त्याग करने की बात कह दी थी।

सरदार पटेल का गृहमंत्री का कार्यकाल

नेहरू मंत्रिमंडल में आने के बाद उनका पहला काम और चुनौती यह थी की भारत की देसी रियासत को भारत में कैसे मिलाये। उन्होंने अपनी सूझ-बुझ से बिना खून खराबे के ही सभी राज्यों को अखंड भारत का हिस्सा बना दिया सिवाय हैदराबाद(Hyderabad) के, वहाँ उन्हें ओप्रशन पोलो के तहत सेना भेजनी पड़ी।

स्वतंत्रता के समय भारत में कुल 562 देसी रियासत थी। बटवारे के पहले से ही सरदार जी वी.पी मेनन के साथ राजा-रजवाड़ों से मिलने और उन्हें भारत में विलय के लिए मनाने में लग गए। जिसका परिणाम यह हुआ की सभी रियासतें विलय निति को स्वीकार कर दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए मन गई सिवाय जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़(Junagadh) और हैदराबाद (Hyderabad) के।

जूनागढ़(Junagadh) वैसे तो छोटी रियासत थी लेकिन वह चारों तरफ से भारत से घिरी थी पाकिस्तानी सिमा तो दूर थी। लेकिन 15 अगस्त, 1947 को वहाँ के नवाब ने पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी। जूनागढ़(Junagadh) की जनता की संख्या ज़्यादा हिन्दू थी और वह भारत में आना चाहती थी जिसके बाद भारतीय सेना जूनागढ़(Junagadh) में घुस गई।

दर के नवाब पाकिस्तान जा बैठा और 9 नवंबर, 1947 को जूनागढ़(Junagadh) भारत का हिस्सा बन गया फिर फरवरी 1948 को वहाँ जनमत संग्रह हुआ और वहाँ की जनता ने भारत में विलय को चुन लिया।

अब समस्या था हैदराबाद(Hyderabad), क्युकी हैदराबाद(Hyderabad) भारत के बीचोबीच था और वहाँ के निज़ाम ने पाकिस्तान की बात मान स्वतंत्र रहने की घोसना कर दी। हैदराबाद(Hyderabad) के निज़ाम ने सैन्य शक्ति को बढ़ाना शुरू कर दिया, नए-नए हथियार हैदराबाद(Hyderabad) मंगवाने लगे जिस से सरदार जी घबरा गए और हैदराबाद (Hyderabad) पर हमला बोल दिया। 15 सितम्बर, 1948 को वहाँ के निज़ाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और हैदराबाद(Hyderabad) ने विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

भारत की अखंडता और एकता बनाने के लिए उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाने लगा। जम्मू-कश्मीर(Jammu & Kashmir) को नेहरू जी अंतराष्ट्रीय मुद्दा बता कर संयुक्त राष्ट्रसंघ (United Nations organisation) ले गए। 5 अगस्त, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और अमित शाह ने अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त कर विशेष राज्य का अधिकार जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) से छीन लिया और जम्मू-कश्मीर(Jammu-Kashmir) को भारत का हिस्सा बना दिया और सरदार जी का अखंड भारत का सपना पूरा कर दिया।

सरदार जी और उनकी रचनाएँ

संघर्ष भरी ज़िन्दगी जीने वाले सरदार पटेल को किताब लिखने का समय तो ना मिला लेकिन उन्हें टिप्पणी, पत्र और कवितायेँ लिखी है जो आज भी लोग पढ़ते है।

उनके लेखन इतने प्रसिद्ध है की आज भी उनकी कवितायेँ या पत्र अलग-अलग भाषा में छपते रहते है। जिसमें "सरदार पटेल: चुना हुआ पत्र-व्यवहार", "सरदार श्री के विशिष्ट और अनोखे पत्र", "भारत विभाजन(partition of india)", "गाँधी,नेहरू,सुभाष(Gandhi, Nehru, Subhash)", और "आर्थिक एवं विदेश निति(Arthik Evam Videsh Neeti)" शामिल है

पटेल साहब के सम्मान में गुजरात में उनकी एक प्रतिमा बनाई गई जो विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा है जिसका नाम "स्टेचू ऑफ़ यूनिटी" है। ऐसे महान नेता को जितना याद किया जाए, जितना सम्मान दिया जाए काम है।

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