अगर पुलिसवाले ने तोड़ा ट्रैफिक रूल तो ‘डबल जुर्माना’, ऑनलाइन जुर्माना भरने का तरीका भी जानिए!
अगर पुलिसवाले ने तोड़ा ट्रैफिक रूल तो ‘डबल जुर्माना’, ऑनलाइन जुर्माना भरने का तरीका भी जानिए! 
News

अगर पुलिसवाले ने तोड़ा ट्रैफिक रूल तो ‘डबल जुर्माना’, ऑनलाइन जुर्माना भरने का तरीका भी जानिए!

Manthan

अगर पुलिसवाले ने तोड़ा ट्रैफिक रूल तो 'डबल जुर्माना', ऑनलाइन जुर्माना भरने का तरीका भी जानिए!

Ashish Urmaliya || The CEO Magazine

नया मोटर व्हीकल एक्ट(Motor Vehicle Act)-  1 सितंबर 2019 से ट्रैफिक(यातायात) के नियमों में बदलाव कर दिया गया है। नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हो चुका है और इसके अंतर्गत ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की दर में इजाफा किया गया है। कुछ राज्य बच गए थे उनमें यह नियम लागू होने में 2-3 दिन का और वक्त लग गया, लेकिन अब ये एक्ट पूरी तरह से देशभर में लागू हो चुका है। एक्ट लागू होते ही पुलिस अलर्ट पर आ गई और लगातार चालान काटे जाने लगे। उसके बाद शुरू हुआ मीम्स बनने का सिलसिला- एक के बाद एक मीम सोशल मीडिया पर उछाले जाने लगे, कुछ मजेदार थे तो कुछ जागरुक करने वाले।

इसी बीच एक यूजर पूछ बैठा, कि अगर कोई पुलिसवाला ट्रैफिक रूल तोड़ता है, तो वह क्या जुर्मान देगा?

 हमारी नजर इस ट्वीट पर पड़ी इससे पहले कि हम स्क्रीनशॉट ले पाते ट्वीट डिलीट हो गया. लेकिन हम उन भाई साहब को बताना चाहते हैं, कि वैसे तो पुलिस वाला भी देश का नागरिक ही होता है। लेकिन वह इस व्यवस्था में है, इसलिए नियम बनाने वालों ने इस बात का भी विशेष ध्यान रखा है, कि उनके लिए नियमों में थोड़ा बदलाव जरूरी है। जी हां, अगर कोई पुलिस वाला यातायात के नए नियमों को तोड़ता है, तो उससे आम आदमी से दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा, ऐसा नियम कहता है। इसका पालन कितना होगा वह समय ही बताएगा।

200 से ज्यादा पुलिस वालों का कटा था चालान!

पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में 200 से ज्यादा पुलिस वालों का ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को लेकर चालान कटा था। दिल्ली में जारी की गई एडवाइजरी के मुताबिक, अब जो चालान कटेगा उसमें सरकारी व प्राइवेट वाहन में भेदभाव नहीं किया जायेगा।

खैर, मर्ज जितना बड़ा होता है, दवाई भी उतनी ही ज्यादा डोज़ की दी जाती है। ऐसा मैंने देखा और सुना है। पूरे देश में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन और सड़क हादसों को लेकर अब तक जो आंकड़े हैं वह बेहद चौकाने वाले हैं। देश में हर साल हजारों लोगों की जान ट्रैफिक नियमों का पालन न करने की वजह से जाती हैं और इन आंकड़ों में जवान यानी युवा पीढ़ी की संख्या ज्यादा है, जो कि देश की सबसे बड़ी हानि है।

जो लोग इन ट्रैफिक नियमों का विरोध कर रहे हैं उनको सोचना चाहिए, कि अब इन नियमों के बाद लोगों के बीच डर का माहौल बन गया है। पहले ट्रैफिक नियम उतने सख्त नहीं थे, जैसे कि विकसित देशों में होते हैं। लोग हेलमेट लगाने से पहले सोचते थे कि यार हेयरस्टाइल खराब हो जाएगी, नहीं पहनना। कोई अगर रोकेगा भी, तो 2-5 सौ रूपए पकड़ा कर निकल लेंगे, नाबालिग तूफ़ान की स्पीड से सड़कों पर गाड़ी दौड़ते थे। लेकिन अब जब लोगों को सुनने में आ रहा है कि 15 हजार की कीमत वाले स्कूटर का 23 हजार का जुर्माना कटा है तो वाहन रखने वाले लोगों को सुनने भर में पसीना आ रहा है। अब उनको अपने हेयरस्टाइल की चिंता नहीं होगी और पूरे नियमों का पालन करते हुए सड़क पर निकलेंगे।

सबसे बड़ी बात यह है, कि यह जो फैसला लिया गया है, वह वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर लिया गया है। अब आप सोचिये आज देश के लगभग 80 फीसदी घरों में कोई न कोई वाहन जरूर है। सरकारें इतना कठिन फैसला इसलिए नहीं लेतीं थी, क्योंकि यह फैसला लगभग पूरे देश से जुड़ा हुआ है और इसके बाद लोगों में रोष बढ़ेगा और उनका वोट बैंक खराब होगा। और अगली बार सरकार गिर जाएगी(गठबंधन वाली होगी, तो कभी भी गिर जाएगी)। लेकिन मोदी जी को तो इस बात का भी डर नहीं है, आपने पूर्ण बहुमत जो दे रखा है।

चालान ऐसे काटे जा रहे हैं, जैसे लंदन की सड़कें हों!

लोगों द्वारा इस पर भी बड़े मीम्स बनाये जा रहे हैं। जिनमें सड़क के गड्ढों की तस्वीरों के साथ जुर्माने की रकम को दिखाया जा रहा है, तो पहली बात और चिंतनीय बात तो यह है कि अभी भी देश के गांव गांव में पुलिस चौकी नहीं है। विकासखंडों, नगर पंचायतों, जनपद पंचायतों तहसीलों की पुलिस वहन के एक बड़े क्षेत्र को कण्ट्रोल करती है। तो एक-एक गांव में तो इस नियम का फिलहाल पालन होने से रहा लेकिन जो मुख्य मार्ग हैं जहां पुलिस की ज्यादा रीच है, वहां इन नियमों पर मुस्तैदी से काम होगा। वैसे तो देश के कौने-कौने में सड़कों का निर्माण बहुत तेज़ी से चल रहा है, दारोमदार गडकरी जी के हाथों में है। मानता हूं, अभी भी कुछ ऐसे गांव हैं जहां सड़कों की हालत खराब हैं लेकिन दुबई जैसी सड़कें चाहिए तो, उसकी शुरुआत इस तरह के नियमों के साथ ही होगी और होनी भी चाहिए। बदलाव में समय लगता है।

ट्रैफिक हवलदार तो नोट बिछे बिस्तर पर सोयेंगे!

एक मीम पर मेरी नजर गई जिसको लोग दबा कर शेयर कर रहे हैं। उसमें एक बिस्तर को दर्शाया गया है जिसमें खूब सारे नोट बिछे हुए हैं और एक ट्रैफिक हवलदार हाथ पसारे खुशी के साथ उसके ऊपर लेटा हुआ है। मीम बनाने वाले का उद्देश्य यह समझाना है कि, अब सड़कों पर घूसखोरी होगी और वह ट्रैफिक हवलदार करेंगे, लोगों को छोड़ने के लिए, ज्यादा पैसे वसूलेंगे और मालामाल हो जायेंगे। तो में मानता हूं कुछ हद तक यह संभव भी है, कि कुछ ट्रैफिक हवलदार, पुलिस वाले घूसखोरी करें। लेकिन यह घूसखोरी कोई नई बात नहीं यह पहले भी होती आई है, लेकिन अब जैसे की जुर्माना बढ़ा है वैसे ही घूसखोरों के रेट भी बढ़ेंगे। इस वजह से लोग चालान कटवाना ही बेहतर समझेंगे या फिर नियमों का पालन करेंगे, क्योंकि अधिक पैसे दोनों ही कंडीशन में लगने हैं। और दूसरी बात यह है कि जो भी चालान कटेगा उसकी भरपाई पब्लिक को नजदीकी ट्रैफिक कोर्ट में करना है और सरकार ने जुर्माना भरने के लिए ऑनलाइन सुविधा की शुरुआत भी कर दी है। तो अब आपको ट्रैफिक हवलदार या पुलिस वाले को हैंड टू हैंड कैश देने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है।

अच्छे फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए, और विपक्ष का मकसद सिर्फ विरोध नहीं होना चाहिए। एक पत्रकार होने की हैसियत से में भी सरकार की अनुचित योजनाओं का हमेशा विरोध करता हूँ। लेकिन अच्छे और उचित फैसलों का समर्थन करना भी मेरा फर्ज है।

ऑनलाइन चालान भरने यहां जाएं-

नियम है, कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान काटे जाने के बाद आपको ऑन स्पॉट जुर्माना भरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। या तो आप कोर्ट में या फिर ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं। और ऑनलाइन भुगतान करने के लिए आपको  https://echallan.parivahan.gov.in/index/accused-challan वेबसाइट पर जाना होगा।

दिल्ली वासी हैं, तो तीस हजारी कोर्ट ने एक पलट प्रोजेक्ट के तौर पर वर्चुअल कोर्ट पोर्टल यानी vcourts.gov.in का उद्घाटन किया है। लिहाजा यहां ट्रैफिक चालान का ऑनलाइन भुगतान आसानी से किया जा सकता है। यह देश का ऐसा पहला लीगल पोर्टल है।

https://hindi.news18.com/news/business/motor-vehicle-act-2019-in-hindi-what-are-the-offences-penalties-for-policeman-2392192.html

भावना AI में प्रौद्योगिकी: भावनाओं को समझना और प्रतिक्रिया देना

अंतरिक्ष पर्यटन में प्रौद्योगिकी: कमर्शियल अंतरिक्ष यात्रा

व्यक्तिगत कैंसर थेरेपी में प्रौद्योगिकी: सटीक ऑन्कोलॉजी

क्वांटम कंप्यूटिंग में प्रौद्योगिकी: क्वांटम सर्वोच्चता की ओर

ड्रग डिस्कवरी में एआई की भूमिका: फार्मास्यूटिकल्स में प्रौद्योगिकी समाधान