अमेरिका जाने के लिए मोदी जी के प्लेन ने 'पाकिस्तान एयरस्पेस' का सहारा क्यों लिया?

प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका दौरे पर हैं। ख़बरें हैं कि भारत ने पीएम मोदी की अमेरिकी उड़ान के लिए पाकिस्तान से उनके हवाई क्षेत्र को उपयोग करने की अनुमति मांगी थी। अनुमति मिली भी और इसी के चलते प्रधानमंत्री मोदी को पहली बार अमेरिका जाने के लिए लगभग 15 घंटे का वक्त लगा।
अमेरिका जाने के लिए मोदी जी के प्लेन ने 'पाकिस्तान एयरस्पेस' का सहारा क्यों लिया?
अमेरिका जाने के लिए मोदी जी के प्लेन ने 'पाकिस्तान एयरस्पेस' का सहारा क्यों लिया?

बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका के लिए नॉन-स्टॉप फ्लाइट ने अफगानिस्तान से बचने के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को संयुक्त राज्य अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं, जहां वह पहले दिन भारतीय मूल की अमेरिकन उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से मुलाकात करेंगे फिर 5 इंटरनेशनल कंपनियों के CEO से मिलेंगे। 24 व 25 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करेंगे और क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और साथ ही व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला और शीर्ष सरकारी अधिकारियों सहित एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल पीएम मोदी के साथ अमेरिका गया हुआ है। सरकारी बयानों के अनुसार, भारत ने पीएम मोदी की अमेरिकी उड़ान के लिए पाकिस्तान से उनके हवाई क्षेत्र को उपयोग करने की अनुमति मांगी थी, जिसके लिए इस्लामाबाद ने मंजूरी दे दी थी। यही वजह थी की प्रधानमंत्री मोदी की फ्लाइट को अमेरिका पहुंचने में पहली बार लगभग 15 घंटे से ज्यादा का वक्त लगा।

एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने ANI को बताया था, "पाकिस्तान ने भारत को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दी है।" इससे पहले, पाकिस्तान ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधान मंत्री मोदी को 2019 में भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद विदेश यात्रा के लिए तीन बार पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति से इनकार कर दिया था। जब पीएम मोदी अमेरिका और जर्मनी का दौरा कर रहे थे और राष्ट्रपति कोविंद आइसलैंड का दौरा कर रहे थे, तब इस्लामाबाद ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

तब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने 2019 में एक बयान में कहा था, “जम्मू और कश्मीर की स्थिति और भारत के रवैये, उत्पीड़न और बर्बरता … और क्षेत्र में अधिकारों के उल्लंघन के मद्देनजर, हमने भारतीय प्रधान मंत्री को अनुमति नहीं देने का फैसला किया है और हमने इस निर्णय से भारतीय उच्चायोग को अवगत करा दिया है।

उसके बाद भारत ने पाकिस्तान के इस इनकार पर अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के समक्ष पाकिस्तान के खिलाफ आधिकारिक रूप से विरोध दर्ज कराया था। इस बीच, भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के विमान को इस साल श्रीलंका जाने के लिए हवाई क्षेत्र के उपयोग की अनुमति दी थी।

पीएम मोदी और भारतीय उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर विमान ने बुधवार सुबह दिल्ली में भारतीय वायु सेना (IAF) के तकनीकी एयरबेस से उड़ान भरी थी।

पहली बार एयर इंडिया वन (AI1) भारत के वीवीआईपी बोइंग विमान का कॉल साइन यूएस लंबी दूरी की सीधी उड़ान के लिए तैनात किया गया था। नया बोइंग बी-777 विमान एक्स्ट्रा रेंज (ईआर300) विमान, जिसे हाल ही में भारत के वीवीआईपी सदस्यों के लिए मॉडिफाई किया गया था, ये सुपर हाई सिक्योरिटी फीचर्स से भी लैस है।

B-777, 15 घंटे की नॉन-स्टॉप उड़ान को सीधे अमेरिका ले जाएगा। चूंकि उसने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का बचाव किया, इसलिए अमेरिकी यात्रा के लिए मोदी की फ्लाइट को अतिरिक्त घंटे उड़ान भरनी पड़ी।

प्रधानमंत्री का VVIP विमान अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र से बच कर गया है, अफ़ग़ानिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को किसी भी व्यावसायिक उपयोग के लिए बंद कर दिया था। अफगानिस्तान के नए तालिबानी शासन द्वारा राष्ट्र पर पूर्ण नियंत्रण लेने के ठीक बाद 16 अगस्त को अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने की घोषणा की गई थी। अफगानिस्तान में अनिश्चित सुरक्षा स्थिति के कारण, भारत सरकार ने अपने वाहकों को देश के ऊपर हवाई क्षेत्र से बचने की सलाह दी है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री की फ्लाइट को पाकिस्तानी एयरस्पेस का सहारा लेना पड़ा।

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