स्मार्टफोन, डिजिटल तकनीक का उपयोग आपके दिमाग को कमजोर नहीं करता: अध्ययन
स्मार्टफोन, डिजिटल तकनीक का उपयोग आपके दिमाग को कमजोर नहीं करता: अध्ययन 
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स्मार्टफोन, डिजिटल तकनीक का उपयोग आपके दिमाग को कमजोर नहीं करता: अध्ययन

Ashish Urmaliya

सिनसिनाटी विश्वविद्यालय(University of Cincinnati) के सामाजिक एवं व्यवहार विशेषज्ञ एंथनी केमेरो(Social and behavioral expert Anthony Camaro) द्वारा एक शोध किया गया है जिसके अनुसार, दुनिया में तकनीक को लेकर कई तरह के नकारात्मक विचार फैले हुए हैं, जबकि इसमें अनगिनत सकरात्मकताएं भी भरी हुई हैं।

हाल ही, नेचर ह्यूमन बिहेवियर(Nature Human Behaviour) संबंधित पेपर का सह-लेखन करने वाले दर्शन और मनोविज्ञान(Psychology) के यूसी प्रोफेसर(Russian professor) ने कहा, सिर्फ बनाई हुई बातों और ख़बरों के अलावा किसी के पास भी इस बात को सिद्ध करने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि स्मार्टफोन(Smartphone) और डिजिटल तकनीक हमारी जैविक संज्ञानात्मक क्षमताओं(biological cognitive abilities) को नुकसान पहुंचाती है।'

इस पेपर में, प्रोफेसर केमेरो(Professor Camaro) और उनके सहयोगियों ने टोरंटो विश्वविद्यालय(University of Toronto) के रोटमैन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट(Rotman School of Management) में डिजिटल युग के विकास पर चर्चा की, जिसमें बताया गया कि कैसे स्मार्ट तकनीक इंसानी सोच को पूरक बनाती है और मानव को कोई भी काम करने में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करती है।

चर्चा के दौरान केमेरो(Camaro) ने कहा, स्मार्टफोन(Smartphone) और डिजिटल तकनीक के चलते हमारी जैविक संज्ञानात्मक क्षमताओं में बदलाव आता है और ये बदलाव वास्तव में संज्ञानात्मक रूप से फायदेमंद हैं।

उदहारण देकर समझाते हुए उन्होंने कहा, आपके स्मार्टफोन(Smartphone) किसी भी जगह का रास्ता जनता है, इसलिए कहीं भी जाने के लिए आपको अपने साथ कोई मानचित्र रखने या किसी से रास्ता पूछने की ज़रुरत नहीं।

यह बात आपको एक शांति व चिंता रहित अनुभव देती है, आपके दिमाग की ऊर्जा को किसी और जगह उपयोग में लाने के लिए बचाती है। यही बात एक प्रोफेशनल सेटिंग(professional setting) में भी सच बैठती है: आज 2021 में हमें गणित की समस्याएं हल करने के लिए पेंसिल व पेपर लेकर नहीं बैठना पड़ता। डायरी में फोन नंबर नहीं लिखने पड़ते, उन्हें याद नहीं करना पड़ता।

साथ ही उन्होंने कहा, स्मार्टफोन(Smartphone), टैबलेट(tablet) व कंप्यूटर(Computer) हमेशा एक सहायक के रूप में काम करते हैं। ये सभी एक ऐसे उपकरण के रूप में काम करते हैं जो हमें किसी भी जानकारी को याद रखने, गणना करने एवं सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। और जब भी हमें उस जानकारी की ज़रुरत होती है तो ये उपकरण हमें तुरंत व आसानी से उस जानकारी को प्राप्त करने में भी सहायक होते हैं।

नई शोध संबंधित पेपर के प्रमुख लेखक लोरेंजो सेकुट्टी(Lorenzo holiday) (टोरंटो विश्वविद्यालय में PhD कैंडिडेट(A Phd Candidate in University of Toronto)) कहते हैं, 'मौजूदा दौर की स्मार्ट तकनीक मानव के निर्णय लेने के कौशल को बढ़ाती है। वह कौशल जो मानव के लिए अपने दम पर हासिल करना काफी मुश्किल है।

हमारे फोन में मौजूद जीपीएस तकनीक (GPS technology) न सिर्फ हमें हमारे लक्षित स्थान तक पहुंचाने में मदद करती है बल्कि हमें यातायात की स्थिति के आधार पर मार्ग चुनने में भी सहायक होती है।' जैसा कि हम सभी जानते हैं एक नए शहर में एक स्थान से दुसरे स्थान तक जाना कितना मुश्किल कार्य होता है।

प्रोफेसर केमेरो ने अपनी चर्चा में आगे कहा, 'जब आप इस सारी तकनीक को एक नग्न मानव मस्तिष्क के साथ जोड़ते हैं और आपको कुछ अद्यभुत ही प्राप्त होगा। कहने का मतलब ये है कि हम अपनी तकनीक के पूरक हैं। हम वास्तव में अपनी गैर-पूरक जैविक क्षमताओं के मुकाबले कहीं अधिक जटिल कार्यों को पूरा करने में सक्षम हैं।'

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