"भारत रत्न"अटल बिहारी वाजपेयी एकलौते ऐसे नेता है जो 4 राज्यों की 6 सीट पर चुनाव लडे और जीते भी
"भारत रत्न"अटल बिहारी वाजपेयी एकलौते ऐसे नेता है जो 4 राज्यों की 6 सीट पर चुनाव लडे और जीते भी 
प्रेरणा

"भारत रत्न"अटल बिहारी वाजपेयी एकलौते ऐसे नेता है जो 4 राज्यों की 6 सीट पर चुनाव लडे और जीते भी

Pramod

अटल साहब(Atal Saheb) ने पहली बार 16 मई से 1 जून, 1996 में प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी निभाई, फिर 1998 में एक बार फिर उन्हें प्रधानमंत्री चुन लिया गया।

उसके बाद 19 मार्च, 1999 से 22 मई, 2004 तक वह देश के प्रधानमंत्री रहे। वह गैर-कांग्रेसी पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना कार्यकाल बिना किसी समस्या के पूरा किया। अटल साहब(Atal Saheb) हिंदी के कवी, पत्रकार और एक बेहतरीन सार्वजनिक वक्ता थे।

उनकी मशहूर रचनाओं में "मेरा परिचय", "भारत ज़मीन का टुकड़ा नहीं", और "मौत से उठ गई" जैसी कविताएं शामिल है।

अटल साहब(Atal Saheb) दस बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके है। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयं सेवक के प्रचारक के रूप में बिताया जिसके लिए उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने की कसम खा ली। आजीवन अविवाहित रहने की कसम के कारन उन्हें भीष्म पितामह भी कहा जाने लगा।

जीवन परिचय

मध्य प्रदेश के ग्वालियर(Gwalior) रियासत के अध्यापक पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी (Pandit Krishna Bihari Vajpayee) उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) में आगरा जनपद (Agra district) के बटेश्वर(Bateshwar) के रहने वाले थे।

25 दिसंबर, 1924 के ब्रह्मममुहृत में सहधर्मिणी कृष्ण वाजपेयी(Krishna Vajpayee) ने अटल जी(Atal Ji) को जन्म दिया। उनके पिता न सिर्फ एक शिक्षक थे बल्कि हिंदी और ब्रज भाषा के प्रसिद्ध लेखक भी थे और उनकी यह लिखने की कला विरासत में अटल साहब(Atal sahab) के पास भी आ गई।

अटल जी की बी.ए. की पढाई ग्वालियर(Gwalior) के विक्टोरिया कॉलेज(Victoria College) (लक्ष्मीबाई कॉलेज(Lakshmibai College)) से हुई है। उसी वक्त से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए और राष्ट्रीय स्तर पर वाद-विवाद की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने लगे।

उन्होंने कानपूर(Kanpur) के दी.ए.वी(DAV) से राजनीतिक शास्त्र में ऍम.ए. की परीक्षा को फर्स्ट डिवीज़न से पास किया। पिता के साथ कानपुर(Kanpur) में एल.एल.बी की पढाई शुरू की लेकिन उसको बीच में छोड़ कर संघ के कार्यों में लग गए। देश विकास को लेकर अपने दृढ़ निश्चय और मेहनत के लिए उन्हें 2015 में भारत रत्न मिला

प्रधानमंत्री और कार्यकार

11 और 13 मई, 1998 को पोखरण(Pokhran) में पांच परमाणु परिक्षण कर के अटल सरकार ने भारत को परमाणु सम्पन शक्तिओं में शामिल कर दिया। इस प्रयोग को इतनी गोपनीयता से किया गया की सारे विकसित जासूसी हथियार होने के बाद भी पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी।

यही नहीं पश्चिमी देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबन्ध लगाए लेकिन अटल सरकार ने भरता के विकास का काम ज़ोर-शोर से जारी रखा।

"सदा-ए-सरहद(Sada-e-Sarhad)" नमक बस सेवा जो दिल्ली(Delhi) से लाहौर (Lahore) तक का सफर तय करेगी 19 फरवरी, 1999 में शुरू की गई जिसके पहले यात्री के तौर पर अटल जी(Atal Ji) नवाज़ शरीफ(Nawaz Sharif) से मिलने पाकिस्तान(Pakistan) गए और भारत-पाकिस्तान के रिश्ते को सुधारने की तरफ एक नया कदम बढ़ाया।

पर पाकिस्तान(Pakistan) ने भारत के कारगिल पर हमला कर कई चोटियों को अपने कब्ज़े में कर लिया, अटल जी(Atal Ji) ने वैसे तो भारतीय ज़मीन वापस से कब्ज़ा ली लेकिन नरमी और अंतरराष्ट्रीय लॉ(international law) का सम्मान करने की वजह से भारतीय जान-माल का बहुत नुकसान हुआ।

फिर भारत के चारों कोनों को आपस में जोड़ने के लिए अटल जी(Atal Ji) ने स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की जिसमें दिल्ली(Delhi), कोलकाता(Kolkata), चैन्नई(Chennai) और मुंबई(Mumbai) को राजमार्गों से जोड़ दिया जाएगा।

कहा जाता है अटल जी(Atal Ji) की सरकार ने भारत में जितनी सड़कें बानी इतनी केवल शेरशाह सूरी के शासनकाल में ही हुआ था।

मृत्यु

2009 में अटल साहब(Atal Ji) को दिल का दौरा पड़ा जिसके बाद उन्हें बोलने में कठिनाई आने लगी। फिर उन्हें 11 जून, 2018 को एम्स में किडनी में इन्फेक्शन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओ के लिए भर्ती किया गया।

और 16 अगस्त, 2018 शाम 05:05, उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए17 अगस्त, 2018 को हिन्दू संस्कृति अनुसार उन्हें विदा कर दिया गया।

उनकी गोद ली हुई बेटी निमिता कौल भट्टाचार्य(Namita Kaul Bhattacharya) ने उन्हें मुखाग्नि दी।

अटल साहब को पद्म विभूषण, लोकमान्य तिलक पुरस्कार, भारत रत्न आदि पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अटल जी कहा करते थे, "भारत के लिए मेरी एक दृष्टि है की भारत भूख, भय, निराक्षरता और अभाव से मुक्त रहे।" भारत आज भी उनके सपने जैसा बनने की कोशिश में है। वैसे तो अटल जी(Atal Ji) की लिखी हर कविता बहुत लोकप्रिय है लेकिन उनकी लिखी "रग-रग हिन्दू मेरा परिचय" बच्चे-बच्चे को मुंहजबानी याद है।

"यदि धधक उठे जल, थल, अम्बर, जड़, चेतन तो कैसा विस्मय?

हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय।"

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