
भारत के मिसाइल मैन अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम उर्फ़ ए.पी.जे अब्दुल कलाम भारत के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
उन्हें जनता के राष्ट्रपति भी कहा जाता था। वह बतौर भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने-माने वैज्ञानिक और इंजीनियर पुरे देश में मशहूर है।
उनका मन्ना था की परिस्तिथिया कैसी भी हो अगर आपने ठान लिया की सपना पूरा करना है और उसके लिए मेहनत और परिश्रम किया तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। उनके विचार, उनकी बातें आज भी युवा पीढ़ी को प्रेरित करती है।
कलाम सर ने बतौर सइंटिस्ट और इंजीनियर इसरो और D.R.D.O. संभाला। और भारत के नागरिक अन्तरिक्ष कार्यक्रम व सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहें।
कलाम सर ने 1974 में भारत की पहली मूल परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई। कलाम सर को भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस दोनों के समर्थन से 2002 में राष्ट्रपति चुना गया।
पांच साल राष्ट्रपति रहने के बाद कलाम सर शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा में लग गए।
उन्हें भरता के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया और उसके अलावा भी कई पुरस्कार उन्होंने अपने नाम किए।
15 अक्टूबर, 1931 को धनुष्कोडी, तमिलनाडु में एक मद्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में उनका जन्म हुआ। कलाम सर के पिता जैनुलाब्दीन ना तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे और ना ही पैसे वाले थे, वह मछुआरों को अपनी नाव किराये पर दे कर घर का खर्चा चलाते थे।
कलाम सर एक संयुक्त परिवार में पीला-बढे थे। कलम सर के परिवार को मिला कर उस घर में तीन परिवार रहा करते थे। कलम सर पांच भाई और पांच बहन थे।
नन्हे से कलाम की ज़िन्दगी पर उनके पिता का बड़ा प्रभाव रहा है।
भले अब्दुल कलाम के पिता इतने पढ़े-लिखे नहीं थे लेकिन उनकी लगन और मेहनत ने हमेशा कलाम सर को प्रेरित किया, उनके दिए संस्कार कलाम सर की ज़िन्दगी में बड़ा काम आए।
कलाम की प्राथमिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय से ही हुई। जब वह पांच वर्ष के थे तो कक्षा में चल रहे विषय से प्रेरित हो कर उन्होंने पायलट बनने के सपने संजोना शुरू कर दिया। पैसे की कमी के कारन कलाम की शिक्षा रुकने की नौबत आ गई।
अपनी आगे की पढाई जारी रखने के लिए उन्होंने अख़बार बाटना शुरू कर दिया। कलाम जी ने 1950 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज से अंतरिक्ष विज्ञानं में डिग्री हासिल की। और 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का हिस्सा बन गए।
भारत के पहले स्वदेश उपग्रह एस.एल.वी3 को बनाने और फिर अंतरिक्ष में भेजने तक के सफर में उनका बड़ा योगदान रहा। 1998 में किए गए पोखरण परमाणु परिक्षण का वह हिस्सा भी थे।
वैसे तो वह अपनी कई सी बातों और कामों के लिए मशहूर रहे लेकिन अग्नि और पृथ्वी मिसाइल उनके सर्वश्रेष्ठः योगदान है।
कार्यालय छोड़ने के बाद कलाम सर भारतीय प्रबंधन संस्थान {IIM} में शिलॉन्ग, अहमदाबाद, इंदौर और बंगलोर के मानद फेलो और विजिटिंग प्रोफेसर बन गए।
उन्होंने कई अंतरिक्ष इंजीनियरिंग या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग करवाने वाले संस्थानों से नाता जोड़ लिया। उन्होंने बंगलोर, बनारस, हैदराबाद, तिरुवंतपुरम आदि के विश्वविद्यालय में भी पढ़ाना शुरू कर दिया।
कलाम सर ने 2012 में देश के युवाओं के लिए "मैं आंदोलन को क्या दे सकता हूँ", के नाम से एक कार्यक्रम करवाया जो भ्रष्टाचार हटाने के एक केंद्रीय विषय पर था। कलाम सर ने अपने जीवन के हर रोल को बेहद सादगी और पूरी सफलता के साथ निभाया है।
चाहे फिर वह एक बेटा बनना हो या फिर देश का राष्ट्रपति, उन्होंने कभी किसी को शिकायत का मौका नहीं दिया।
27 जुलाई, 2015 की शाम अब्दुल कलाम आई.आई.एम., शिलोंग में "रहने लायक ग्रह", पर लेक्चर दे रहे थे की तभी उन्हें जोरदार दिल का दौरा पड़ा और वह बेहोश हो गए।
हाबड़-ताबड़ में उन्हें बेथानी हॉस्पिटल ले जाया गया, जहाँ उन्हें आई.सी.यू. में भर्ती कर लिया गया और 2 घंटे बाद करीब 07:30-07:45 के आस-पास डॉक्टर ने उनके निधन की पुष्टि की। अपने निधन के 9 घंटे पहले उन्होंने आई.आई.एम, शिलोंग जाने की खबर ट्वीट की थी।
मृत्यु के तुरंत बाद कलाम सर के पार्थिव शरीर को गुवाहाटी लाया गया जहाँ से अगले दिन उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया।
इसके बाद तिरंगे में लिपटे कलाम सर को सबने श्रद्धांजलि दी और पुष्पहार अर्पित किया। फिर दिल्ली से कलाम सर का पार्थिव शरीर उनकी जन्मभूमि रामेश्वरम ले जाया गया जहाँ एक बस स्टैंड के पास आखिरी श्रद्धांजलि का इंतज़ाम किया गया।
और 30 जुलाई, 2015 को पूर्व राष्ट्रपति कलाम को पुरे सम्मान के साथ विदा किया गया।
कलाम ने अपने साहित्यिक विचार भी चार किताबों में संजो दिया ताकि उनके चाहने वाले उन्हें पढ़ सके और कलाम सर को याद कर सके।
"इंडियन 2020 ए विज़न फ़ॉर द न्यू मिलेनियम", "माई जर्नी" और "इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया" उनकी लोकप्रिय किताब है।
इन किताबों का अनुवाद कई भाषाओं में हो चूका है और कलाम सर की यह किताबें देश विदेश में हर जगह मशहूर है।