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तीन बीजेपी नेताओं की हत्या की ज़िम्मेदारी लेने वाला कश्मीरी आतंकी संगठन ‘टीआरएफ’

Pramod

Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan

इसी वर्ष यानी साल 2020 के मार्च महीने में दो नए आतंकी संगठनों का गठन हुआ है जिनमें से एक टीआरएफ और दूसरा तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामी (TMI) है. इन संगठनों की उपज का आधार 370 का हटना माना जा रहा है.

मुख्य बिंदु-

  • इसी साल जम्मू-कश्मीर में तीन बीजेपी नेताओं की हत्या की जिम्मेदारी नए कश्मीरी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है.
  • कश्मीर का यह आतंकी संगठन इसी वर्ष मार्च महीने में अस्तित्व में आया है.
  • सुरक्षा एजेंसियों के बताए अनुसार यह संगठन लश्कर-ए-तयैबा का ही फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है.

गुरुवार यानी 29 अक्टूबर के दिन जम्‍मू-कश्मीर के कुलगाम में आतंकियों ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के तीन नेताओं की हत्या कर दी. आतंकियों ने बीजेपी के इन तीन नेताओं की कार पर उस वक्‍त हमला किया जब वे अपने घर को जा रहे थे. भयंकर गोलियां बरसाई गईं, गोली लगने से तीनों बीजेपी नेताओं की मौके पर ही मौत हो गई. मौत के कुछ घंटों बाद ही आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली फिर उसी दिन सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में पंपोर निवासी इशफाक अहमद डार दो ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार हुआ जो टीआरएफ का आतंकी है. आतंकी इशफाक अहमद डार से पूछताछ जारी है.

अब तक की पूछताछ में डार ने बताया है कि वह आतंकी संगठन टीआरएफ के साथ जुड़ा हुआ है. वह इस इलाके में ग्रेनेड हमले के लिए आया हुआ था. पूछताछ में पता चला है कि वह कुछ महीनों पहले पुलवामा में हुए ग्रेनेड हमलों में भी शामिल था. पकड़ा गया आतंकी इशफाक अहमद डार अपने इलाके के युवाओं को आतंकवाद के रास्ते पर लाने का काम कर रहा था. इसके साथ ही युवाओं को कई तरह के लालच देकर उनसे ग्रेनेड हमले करवाने की साजिश रचता था जिससे कि सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाया जा सके. इस तरह से वह कई इलाकों में हमले करवा चुका है, जिनकी परतें पूछताछ में धीरे-धीरे खुल रही हैं.

TRF आतंकी संगठन पकिस्तान से संचालित लश्कर का ही फ्रंट है: सूत्र

कश्मीर में इसी वर्ष मार्च महीने में दो नए आतंकी संगठनों का गठन हुआ है जिनमें एक टीआरएफ और दूसरा तहरीक-ए-मिल्लत-ए-इस्लामी (TMI) है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, TRF पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तयैबा का ही फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन है, इसे उसी की पनाह मिली हुई है. सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि हर साल मार्च-अप्रैल के बीच इस तरह के नए संगठन सामने आते हैं जो कुछ ही महीनों में फिर गायब हो जाते हैं. यह संगठन कोई नए आतंकी संगठन नहीं होते बल्कि जो मौजूदा आतंकी संगठन हैं, उनके ही लोग अलग-अलग नाम से ग्रुप बना लेते हैं. इनका मकसद दूसरे आतंकी संगठनों के लोगों को तोड़कर अपने साथ शामिल करना होता है. इसे आतंकी संगठनों के बीच पल रही आपसी रंजिश भी कहा जा सकता है. लेकिन इन सभी का मकसद एक ही होता है, निर्दोषों की हत्याएं करना और आतंक फैलाना.

नया उत्साह भरने के लिए बनाए जाते हैं नए संगठन-

सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक, ये नए नए संगठन इसलिए बनाए जाते हैं ताकि युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया जा सके. उनका माइंड वाश करके उन्हें ये लालच दी जाती है की इस संगठन में उन्हें बड़ा ओहदा मिलेगा उनका नाम होगा और संगठन का मकसद बड़ा है. युवाओं में नया जोश भरने के मकसद से   नए संगठन का गठन किया जाता है जबकि असल में यह सब ड्रामा होता है. उन्होंने कहा कि लश्कर के लोगों ने ही ये TRF नाम का संगठन बनाया है ताकि हिजबुल के आंतकियों को अपने साथ ला सकें. सुरक्षा एजेंसी का मानना है कि अभी भी कश्मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद ये तीनों आतंकी संगठन ही हैं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई इन्हें फंडिंग कर रही है. इसके अलावा और कोई भी संगठन नहीं है, जो भी हैं सब दिखावे के लिए हैं.

बहरहाल, वर्चस्व स्थापित करने के लिए टीआरएफ ने कुछ बयान जारी कर आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन को चुनौती दी थी. इसी साल 24 अप्रैल को आतंकियों ने अनंतनाग से जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक सिपाही को अगवा किया था, जिसे सुरक्षा बलों ने छुड़ा लिया था. मुठभेड़ दो आतंकी ढेर हुए थे. इसके बाद टीआरएफ ने बयान जारी किया और कहा, कि 'कुछ दिन पहले हमने हिजबुल को चेतावनी दी थी कि कश्मीरी पुलिस वालों और सिविलियंस को मारना बंद करें. लेकिन उन्होंने फिर एक जम्मू-कश्मीर पुलिस वाले को किडनैप किया.' अंजाम बुरा होगा.

TRF द्वारा कहा गया कि हिजबुल को यह समझना चाहिए कि हमारी लड़ाई सेना से है न कि कश्मीरियों से. हम कश्मीरियों के सपोर्ट के बिना सेना से नहीं लड़ सकते. इसी बयान में TRF ने यह भी बताया कि हिजबुल का एक कमांडर अब टीआरएफ में शामिल हो गया है. साथ ही कहा कि अगर हिजबुल ने कश्मीरी पुलिस और लोगों को मारना बंद नहीं किया तो अब वॉर्निंग नहीं दिया जाएगा, सीधे ऐक्शन लिया जाएगा. कश्मीर से हिजबुल का नामोनिशान मिटा दिया जाएगा.

ख़ुफ़िया तंत्र के सूत्रों के अनुसार, अब कश्मीर के लोग पाकिस्तान समर्थक और पाकिस्तानी आतंकियों से ऊब चुके हैं, सुरक्षा एजेंसियों और सुरक्षा बालों के साथ उनसे जुडी जानकारी भी साझा करने लगे थे. हालफिलहाल आतंक की राह पर गए स्थानीय युवा भी विदेशी आतंकियों की हरकतों से परेशान हैं। साथ ही आतंकी संगठनों की अलग-अलग विचारधारा और उसका टकराव उनके बीच बड़ी जंग में तब्दील हो रहा है. जिसका एक नमूना जून 2019 में देखने को मिला. जून 2019 में अनंतनाग के बिजबेहारा में रात को आतंकियों के बीच हुई लड़ाई में एक आतंकी मारा गया और जबकि एक घायल हुआ जिसे सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया था.

जंग की वजह क्या है?

ख़ुफ़िया तंत्र के सूत्रों के मुताबिक हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तयैबा के आतंकियों ने इस्लामिक स्टेट हिंदू प्रोविंस (ISHP) के आतंकी पर हमला किया था. आतंकी संगठनों के बीच यह विचारधारा की लड़ाई तो है ही, साथ ही विदेशी आतंकी और प्रो-पाकिस्तानी आतंकियों की हरकतों से लोकल आतंकी परेशान भी हैं। जहां जहां एक ओर लोकल आतंकियों को आम कश्मीरियों की फ़िक्र है वहीँ पाकिस्तानी व अन्य विदेशी आतंकियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जान किसकी जा रही है उनको सिर्फजान लेने से मतलब है. सूत्रों के मुताबिक, आईएसएचपी और एजीएच के आतंकी इस्लामिक स्टेट बनाने की लड़ाई लड़ रहे हैं और पूरी तरह से इस्लाम को फॉलो करने की बात करते हैं, वे पांच वक्त नमाज पढ़ते हैं. इसमें सभी लोकल आतंकवादी हैं जिन्हें लोकल लोगों से सहानुभूति भी मिल जाती है. यही विचारधारा की लड़ाई इनके बीच विष का काम कर रही है.

हिजबुल मुजाहिद्दीन और लश्कर की बात करें तो दोनों संगठन प्रो-पाकिस्तानी हैं और कश्मीर को पाकिस्तान में शामिल करना अपना मुख्य उद्देश्य बताते हैं. दोनों के बीच इस विचारधारा की लड़ाई तो है ही, साथ ही हिजबुल और लश्कर के विदेशी आतंकी कश्मीर में आम लोगों के साथ ज्यादती भी करते हैं, खासकर महिलाओं और बच्चों के साथ, जो कश्मीरी आतंकियों को हरगिज़ बर्दास्त नहीं. प्रो पाकिस्तानी आतंकी किसी भी घर में घुसकर महिलाओं का उत्पीड़न करते हैं जिससे लोकल आतंकी उनकी हरकतों के खिलाफ हैं और अब इसका खुलकर विरोध भी करने लगे हैं. प्रो-पाकिस्तानी आतंकी संगठन से कई आतंकी आईएसएचपी और एजीएच में शामिल हुए हैं क्योंकि वह कश्मीरी महिलाओं की इज्जत न करने वाले विदेशी आतंकियों के खिलाफ हैं. बता दें, आईएसएचपी और एजीएच संगठन के आतंकियों का मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना नहीं है बल्कि कश्मीर सहित पूरे हिन्दोस्तान को इस्लामिक स्टेट में तब्दील करना है. 

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