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गायत्री मंत्र का अर्थ और जाप का सटीक तरीका जान लीजिये।

Lubna

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

हिन्दूधर्म में गायत्री माता को वेद माता भी माना जाता है। शास्त्रों में लिखा है, कि गायत्रीमंत्र का जाप मानव जीवन के लिए अति आवश्यक है। हिंदू धर्म में चार वेद हैं- ऋग्वेद,यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। इन सभी वेदों में वेदमाता गायत्री और गायत्री मंत्रके जाप का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यताएं हैं, कि अगर आप एक पूरे दिन में तीन बारभी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं, तो आपका जीवन सकारात्मकता की ओर अग्रसर होगा औरनकारात्मकता दूर चली जाएगी। साथ ही यह भी माना जाता है, कि मां गायत्री भक्तों के सभीदुखों को हरती हैं। इसके अलावा भी गायत्री मंत्र को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं।   

तोआइये इस खास मंत्र का अर्थ व जाप का तरीका जानते हैं…

अर्थ-

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्य धीमहि।

धियो यो न: प्रचोदयात्।

ॐ– ईश्वर, भूर्भुव: – प्राणस्वरूप व दु:खनाशक, स्व: – सुख स्वरूप, तत् – उस , सवितु:– तेजस्वी, वरेण्यं – श्रेष्ठ, भर्ग: – पापनाशक, देवस्य – दिव्य, धीमहि – धारण करे,धियो – बुद्धि ,यो – जो, न: – हमारी , प्रचोदयात् – प्रेरित करे. यह तो हुआ एक-एक शब्दका अर्थ, अब पूरा अर्थ पढ़ लीजिये-

उसप्राणस्वरूप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्माको हम अंतरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करे।

जाप का तरीका भी जान लीजिये-

–गायत्री मंत्र का जाप करते वक्त रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।

–इसलिए हमेशा पालथी मारकर बैठिये और ध्यान रहे, कि आपको कुशा के बने आसान पर बैठना है।

–इस अद्यभुत मंत्र के जाप से पहले, शरीर की शुद्धि करना बेहद ज़रूरी है, इसीलिए आमतौरपर लोग सुबह स्नान करके ही जाप करते हैं।  

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