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क्या कश्मीर में लागू होने वाला है ‘इस्राइली मॉडल’? आखिर ये है क्या?

Lubna

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

घाटीमें जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य होता जा रहा है। इसी बीच एक शीर्ष भारतीय राजनायिक नेजम्मू-कश्मीर में इस्राइली मॉडल को अपनाने की बात का समर्थन किया है तबसे ही इस बातकी चर्चा तेज हो गई है और सवाल उठ रहा है, कि क्या भारत कश्मीर में इस्राइली रणनीतिपर काम कर रहा है?

इस बात से घाटी में बवाल मच चुकाहै। 

दरअसल,भारत के महावाणिज्यदूत संदीप चक्रबर्ती ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान कहाथा कि "भारत सरकार को कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए इस्राइल जैसीनीति अपनानी चाहिए। बता दें, इस कार्यक्रम में बॉलीवुड की कुछ दिग्गज हस्तियों समेतअमेरिका में रहने वाले कुछ कश्मीरी पंडित भी मौजूद थे। संदीप चक्रबर्ती का इस बयानवाला वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ।

तो आइये 'इस्राइली मॉडल' को समझलेते हैं और यह जान लेते हैं, कि यह इस्राइल में कितना सफल हुआ?

मॉडलसमझ आते ही आपको यह भी समझ आ जायेगा, कि घाटी में इसका जमकर विरोध क्यों हो रहा है।  

साल1967 में इस्राइल का पड़ोसी देशों (इजीप्ट, जॉर्डन, सीरिया) के साथ युद्ध हुआ था, जो'6 डे वॉर' के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में इस्राइल ने इन देशों के कई इलाकेकब्जिया लिए थे। कब्ज़ा करने के बाद इस्राइल ने उन इलाकों में अपने लोगों को बसाने कीनीति अपनाई थी। इन कब्जे वाले इलाकों में पूर्वी येरूशलम, वेस्ट बैंक, गोलान की पहाड़ियांआदि शामिल हैं।

युद्धसे पहले पूर्वी येरूशलम और वेस्ट बैंक में जॉर्डन का कब्ज़ा हुआ करता था और गाजापट्टीमें ईज़िप्ट का लेकिन अब इजराइल का है। इन इलाकों को लेकर इन सभी देशों और इस्राइल केबीच अब भी विवाद की स्थिति बनी हुई है।

बतादें, 1967 के युद्ध से पहले वेस्ट बैंक और पूर्वी येरूशलम पर जॉर्डन का अधिकार था।वहीं गाजा पट्टी पर मिस्र का कब्जा था। लेकिन युद्ध के बाद इस्राइल के अंतर्राष्ट्रीयसमुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त ग्रीन लाइन के बाहर के इलाके में अपना विस्तार करनाशुरू कर दिया। ऐसा इसलिए क्यूंकि ग्रीन लाइन के बाहर का इलाका इस्राइल की सुरक्षा कीदृष्टि से महत्वपूर्ण था।

ग्रीनलाइन के बाहर सर्वसम्मति से अपने विस्तार के फैसले के बाद इस्राइली सरकार ने उन इलाकोंमें अपने खर्च पर कॉलोनियां बसानी शुरू कर दी। इस्राइल के लोग इन कॉलोनियों में रहनेके लिए आएं, इसके लिए सरकार ने इन कॉलोनियों को आकर्षक रूप प्रदान किया साथ ही कई तरहके टैक्स में भी छूट दी। इन सभी प्रलोभनों के चलते बहुत सारे लोग यहां निवासी बननेआ गए। लोग यहां पर हमेशा बने रहें, इसके लिए सरकार ने उन्हें और भी कई दूसरी सुविधाएंमुहैया करवाई थी। 

एकरिपोर्ट के मुताबिक, इस्राइल द्वारा बसाये गए इन सभी इलाकों में अभी 132 बस्तियां और113 आउटपोस्ट हैं. जिनमें 4 लाख से अधिक लोग रहते हैं।

हालांकिकई बड़े अंतर्राष्ट्रीय संगठन इन कॉलोनियों को अवैध करार दे चुके हैं। इसके बावजूद इस्राइलने इन इलाकों में लोगों को बसाने का काम जारी रखा है। ये कॉलोनियां लगातार विकराल रूपलेती जा रही हैं। वेस्ट बैंक में यह काम बहुत ज्यादा तेज़ी से चल रहा है। हालांकि बड़ेविवाद के चलते गाजापट्टी में यह प्रक्रिया धीमी है।  

तोये है 'इस्राइली मॉडल', जिसका अनुसरण करने की सलाह कई जानकार भारतीय सरकार को दे रहेहैं। सरकार को सलाह दी जा रही है, कि कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने केलिए इसी मॉडल को अपनाये। अब गृह मंत्री अमित शाह पर निर्भर करता है कि वे इस सलाह कोकितनी गंभीरता से लेते हैं। हालांकि टॉप भारतीय राजनयिक के इस बयान को पाकिस्तानी प्रधानमंत्रीइमरान खान मानव अधिकार विरोधी बता चुके हैं। 

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