इस वर्ष का दूसरा और अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) 7–8 सितंबर की रात होगा, जिसे आम भाषा में “Blood Moon” कहा जाता है।
सुतक काल दोपहर 12:57 बजे (IST) से शुरू हुआ और ग्रहण समाप्त होने तक जारी रहेगा।
ग्रहण की खगोलीय श्रेणियाँ इस प्रकार हैं:
Penumbra (आकाशीय छाया): रात 8:58 PM से शुरू |
Partial Eclipse (आंशिक ग्रहण): रात 9:57 PM से |
Totality (पूर्ण ग्रहण): लगभग रात 11:00 PM से लेकर सुबह 12:22 AM तक |
पूरी घटना का समापन सुबह 1:26 AM (8 सितंबर) को होगा |
यह ग्रहण लगभग 82 मिनट तक पूर्ण रहेगा—जिसे दुनिया में "Blood Moon" के नाम से लिखा जाता है । भारत के सभी प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और रांची में यह ग्रहण पूरी तरह दृष्टिगत रहेगा ।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: चंद्रमा के लाल रंग में दिखाई देने का कारण है—धरती की वायुमंडलीय पराबैंगनी रोशनी का विचलन, जिससे केवल लाल‑नारंगी प्रकाश चंद्रमा तक पहुँचता है ।
धार्मिक दृष्टि: हिन्दू परंपरा में ग्रहण को पवित्रता के नजरिए से लिया जाता है। सुतक काल में खाने‑पीने, यात्रा और पूजा‑पाठ से परहेज़ किया जाता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण कुंभ राशि में शतभिषा नक्षत्र के दौरान हो रहा है, जिससे कुछ राशियों पर सकारात्मक प्रभाव और कुछ पर सावधानी की ज़रूरत है ।
शुभ प्रभाव: मेष, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों के लिए यह ग्रहण लाभदायक माना जा रहा है—करियर, धन और पारिवारिक मामलों में सुधार संभव।
सावधानियाँ: वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, मकर और कुंभ राशि के जातकों को स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
सुतक शुरू होने के बाद (दोपहर 12:57 PM): खाना पकाना, पूजा, यात्रा और सामाजिक क्रियाओं से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान: घर में रहना, मंत्र जाप (जैसे “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ नमः शिवाय”), गंगाजल छिड़कना, सत्त्विक भोजन लेना शुभ।
गर्भवती और बीमार स्त्रियाँ: विशेष सावधानी बरतें—ग्रहण के दौरान आराम करें और बाहर जाने से बचें।
ग्रहण समाप्ति के बाद: स्नान करना, घर की सफाई और देवी-देवताओं की मूर्ति की शुद्धि करें।
यह ग्रहण आध्यात्मिक ऊँचाई का प्रतीक है—जहाँ खगोल, धार्मिक विश्वास और मानव भावनाएं एक साथ मिलती हैं। पितृपक्ष के इस दौरान, ऐसे खगोलीय घटनाएं पूर्वजों की स्मृति और आत्मिक शांति की भावना को और गहरा करती हैं।