पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से एक बार फिर आर्थिक राहत मिली है। IMF ने पाकिस्तान के लिए 1 अरब डॉलर की नई किश्त को मंजूरी दी है, जो देश की डूबती अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण सहारा बन सकती है।
पाकिस्तान 1950 से IMF का सदस्य है और अब तक 24 बार IMF से ऋण ले चुका है। हर बार आर्थिक संकट, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी, या भुगतान संतुलन की समस्या के समय पाकिस्तान ने IMF का दरवाजा खटखटाया है। हालिया वर्षों में, 2023 में IMF ने पाकिस्तान को 3 अरब डॉलर का स्टैंडबाय अरेंजमेंट (SBA) दिया था, और 2024 में 7 अरब डॉलर के विस्तारित फंड सुविधा (EFF) कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी।
9 मई 2025 को IMF की कार्यकारी बोर्ड ने पाकिस्तान के EFF कार्यक्रम की पहली समीक्षा पूरी की, जिससे पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की तत्काल सहायता मिली। इसके अलावा, IMF ने पाकिस्तान के लिए 1.4 अरब डॉलर के नए जलवायु लचीलापन फंड (RSF) को भी मंजूरी दी, जो प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगा।
भारत ने IMF की इस मंजूरी पर कड़ी आपत्ति जताई है। हाल ही में कश्मीर में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत हुई थी, के बाद भारत ने IMF से पाकिस्तान को दिए जा रहे ऋण की समीक्षा की मांग की थी। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान इन फंड्स का उपयोग सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने में कर सकता है। IMF की बैठक में भारत ने मतदान से दूरी बनाई और अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ वर्षों से गंभीर संकट में है। 2023 में मुद्रास्फीति 40% तक पहुंच गई थी, और विदेशी मुद्रा भंडार केवल 4.1 अरब डॉलर तक गिर गया था। हालांकि, IMF की सहायता और सख्त आर्थिक सुधारों के बाद, 2024 में स्थिति में कुछ सुधार देखा गया। मुद्रास्फीति घटकर 1.5% हो गई, और स्टॉक मार्केट ने रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल की।
IMF की सहायता से पाकिस्तान को अस्थायी राहत तो मिली है, लेकिन दीर्घकालिक स्थिरता के लिए संरचनात्मक सुधार आवश्यक हैं। राजकोषीय घाटा, कर संग्रह की कमी, और ऊर्जा क्षेत्र में सुधार जैसे मुद्दों पर गंभीरता से काम करना होगा। इसके अलावा, भारत के साथ बढ़ते तनाव और आतंकवाद के आरोपों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पाकिस्तान की छवि पर भी असर पड़ सकता है।
IMF से मिली नई सहायता पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है, लेकिन यह तभी संभव है जब देश आंतरिक सुधारों और अंतरराष्ट्रीय विश्वास बहाली की दिशा में ठोस कदम उठाए। अन्यथा, यह राहत भी अस्थायी साबित हो सकती है।