
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर, जिनकी गिनती महानतम बल्लेबाज़ों में होती है। "लिटिल मास्टर" के नाम से प्रसिद्ध सुनील गावस्कर का पूरा नाम सुनील मनोहर गावस्कर है। गावस्कर एकमात्र ऐसे बल्लेबाज़ है जिन्होंने एक वर्ष में एक हज़ार से ज़्यादा रन बनाये है और यह जादू उन्होंने चार बार कर के दिखाया है।
सुनील ने अपने वक्त में कई सारे रिकॉर्ड बनाये और कई लोगों के रिकॉर्ड भी तोडे। 34 शतक लगा कर उन्होंने सर डॉन ब्रेडमेन का रिकॉर्ड तोड़ दिया इस के अलावा वह 10,000 से ज़्यादा रन बनाने वाले एकमात्र खिलाडी है। गावस्कर पहले बम्बई क्रिकेट टीम का हिस्सा बने उसके बाद उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाई।
उनका सबसे अधिक टेस्ट रन और टेस्ट शतक बनाने का रिकॉर्ड करीब 2 दशक बाद सचिन तेंदुलकर ने तोडा।
उनका जन्म 10 जुलाई, 1949 को मुम्बई, महाराष्ट्र में हुआ। उनकी शिक्षा सेंत ज़ेवियर्स स्कूल और कॉलेज में हुई। उन्होंने क्रिकेट की शिक्षा "गिल्स" और "हैरिस शील्ड" टूर्नामेंट के लिए खेलते वक्त ली।
उन्होंने पश्चिमी ज़ोन के लिए खेलते वक्त अखिल भारतीय स्कूल टूर्नामेंट में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और अच्छे प्रदर्शन के लिए उन्हें जे.सी.मुखर्जी मेमोरियल पुरस्कार से नवाज़ा गया। उसके बाद कॉलेज के दौरान भी उन्होंने "इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट" में काफी सफलता हासिल की।
वह दादर संघ में शामिल हुए और उन्होंने विज्जी ट्रॉफी के लिए मैच खेला जिसके बाद उन्हें मुंबई टीम में आने का न्योता मिल गया। उन्होंने ईरानी ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी के लिए भी खेला। सुनील की पत्नी का नाम मार्शनील गावस्कर है और बेटा रोहन गावस्कर है जो भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाडी रह चुके है।
गावस्कर अपने समय के विश्व क्रिकेट में एक साल में एक हज़ार रन, सबसे अधिक शतक और सबसे अधिक रन बनाने वाले एकमात्र व्यक्ति है। उन्होंने भारतीय टीम का अच्छा नेतृत्व कर, जित हासिल की जिसमें "एशिया कप" और "बेसन एंड हेज़ेल विश्वकप" शामिल है। गावस्कर को "क्रिकेट का आभूषण" भी कहा जाता था।
वह अपने खेल जीवन में जितने अनुभवी हो रहे थे उनका खेल उतना ही निखरता जा रहा था। अपने कॉलेज की तरफ से खेलने वाले सबसे सफल बल्लेबाज़ हुआ करते थे सुनील। 1971 में उन्हें वेस्ट इंडीज़ दौरे के लिए टेस्ट टीम में चुन लिया गया।
1975 का "वर्ल्डकप" गावस्कर और क्रिकेट प्रेमियों के दिमाग से नहीं जाता। इंग्लैंड ने 60 ओवर में 334 रन का पहाड़ जैसा लक्ष्य भारत के सामने रख दिया, जिसके बाद गावस्कर की धीमी बल्लेबाज़ी के कारन भारत 3 विकट पर 132 रन बना कर हार गई।
गावस्कर की धीमी बल्लेबाज़ी ने बड़े से सवालों और चर्चाओं को जन्म दिया। लोगों का मानना था कि श्रीनिवासन वेंकट राघवर को "वर्ल्डकप" की कप्तानी देने से गावस्कर ने ऐसी पारी खेली थी। हालांकि गावस्कर का कहना था कि उन्होंने अपना खेल खुद छोड़ा पर गेंदबाज़ों ने उन्हें आउट नहीं किया। सुनील ने बहुत से नए रिकॉर्ड बनाये और बहुत से खिलाड़ियों के रिकॉर्ड तोडे भी।
सुनील का बल्लेबाज़ी का तरीका रक्षात्मक और स्टाइलिश था। वह अपने अनोखे स्टाइल से गेंदबाज़ों को बड़ा परेशान किया करते। आलोचकों का कहना है, " गावस्कर गेंद के बड़े पास आने के बाद बल्लेबाज़ी किया करते। फ्रंट फुट पर उनकी तरह का खेल बाद में सिर्फ सचिन ही खेल पाए। सुनील सिर्फ भारत के ही नहीं विश्व क्रिकेट के धरोहर है। "
लेकिन एक बेहतरीन बल्लेबाज़, एक औसत कप्तान ही रहा। हलांकि अलग-अलग लोगों ने उनकी कप्तानी के लिए बहुत से विचार रखे। कप्तानी के वक्त सुनील ने टीम को अनुशासित रखा और खतरनाक टीम मानी जाने वाली ऑस्ट्रेलिया और वेस्ट इंडीज का डर खिलाड़ियों के दिल से निकाला। सुनील हमेशा ही विवादों से घिरे रहे।
1981 में मेलर्बोन में उन्हें आउट दिये जाने पर वह अपने साथी खिलाडी को भी मैदान से खिंच कर बाहर ले गए जिसके बाद मीडिया ने उनकी जम कर आलोचना की। गावस्कर ने हरभजन सिंह पर मंकीगेट का बयान दिया जिसके बाद देश-विदेश की मिडिया ने उनकी कड़े शब्दों में निंदा की।
सुनील ऐसे पहले भारतीय खिलाडी है जिनके नाम 100 से भी ज़्यादा कैच पकड़ने का रिकॉर्ड है। गावस्कर को पद्म भूषण और पद्म श्री से नवाज़ा गया तो 2012 में उन्हें "कर्नल सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड फॉर क्रिकेट इन इण्डिया" से सम्मानित किया गया।
उसके बाद 28 मार्च, 2014 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बी.सी.सी.आई. का अंतरिम प्रेसिडेंट बनाया ताकि वह IPL के 7वें सीजन पर नज़र रख सकें।
सुनील गावस्कर पर कई किताबें लिखी गई और लोगों को वह पसंद भी आई, इन किताबों में “सनिडेज”, "आइडल्स", "रन्स एंड रुइन्स", "वन डे वन्डर" शामिल है।