Banana Farming: केले की खेती के सामने गेहूं-धान-गन्ना उगाना भूल जायेंगे, 8 लाख रुपए तक का मुनाफा
Banana Farming: केले की खेती के सामने गेहूं-धान-गन्ना उगाना भूल जायेंगे, 8 लाख रुपए तक का मुनाफा

Banana Farming: केले की खेती के सामने गेहूं-धान-गन्ना उगाना भूल जायेंगे, 8 लाख रुपए तक का मुनाफा

Banana Farming Business: कम समय में ज्यादा मुनाफे की खेती करना चाहते हैं तो केले की खेती से बेहतर कुछ नहीं।

अगर आप कम जमीन और काम लागत पर ज्यादा मुनाफा बनाने के बारे में सोच रहे हैं तो आपके लिए केले की खेती से बेहतर बिकल्प और कोई नहीं है।

आम के बाद केला भारत की दूसरी सबसे लोकप्रिय फल फसल है। अपने स्वाद, पौष्टिक और औषधीय गुणों के कारण यह पूरे साल उपलब्ध रहता है। यह सभी सामाजिक समूहों के लोगों का पसंदीदा फल है। केले में कार्बोहाइड्रेट(carbohydrates), विटामिन(Vitamin) विशेष रूप से विटामिन बी की मात्रा उच्च होती है। केले हृदय रोग के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है।

यह अस्थमा, उच्च रक्तचाप, अल्सर, आंत्रशोथ और गुर्दे की समस्याओं वाले लोगों के लिए भी अनुशंसित है। केले का उपयोग चिप्स, केले की प्यूरी, जैम, जेली, जूस, और बहुत कुछ सहित कई तरह की वस्तुओं को बनाने के लिए किया जाता है। पैक, पैन और वॉल हैंगर सभी केले के रेशे से ही बनाए जाते हैं। केले के कचरे का उपयोग रस्सी और उच्च गुणवत्ता वाले कागज बनाने के लिए किया जा सकता है।

केला भारत की सबसे सामान्य फल फसल है, उत्पादन के मामले में पहले और क्षेत्र के मामले में तीसरे स्थान पर है। भारत में महाराष्ट्र(Maharashtra) सबसे अधिक केले का उत्पादन करता है। मुख्य रूप से साउथ इंडियन राज्य जैसे कर्नाटक(Karnataka), आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) प्रमुख रूप से केले का उत्पादन करते हैं। अलावा गुजरात(Gujarat), असम(Assam) भी प्रमुख केला उत्पादक राज्य हैं।

आप भी केले की खेती से अच्छा ख़ासा मुनाफा कमा सकते हैं, लगभग एक हेक्टेयर ज़मीन पर केले की खेती कर आप 8 लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं। मुनाफा इतना तगड़ा होता है कि आपके खेती शुरू करते ही आपके पड़ोसी किसान भी इसकी खेती शुरू कर देंगे।

केले की खेती (Banana Farming Business) एक त्वरित और आसान ऑपरेशन होता है, लेकिन केले की वांछित मात्रा प्राप्त करने के लिए आपके केले के खेत, मजबूत यार्ड प्रबंधन कौशल, और केले की खेती के बारे में कुछ बुनियादी ज्ञान, जैसे भूमि चयन, पौधों की सिंचाई, देखभाल और प्रबंधन के लिए बहुत अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

और इसी तरह गहन खेती, टिकाऊ खेती, जैविक खेती, और निष्पक्ष व्यापार खेती केले के बागानों पर इस्तेमाल की जाने वाली चार मुख्य कृषि पद्धतियां हैं। लगभग 120 देश केले उगाते हैं।

विश्व में फलों का उत्पादन प्रति वर्ष 86 मिलियन टन होने का अनुमान है। लगभग 14.2 मिलियन टन के वार्षिक उत्पादन के साथ, भारत केले के उत्पादन में विश्व में अग्रणी है। ब्राजील (Brazil), इक्वाडोर(Ecuador), चीन(China), फिलीपींस(Philippines), इंडोनेशिया (Indonesia), कोस्टा रिका(Costa Rica), मैक्सिको(Mexico), थाईलैंड(Thailand) और कोलंबिया(Colombia) शीर्ष केला उत्पादक देशों में से हैं।

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केले की खेती कब, कहां और कैसे?

लगभग 14.2 मिलियन टन के वार्षिक उत्पादन के साथ, भारत केले के उत्पादन में विश्व में अग्रणी है। केले के पौधे विभिन्न प्रकार की जलवायु में सफलता की अलग-अलग डिग्री के साथ विकसित हो सकते हैं, लेकिन वाणिज्यिक केले के बागान मुख्य रूप से भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में, केला निर्यातक देशों में स्थित हैं।

केले की खेती 120 से अधिक देशों में की जाती है, जिससे प्रति वर्ष 105 मिलियन टन फल मिलता है। स्थानीय खपत के लिए उगाए गए केले आमतौर पर बड़े, पारंपरिक प्रणालियों में उगाए जाते हैं। केले बीज के बजाय एक बल्ब या राइज़ोम से उगाए जाते हैं, और केले के बल्ब को बोने और फल काटने में 9 से 12 महीने लगते हैं। छठे या सातवें महीने में केले का फूल खिलता है।

केले की रोपाई के लिए सबसे सही समय जून-जुलाई का होता है, लेकिन कुछ किसान अगस्त महीने तक इसकी रोपाई करते हैं। इसकी खेती जनवरी-फरवरी के आस-पास भी की जाती है। केले की फसल करीब 12-14 महीनों में पूरी तरह से तैयार होती है। केले के पौधों को करीब 8*4 फुट की दूरी पर लगाना चाहिए और ड्रिप की मदद से सिंचाई करनी चाहिए।

एक हेक्टेयर में करीब 3000 तक केले के पौधे लगाए जा सकते हैं।पौधों को नमी बहुत पसंद होती है क्योंकि नमी में ही वे अच्छी ग्रोथ प्राप्त कर पाते हैं। जब केले में फल आने लगें तो फलों की सुरक्षा के उपाय भी करने चाहिए, ताकि उन पर कोई दाग-धब्बा ना लगे और बाजार में अच्छा भाव मिल सके।

मौसमी ग्रोथ प्राप्त करने वाले सेब जैसे अन्य फलों से उलट केले पूरे साल उपलब्ध रहते हैं। केले, जो मुख्य रूप से एक उष्णकटिबंधीय फसल(crop of tropical areas) है, 15 से 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान और 75 से 85% के सापेक्ष आर्द्रता के स्तर में पनपते हैं। ये उष्णकटिबंधीय आर्द्र तराई क्षेत्रों में समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊँचाई पर अच्छी बढ़त हासिल करते हैं।

m.s.l. के ऊपर उपयुक्त किस्मों के उपयोग से, यह फसल भारत में आर्द्र उष्णकटिबंधीय से लेकर शुष्क हल्के उपोष्णकटिबंधीय(subtropical) जलवायु में भी उगाई जाती है। पौधों को Chilling injury तब होती है जब तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है।

80 किमी/घंटा से अधिक की हवा की गति फसल को नुकसान पहुंचाती है। मानसून का मौसम चार महीने (जून से सितंबर) तक रहता है, जिसमें औसत वर्षा 650-750 मिमी होती है। केले के जोरदार वानस्पतिक विकास के लिए वर्षा महत्वपूर्ण है। केले का उत्पादन उच्च ऊंचाई पर कुछ किस्मों तक सीमित है, जैसे 'पहाड़ी केला'।

केले की खेती के फायदे (Banana Farming Profit) भी जान लीजिए

केले की खेती को स्थानीय समुदायों के लिए एक प्रमुख वरदान माना जाता है। केले का सांस्कृतिक महत्व भी है, पूजा पाठ के लिए केले के पत्ते का उपयोग होता है, पूजन में केले के फल का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है, केले के पत्तों का उपयोग आगंतुकों के स्वागत के संकेत के रूप में सड़कों आजू-बाजू सजावट के लिए किया जाता है।

साथ ही साथ वित्तीय और स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि से भी केला महत्वपूर्ण हैं। केले की खेती पर ध्यान केंद्रित करने वाले समूह समय के साथ अपना उत्पादन बढ़ाने और अपनी आजीविका बढ़ाने में सक्षम हो जाते हैं।

1. केले अधिक उत्पादक फसल हैं. साथ ही अन्य फसलों की तुलना में केले की खेती में कम रखरखाव एवं कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है।

2. केले कब्ज से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

3. घरेलू हिंसा को कम किया जा सकता है यदि केला उगाने से परिवार की आय हो। चूंकि पैसा कमाना पुरुषों के लिए गर्व और सम्मान का एक स्रोत है, और जो लोग काम पाने में असमर्थ हैं, वे शराब को एक मुकाबला तंत्र के रूप में बदल सकते हैं, केले उगाने और पैसा कमाने में सक्षम होने से घरेलू परिस्थितियों में सुधार करने की क्षमता उत्पन्न होती है।

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जनपद में उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है- कृषि अधिकारी के के सिंह (झाँसी)

केले के पौधे कहां से मिलेंगे?

केले की खेती के लिए बीज नहीं बल्कि पौधों की ज़रुरत होती है और ये केले के पौधे आप कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं। नर्सरी आदि में काम करने वाले लोगों से संपर्क साध के भी आप केले के पौधे मंगवा सकते हैं या फिर केले की उन्नत किस्में मुहैया कराने वाली कंपनियों से सीधे बात कर सकते हैं।

कंपनियां आपके घर पर पौधों की डिलीवरी दे देंगी। वहीं तमाम राज्य सरकारें भी केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए पौधे मुहैया कराती हैं तो एक बार अपने जिले के कृषि विभाग से भी संपर्क कर लें। अगर आपके आस-पास कहीं केले की खेती होती है तो वहां से भी आप केले के पौधे हासिल कर सकते हैं। आपको केले का एक पौधा 15-20 रुपये तक के बीच की कीमत पर मिलेगा।

लागत और मुनाफे की बात-

एक हेक्टेयर जमीन में करीब 3000 केले के पौधे लगते हैं यानि लगभग 45-60 हजार रुपए तो आपको सिर्फ पौधों पर ही खर्च करने होंगे (Banana Farming Investment)। वहीं साल भर पौधों की देखभाल आदि में भी प्रति हेक्टेयर करीब 2.5-3 लाख रुपये तक का खर्च आता है। मौटे तौर पर देखें तो 12-14 महीने में तैयार होने वाली केले की फसल पर आपको प्रति हेक्टेयर करीब 3-4 लाख रुपये खर्च करने होंगे।

ये तो हो गई लागत अब मुनाफे पर आते हैं (Banana Farming Income)। तैयार होने के बाद एक केले के पेड़ से 25-40 किलो तक केले निकलते हैं। इस तरह एक हेक्टेयर जमीन पर उगे कुल पौधों से करीब 100 टन तक केले का उत्पादन होता है।

10-15 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ये केले थोक में बिकते हैं।अगर एक औसत कीमत 12 रुपये भी मान लें तो 100 टन केले से आपकी 12 लाख रुपये की कमाई होगी। लागत हटाने के बाद आपको साल भर में सीधा 8 लाख रुपए का सीधा मुनाफा होगा।

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