कंपोजिट सौर फेंसिंग से होगी खेतों में लगी फसलों की सुरक्षा

कंपोजिट सौर फेंसिंग से होगी खेतों में लगी फसलों की सुरक्षा

Ashish Urmaliya || The CEO Magazine

तमाममुसीबतों का सामना करते हुए एक किसान फसल बो तो देता है उसकी सिंचाई और देखभाल भी करलेता है. लेकिन उसके सामने आने वाली तमाम समस्याओं में से एक बड़ी समस्या होती है खेतोंमें लगी फसलों की सुरक्षा करना। जुताई, बुआई, सिंचाई महीनों की कड़ी मेहनत के बाद एककिसान उस फसल की देखभाल तब तक करता है जब तक वह फसल काट कर सुरक्षित स्थान तक नहींपहुंच जाती। और इस प्रक्रिया में तकरीबन 4 महीने का वक्त लगता है. लेकिन किसान के जीवनखेती के अलावा करने को और भी अन्य काम होते हैं। वह दिनभर खेत पर फसल ताकते नहीं बैठपाता और दूसरी समस्या, खेतों में लाइट नहीं होती इसलिए रात के वक्त अपनी फसलों को जंगलीजानवरों से बचा पाना किसान के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। और इसी समस्या के निदानके लिए किसानों और सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।

क्या है कंपोजिट सौर फेंसिंग-

इसमेंखेत के चारों तरफ जमीन से करीब 4 से 5 फ़ीट की उचाई तक लोहे की घनी जाली के ब्लॉक तैयारकिये जाते हैं। फिर इसके 2-3 फ़ीट ऊपर तक सौर ऊर्जा के करंट से जुड़ी तारों का जाल बनायाजाता है। इससे छोटे जानवरों से छुटकारा तो मिलता ही है इसके साथ ही ऊपरी भाग में करेंटहोने की वजह से लंबी छलांग की काबिलियत रखने वाले जानवर जैसे- बंदर, भालू, बारहसिंघाआदि भी खेत में प्रवेश नहीं कर पाते। जिससे किसान अपनी फसलों को सुरक्षित रख पाते हैं।ख़ास बात यह है कि यह फेंसिंग जल्दी खराब नहीं होती और किसान का लंबे वक्त तक साथ देतीहै। इससे पहले कुछ किसानों द्वारा जो फेंसिंग लगाई गई थी, उसके अच्छे फीडबैक नहीं आरहे थे। किसानों के मुताबिक, उक्त फेंसिंग बार-बार शार्ट सर्किट के चलते जल्दी खराबहो जाती है। फेंसिंग खेत में है तो घास तो उसे छुएगी ही और घास के छूते ही फेंसिंगशार्ट हो जाती है। इसीलिए कृषि विभाग ने यह नई तकनीक विकसित की है जिसमें 4-5 फिट कीऊंचाई तक जालियों के ब्लॉक में कोई करंट नहीं होता। इसके ऊपर 2-3 फ़ीट की वायरिंग मेंकरंट का प्रवाह दिया जाता है।

योजना-

2016में हिमाचल सरकार द्वारा यह योजना धरातल पर उतारी गई थी। जिसमें किसानों को यह फेंसिंगलगाने के लिए कुल लागत का 70 फीसदी अनुदान दिया जाता है। बाकी 30 प्रतिशत का भुगतानकिसान को खुद करना होता है। इसके लिए हिमाचल सरकार के कृषि विभाग ने 27 कंपनियों केसाथ करार  किया है। जो फेंसिंग के ज़रूरी सामानवायर, पोल आदि उपलब्ध कराती हैं और इसे खेतों में इनस्टॉल करने में सरकार और किसानकी मदद करती हैं।हालांकि हाल ही में कुछ रिपोर्ट ऐसी भी आ रही हैं कि हिमाचल सरकारकी पुरानी फेंसिंग योजना एकदम फ्लॉप है। क्योंकि इस स्कीम के तहत हिमाचल प्रदेश के8 लाख किसानों में से कुल 1943 किसान ही लाभ ले पाए हैं। जबकि सरकार ने अनुदान के प्रतिशतको 70 से बढ़ा कर 80 प्रतिशत तक कर दिया है। और अगर तीन किसान एकसाथ मिलकर इस योजनाका लाभ लेते हैं तो अनुदान 85 प्रतिशत का है।

पिछले3 सालों में इस योजना के तहत इतने कम किसानों को ही क्यों लाभ मिला? इस योजना में किसानोंकी रूचि न होने की क्या वजह है? इन सब सवालों को ध्यान में रख कर इस नई तकनीक को विकसितकिया गया है। उम्मीद है, अब ज्यादा से ज्यादा किसान इसमें रूचि लेंगे और यह तकनीक देशभरके किसानों के लिए मददगार साबित होगी। सरकार को जल्द से जल्द इस तरह की योजना पूरेदेश में लागू करने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए।

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