बजट से जुड़े इन 10 महत्वपूर्ण शब्दों का मतलब जानते हैं आप?

बजट से जुड़े इन 10 महत्वपूर्ण शब्दों का मतलब जानते हैं आप?

बजट से जुड़े इन 10 महत्वपूर्ण शब्दों का मतलब जानते हैं आप?

Ashish Urmaliya | The CEO Magazine

भारत में लोकसभा चुनाव-2019 का वक्त करीब आ रहा है, उससे पहले वर्तमान सरकार अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करेगी। कार्यकाल का आखिरी साल होने की वजह से यह अंतरिम बजट होगा। इस बजट में सरकार द्वारा किसी भी तरह का कोई नया टैक्स नहीं लाया जाता और न ही कोई नीतिगत फैसला लिया जाता है। किसी भी देश का बजट उस देश के प्रत्येक नागरिक से जुड़ा हुआ होता है इसलिए बजट को समझना देश के प्रत्येक नागकिर की अहम् जिम्मेदारी होनी चाहिए।

हम आपके लिए बजट से जुड़े कुछ शब्दों को चुन कर लाये हैं जो बहुत ही ख़ास हैं और ज्यादातर उपयोग में लाये जाते हैं।

वार्षिक वित्तीय विवरण(Annual financial statement):  यह बजट का सबसे ज़रूरी दस्तावेज होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार, सरकार राजकोष के लिए अनुमानित आय और व्यय का विवरण पेश करती है। वार्षिक वित्तीय विवरण का आलेख तीन भाग में विभाजित होता है जिसके अंतर्गत समेकित निधि, आकस्मिक निधि और सार्वजनिक खाता आता है।

समेकित कोष(Consolidated fund):  इसका विवरण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 में मिलता है। इस कोष में केंद्र सरकार द्वारा एकत्रित किया गया कर और ऋण जमा किए जाते हैं। यह कोष  संसद के अधीनस्थ होता है अथवा संसद की अनुमति के बिना कोई भी इस धन का उपयोग नहीं कर सकता। यह सरकार का सबसे बड़ा कोष माना जाता है।

आकस्मिकता निधि(Contingency fund):  अकस्मात ज़रुरत पड़ने वाले धन की पूर्ती के लिए इस निधि का गठन किया जाता है। इस निधि से धन निकालने के लिए सरकार को संसद से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।

जन खाता (Public account):  भारत के संविधान के अनुच्छेद 266 (1) के प्रावधानों में सार्वजनिक खाते का विवरण है और इन्हीं के प्रावधानों के अनुसार इसका गठन किया गया है। जन खाता उन सभी फंडों से सम्बंधित है, जहां सरकार बैंकपति के रूप में काम कर रही है। इस निधि से होने वाले खर्च को संसद द्वारा मंज़ूरी नहीं दी जाती है। सरकार को ये धन जमाकर्ताओं को वापस करना होता है इसलिए इस पर किसी का भी एकाधिकार नहीं होता।

वित्त विधेयक(Finance bill):  यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 110 के अंतर्गत आता है जो केंद्रीय बजट के पेश होने के तुरंत बाद पेश किया जाता है। इस बजट में प्रस्तावित करों के परिणाम, निवारण, परिवर्तन और विनियमन के बारे में पूरी जानकारी होती है।

कटौती प्रस्ताव (Cut Motion):  इस प्रस्ताव का उपयोग मुख्य रूप से विपक्ष द्वारा किया जाता है। जब भी सरकार संसद के समक्ष अनुदान की मांग करती है तब विपक्ष इन मांगों में कटौती कराने को लेकर इस प्रस्ताव का उपयोग करता है।

राजकोषीय घाटा(Fiscal deficit):  जब सरकार की आय की तुलना में उसका व्यय अधिक होता है तब इस अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकार जनता से पैसे लेती है।

राजस्व बजट(Revenue budget):  इस बजट में सरकार को प्राप्त राजस्व के साथ उसका खर्च भी शामिल होता है। सरकार को प्राप्त यह राजस्व,  कर और गैर-कर आय के रूप में विभाजित किया जाता है। कर-आय के अंतर्गत आयकर, उत्पाद शुल्क, कॉर्पोरेट कर, सीमा शुल्क, सेवा और सरकार द्वारा लगाए जाने वाले अन्य कर सम्मिलित किये जाते हैं। गैर-कर आय में कर्ज पर ब्याज, निवेश पर सूद आदि शामिल होते हैं।

राजस्व घाटा(Revenue deficit):   राजस्व घाटा,  टैक्स द्वारा प्राप्त किये गए धन और उस पर खर्च किये गए धन के बीच का अंतर होता है। यह घाटा मौजूदा खर्च पर सरकार की मौजूदा आय में हुई कमी के कारण होता है।

अंतरिम बजट(Interim budget):  अंतरिम बजट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 116 के अंतर्गत पेश किया जाता है। यह सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में अंतिम बजट के रूप में पेश किया जाता है। इसमें सरकार किसी भी तरह का कोई नया टैक्स नहीं जोड़ती है। इसके अंतर्गत संसद में सरकार द्वारा कुछ महीने का खर्च चलाने के लिए विभागवार 'आवंटन कर' की धनराशि की मांग की जाती है। अंतरिम बजट में सरकार कोई नीतिगत फैसला भी नहीं ले सकती।  हाल ही में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार 2019 में ही अपना अंतरिम बजट पेश करेगी।

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