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फांसी दे भी दी गई, तो जल्लाद कहां से लाओगे?

Lubna

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

आगेबढ़ें उससे पहले, मेरे मन की बात-  तिहाड़ मेंजल्लाद हो न हो। प्रियंका रेड्डी और निर्भया के आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी मिले।मैं जल्लाद बनने को तैयार हूँ और उम्मीद है आप भी होंगे।

ऐसीख़बरें हैं, कि दिल्ली में दिसंबर 2012 को चलती बस के अंदर मेडिकल की छात्रा निर्भयाके साथ दरिंदगी करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा की तारीख एक महीने के भीतर आ सकतीहै। लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन के पास निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाने के लिएकोई जल्लाद ही नहीं है। अदालत की ओर से ब्लैक वारंट जारी करने के बाद आरोपियों को कभीभी फांसी दी जा सकती है।

दरअसल,आरोपियों ने राष्ट्रपति से दया की दरख्वास्त की है, जैसे ही राष्ट्रपति इस याचिका कोख़ारिज करेंगे वैसे ही अदालत ब्लैक वारंट जारी कर देगी। इसके बाद फिर फांसी की तारीखतय होगी। लेकिन अभी तिहाड़ प्रशासन को एक अलग ही चिंता सता रही है कि जलाद कहां से लाएं।आपको बता दें, भारत में जो अंतिम फांसी दी गई थी, वह भारतीय संसद हमले के आरोपी अफजलगुरु को दी गई थी। उस वक्त जेल के ही एक कर्मचारी ने फंदा खींचने पर सहमति जताई थी।सूत्रों के मुताबिक, इस समस्या से निपटने के लिए तिहाड़ के अधिकारी अन्य जेलों से संपर्कसाध रहे हैं साथ ही उत्तर प्रदेश के के कुछ गावों में भी तलाश कर रहे हैं जहां से पहलेके जल्लाद ताल्लुक रखते थे।

खैर,मेरे हिसाब से तिहाड़ प्रशासन को इसकी कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ऐसे आरोपियोंको सजा देने के लिए देश का हर एक स्त्री सम्मान करने वाला व्यक्ति खड़ा हो जायेगा। मैंखुद खड़ा हो जाऊंगा।

लेकिनतिहाड़ जेल प्रशासन से एक दरख्वास्त जरूर है, कि फांसी को दुर्लभतम सज़ा मानकर जल्लादकी नियुक्ति न करने का विचार त्याग दें। क्योंकि अगर आप ही इन जघन्य अपराधों को हलकेमें लेंगे तो ऐसे गुनहगारों का और भी हौसला बढ़ेगा। जल्द से जल्द एक स्थायी जल्लाद कीन्युक्ति करें और उसकी घोषणा भी करें, जिससे इस तरह के अपराधियों के बीच भय का माहौलपैदा हो। 

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