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भारत में 57% लड़कियों की तुलना में 85% लड़के STEM करियर की चाहत रखते हैं

इसी साल 2021, जून के महीने में 'इंडियाज फ्यूचर इन टेक्नोलॉजी एंड नेक्स्ट जेनरेशन एंड STEM शीर्षक' पर एक सर्वेक्षण किया गया है। जिसमें दिल्ली, बैंगलोर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, पुणे, हैदराबाद और कोचीन समेत बड़े भारतीय शहरों के 5,000 बच्चों और 5,000 पेरेंट्स को शामिल किया गया था।

Ashish Urmaliya

STEM (विज्ञान(Science), प्रौद्योगिकी(Technology), इंजीनियरिंग(Engineering) और गणित(Mathematics)) क्षेत्रों में लैंगिक असमानता को उजागर करने वाले एक एक सर्वेक्षण के अनुसार, देश में 85 प्रतिशत लड़कों की तुलना में मात्र 57 प्रतिशत लड़कियां ही STEM क्षेत्रों में अपना करियर(Career) बनाना चाहती हैं।

इसके पीछे का कारण- रोबोटिक्स(Robotics), कोडिंग(Coding) और तकनीकी प्रदाता (technical provider)'आविष्कार(Invention)' द्वारा किए गए इस सर्वे से पता चला है कि 'लड़कियों के माता-पिता की तुलना में लड़कों के माता-पिता आने वाली पीढ़ी को तकनीकी शिक्षा व STEM क्षेत्रों की शिक्षा दिला पाने में अधिक समर्थ हैं।

साथ ही उन माता-पिताओं का यह भी मानना है कि हमारे देश में इन क्षेत्रों में काम करने का माहौल लड़कों के लिए ज्यादा उपयुक्त है और लड़कियों के लिए कम। सर्वे में इस बात की जानकारी भी लगी है कि STEM क्षेत्रों में 95% बच्चे किसी पुरुष को ही अपना रोल मॉडल मानते हैं और इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण इन क्षेत्रों में 'महिला रोल मॉडल की कमी' है।

बता दें, 'आविष्कार' द्वारा किए गए India’s Future in Next-Generation Tech & STEM शीर्षक वाले सर्वे में चेन्नई(Chennai), हैदराबाद(Hyderabad), दिल्ली एनसीआर(Delhi NCR), मुंबई(Mumbai), बेंगलुरु(Bengaluru), कोची(Kochi) एवं पुणे (Pune), आदि शहरों के 5,000 बच्चों और 5,000 पेरेंट्स को शामिल किया गया था।

मार्च, 2021 में जारी हुई वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम(World Economic Forum (WEF)) की ग्लोबल जेंडर गैप(Global Gender Gap) रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे देश में मात्र 29.2 प्रतिशत महिलाएं ही तकनीकी क्षेत्रों में अपनी भूमिका निभाती हैं। और तो और, इस मामले में भारत 2020 की तुलना में 2021 में 28 पायदान नीचे पहुंच गया है। पहले भारत इस मामले में 112वें स्थान पर था अब 140 पर पहुंच गया है।

रोबोटिक्स(Robotics), कोडिंग(Coding) और तकनीकी प्रदाता (technical provider)' आविष्कार(Invention)' की CEO सह-संस्थापक पूजा गोयल(Pooja Goyal) कहा, “नई चीजों के निर्माण और नए समाधान बनाने की प्रक्रिया विफलता से भरी हुई है। इसके लिए बहुत अधिक धैर्य और लचीलेपन की आवश्यकता होती है. हमें अपने बच्चों के अंदर ये दोनों कौशल विकसित करने की आवश्यकता है।

हमें ज़रुरत है कि हम अपने बच्चों, खासतौर पर लड़कियों को जोखिम उठाने के लिए तैयार करें और उनके लिए एक ऐसा माहौल करें जहां वे विचारों पर मंथन कर सकें और आउट ऑफ़ द बॉक्स(Out of the box) सोच सकें।

हमारा अगला कदम जेंडर निष्पक्षता(gender Discrimination) का होना चाहिए, ज़रूरी नहीं कि हर लड़की STEM करियर(STEM Career) बनाए लेकिन जिन बच्चों की इसमें रूचि है और इस क्षेत्र में अच्छे हैं उन सभी को ऐसा करने का अवसर मिलना चाहिए फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की।'

लगभग 33 प्रतिशत पेरेंट्स को लगता है कि देश का मौजूदा स्कूली पाठ्यक्रम उनके बच्चों को नेक्स्ट जेनरेशन तकनीक एवं STEM में भविष्य बनाने में मदद करने के लिए कुछ हद तक तैयार हैं। वहीं 90 फीसदी माता-पिताओं का मानना है स्कूलों में इस तरह के पाठ्यक्रम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

बता दें, सर्वेक्षण में स्कूलों को व्यावहारिक शिक्षा शुरू करने एवं बच्चों को इनोवेशन की दुनिया से परिचित कराने एवं मेकेनिकल टीचिंग तकनीक(mechanical teaching technique) से दूर होने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।

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