UDID Project
UDID Project 
सरकारी योजना

UDID Project

Anjali Satya Sharma

UDID योजना 2016 को लागू किया गया था। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (Department of Empowerment of Persons with Disabilities) ने हाल ही में सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केवल UDID पोर्टल का उपयोग करके विकलांगता का प्रमाण पत्र जारी करना अनिवार्य कर दिया है। यह 1 जून, 2021 से लागू होगा।

UDID का अर्थ Unique ID for Persons with Disabilities Project है। इस परियोजना का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के लिए एक सार्वभौमिक आईडी और विकलांगता प्रमाणपत्र प्रदान करना है।

इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों का डेटाबेस तैयार करने और प्रत्येक दिव्यांग को एक विशिष्ट अद्वितीय अक्षमता पहचान पत्र जारी करने के उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा है।

यह परियोजना ना केवल विकलांग लोगों को सरकारी लाभ देने में पारदर्शिता (transparency), दक्षता और सुगमता को प्रोत्साहित करेगी बल्कि एकरूपता भी सुनिश्चित करेगी। यह परियोजना कार्यान्वयन के सभी स्तरों-ग्रामीण स्तर(levels-rural level), ब्लॉक स्तर(block level), जिला स्तर(district level), राज्य स्तर(state level) और राष्ट्रीय स्तर(National level) पर लाभार्थियों की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की ट्रैकिंग को सरल बनाने में भी मदत करेगी।

हाल ही में UDID Project 2016 को लागू किया गया है जिसके तहत दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केवल UDID पोर्टल का उपयोग करके विकलांगता का प्रमाणपत्र जारी करना अनिवार्य बना दिया है।

UDID Project 1 जून, 2021 से लागू होगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के लिए एक सार्वभौमिक आईडी और विकलांगता प्रमाणपत्र प्रदान करना है।

क्या है UDID Project?

यह प्रोजेक्ट "विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग" के द्वारा शुरू किया गया है। UDID Project में UDID वार्ड का मतलब है Unique Disabilities ID यानी दिव्यांग जनो को एक यूनिक ID नंबर प्रदान किया जाएगा।

जिसकी सम्पूर्ण देश में प्रासंगिकता रहेगी। UDID Project एक ऑनलाइन माध्यम है जिसके द्वारा हम दिव्यांगता संबंधी सभी प्रश्नो के उत्तर दिव्यांगता प्रमाण पत्र पंजीकरण आदि सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इस प्रोजेक्ट का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर देश में मौजूद दिव्यांग लोगों का रिकॉर्ड डाटा(Record data) तैयार करना, ट्रैक करना तथा सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का उन्हें लाभ पहुंचाना है।

UDID कार्ड एक राष्ट्रीय पहचान पत्र की तरह कार्य करेगा जैसे- आधार कार्ड(Adhar Card), पैन कार्ड(Pan Card) और वोटर ID कार्ड(Voter ID Card) है। UDID कार्ड सम्पूर्ण देश में वैद्य है जिसका इस्तेमाल देश में कहीं भी किया जा सकता है। यह परियोजना केवल पारदर्शिता कार्यकुशलता तथा दिव्यांग जनों को सरकारी लाभ प्रदान सुगम करना ही नहीं बताती है बल्कि यह सार्वभौमिकता भी सुनिश्चित करती है।

"Right with Disability Act, 2016" के तहत कुल 21 प्रकार की डिसैबिलिटीज(Disability) को इसमें शामिल किया गया है। 1995 वाले कानून में केवल 7 प्रकार की डिसैबिलिटीज को मान्यता दी गयी थी। इस परियोजना का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के लिए एक राष्ट्रीय साटाबेस तैयार करना है।

इसके अलावा इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के लिए एक UDID, अर्थात Unique Disability Identity Card जारी करना है। इस परियोजना के माध्यम से देश भर में विकलांग व्यक्तियों के डेटा की ऑनलाइन(Online) उपलब्धता हो सकेगी साथ ही विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना और आवेदन पत्र जमा करना सहज होगा।

इस परियोजना में व्यक्ति विकलांग अधिनियम 1995 पर आधारित विकलांगता को ही शामिल किया गया है।

योजना का लाभ और विशेषताएं

UDID परियोजना दस्तावेज़ों की कई प्रतियां बनाने की आवश्यकता को हटा देगी। UDID कार्ड सभी आवश्यक विवरणों को कैप्चर करेगी। यह भविष्य में विभिन्न लाभों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक सत्यापन और पहचान का एकल दस्तावेज़ होगा।

यह गांव, ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर से शुरू होने वाले सभी स्तरों पर लाभार्थियों की वित्तीय प्रगति को ट्रैक करने में मदत करेगा। अद्वितीय अक्षमता पहचान परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों का डेटाबेस(Database) तैयार करने और प्रत्येक दिव्यांग को एक विशिष्ट अद्वितीय अक्षमता पहचान पत्र जारी करने के उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा है।

यह परियोजना न केवल विकलांग लोगों को सरकारी लाभ देने में पारदर्शिता, दक्षता और सुगमता को प्रोत्साहित करेगी बल्कि एकरूपता भी सुनिश्चित करेगी। यह परियोजना कार्यान्वयन के सभी स्तरों-ग्रामीण स्तर, ब्लॉक स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर लाभार्थियों की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की ट्रैकिंग(tracking) को सरल बनाने में भी मदत करेगी।

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 दिव्यांग व्यक्ति, 1995 को प्रतिस्थापित करता है। इस अधिनियम में विकलांगता को एक विकसित और गतिशील अवधारण के आधार पर परिभाषित किया गया है तथा अपंगता के मौजूदा प्रकारों को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया है।

इस अधिनियम द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 3% से बढ़ाकर 4% तथा उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण को 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया गया है।

इस परियोजना की विशेषताओं में देश भर में विकलांग व्यक्तियों के डेटा की ऑनलाइन उपलब्धता के लिए एक केंद्रीकृत वेब एप्लीकेशन(Centralized Web Application), विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए ऑनलाइन फॉर्म(Online Form) भरना और आवेदन पत्र जमा करना, अस्पतालों द्वारा विकलांगता के प्रतिशत की गणना करने की प्रक्रिया को तेज़ करना और विकलांग व्यक्तियों के बारे में जानकारी का ऑनलाइन अपडेशन(Online Updation) और नवीनीकरण आता है।

UDID Project दस्तावेज़ों की कई प्रांतीय बनाने की आवश्यकता को हटा देगी। UDID कार्ड सभी आवश्यक विवरणों को कैप्चर करेगा। यह भविष्य में विभिन्न लाभों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक सत्यापन और पहचान का एकल दस्तावेज़ होगा। यह गांव, ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर से शुरू होने वाले सभी स्तरों पर लाभार्थियों की वित्तीय प्रगति को ट्रैक करने में मदत करेगा।

सुगम्य भारत अभियान जिसे दिव्यांगजनों के लिए एक सक्षम और बाधा रहित वातावरण तैयार करने के लिए शुरू किया गया था। दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना(Deendayal Disabled Rehabilitation Scheme) के तहत दिव्यांग व्यक्तियों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

सहायक यंत्रों, उपकरणों की खरीद या फिटिंग के लिए विकलांग व्यक्तियों को सहायता योजना का उद्देश्य दिव्यांगजनों की सहायता के लिए उचित, टिकाऊ, परिष्कृत और वैज्ञानिक रूप से निर्मित, आधुनिक, मानक सहायता तथा उपकरणों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य दिव्यांग छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए अवसरों में वृद्धि करना है।

भारत सरकार UDID बनाने के लिए आवेदकों से उनके पते सहित व्यक्तिगत विवरण रोज़गार को विस्तृत जानकारी, पहचान का विवरण और विकलांगता विवरण एकत्र करती है। देश में 5 प्रकार की दिव्यांगता है।

इसमें दृष्टि से संबंधित असमर्थता से पीड़ितों की संख्या सर्वाधिक यानी 48.5% के आसपास है जबकि पैरों से संबंधित विकलांगता 27.9% मानसिक विक्षिप्त 10.3% बोलने से लाचार की 7.5% और श्रवण बाधित 5.8% है। भारत में 1995 में विकलांग व्यक्ति अधिनियम पारित हुआ। इसके तहत विकलांग और निशक्तजनों के लिए समान अवसर अधिकार, सुरक्षा तथा पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने में मदत मिली।

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