एटीएम से ऑटोमेटिक पैसे निकल रहे हैं, मगर कैसे? आपको बेहद सतर्क रहने की जरूरत!

एटीएम से ऑटोमेटिक पैसे निकल रहे हैं, मगर कैसे? आपको बेहद सतर्क रहने की जरूरत!

Ashish Urmaliya | The CEO Magazine

आजकल एटीएम फ्रॉड की सबसे ज्यादा घटनाएं, दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से निकलकर सामने आ रही है। ऐसा नहीं है, कि सिर्फ दिल्ली में बल्कि पूरे देश और दुनियाभर में लगातार एटीएम फ्रॉड हो रहे हैं। बस फर्क इतना है कि, दिल्ली में इस ठगी के कारोबार की हदें पार हो रही हैं। बीते कुछ दिनों में तिलकनगर के 88 लोगों के खातों से 19 लाख रूपए की ठगी हुई है। विशेषज्ञों के मुताबिक़, लोग इस तरह की ठगी का शिकार इसलिए हो रहे हैं, क्योंकि वे एटीएम का इस्तेमाल करते वक्त सावधानी नहीं बरतते। दिल्ली के जालसाज कार्ड क्लोनिंग के जरिये आसानी से आपके कार्ड तक पहुंच बना पा रहे हैं। इसलिए एटीएम से पैसे निकालते वक्त और कार्ड से पेमेंट करते वक्त आपको सावधानी बरतने की जरूरत है।

सबसे पहले ये जान लेते हैं, कि आखिर ये ठगी होती कैसे है?

ऐसे होती है कार्ड क्लोनिंग यानी आपके कार्ड का डुप्लीकेट तैयार

– जानकारों के मुताबिक़, आजकल बाजार में ऐसी कई कार्ड स्किमर डिवाइसेस उपलब्ध हैं, जिनमें डेबिट या क्रेडिट कार्ड स्कैन करने मात्र से ही उस कार्ड की सारी जानकारी कंप्यूटर या लैपटॉप पर आ जाती है।

– इसके बाद एक खाली कार्ड को लेकर, क्लोन किये गए कार्ड की जानकारी को उस पर प्रिंट करा दिया जाता है।

– तकनीक इतनी आगे जा चुकी है कि, आजकल हूबहू आपके कार्ड के जैसा ही, एकदम ओरिजिनल दिखने वाला डेबिट या क्रेडिट कार्ड तैयार कर लिया जाता है।

मुख्यतः किन जगहों पर आपको बनाया जाता है टारगेट :- 

जालसाज आपके कार्ड का डाटा चुराने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन ज्यादातर और आसानी से जिन जगहों पर आपको टारगेट किया जाता है। वह हैं- होटल, पेट्रोल पंप, मेडिकल स्टोर्स आदि।

फिशिंग, स्किमिंग, क्लोनिंग के जरिये कैसे होती है आपके डाटा की चोरी

फिशिंगइसमें साइबर क्रिमिनल्स कार्ड धारक के बैंक ईमेल आईडी से मिलती-जुलती एक ईमेल आईडी तैयार करते हैं। उस फर्जी मेल आईडी को कस्टमर को भेजकर उससे सीक्रेट डाटा की डिमांड करते हैं।

क्लोनिंगइसमें साइबर क्रिमिनल आपके कार्ड का डाटा चुराकर डुप्लिकेट कार्ड तैयार करते हैं और आपको जालसाजी का शिकार बनाते हैं। दरअसल, क्रेडिट कार्ड को मशीन से स्वाइप करने के दौरान ही कार्ड की मैगनेटिक स्ट्रिप पर दर्ज सारे डेटा को चुरा लिया जाता है। इसके बाद डुप्लिकेट कार्ड तैयार कर जालसाज शॉपिंग बगैरह कर लेते हैं।

स्किमिंगबैंक से मिलती-जुलती वेबसाइट की मदद से कार्ड की जानकारी लेकर भी ग्राहक को शिकार बनाया जाता है. आपको लग रहा होता है, कि आप बैंक की वेबसाइट खोल रहे हैं, जबकि हूबहू बैंक की तरह दिखने वाली वह कोई फर्जी साइट होती है. इस वेबसाइट में जैसे ही आपने अपना नंबर व पासवर्ड एंटर किया काम खत्म।

एटीएम का उपयोग करते वक्त रहे सावधान:-

-एटीएम में जिस जगह पर आप अपना कार्ड डालते हैं, वहां चेक करिये कि स्लॉट के ऊपर कोई दूसरी चीज तो नहीं लगी हुई है।

-वैसे स्कीमर जैसी चीज देखने में मशीन का हिस्सा ही लगती है। लेकिन आपको सावधान रहना होगा।

-इसके अलावा आसपास की दीवारों और कीबोर्ड के आसपास देखें कि वहां कोई कैमरा तो नहीं लगा है।

-अगर आपको किसी भी मशीन पर जरा सा भी शक होता है, तो उसका इस्तेमाल न करें और वहां पर मौजूद बैंक के किसी कर्मचारी को जरूर बताएं।

– इस बात का ध्यान रखें, कि जब भी आप एटीएम से पैसा निकाल रहे हो, तो वहां आपके आस-पास कोई और न खड़ा हो। हो सकता है, कि आपके पीछे ही खड़ा शख्स आपको चूना लगाने की फिराक में हो।

कार्ड के जरिये पेमेंट करते वक्त

जब आप किसी शॉप, शॉपिंग मॉल या किसी अन्य जगह पर कार्ड के जरिये पेमेंट करते हैं तो, आपको बेहद सावधान होने की जरूरत है। इससे बचने के लिए स्वाइप मशीन पर खुद से स्वाइप करें और खुद ही पासवर्ड डालें।

इन बातों पर ध्यान देंगे, तो कभी नहीं हो पायेगी ठगी

 – एटीएम से कैश विड्रॉ कराने से पहले अच्छे से देख-परख कर लें, कि कहीं कोई स्कीमर तो नहीं लगा।

– स्वाइपिंग पॉइंट के आस-पास गौर से देखें, कोई भी संदेहास्पद वास्तु नजर आये तो सावधान हो जाएं।

– स्कीमर का डिज़ाइन ऐसा होता है, कि वह मशीन के किसी जरूरी पार्ट जैसा ही लगता है।

– एटीएम के कीपैड का एक कौना दबाएं, अगर पैड स्कीमर होगा तो एक सिरा हल्का उठ जायेगा।

– समय-समय पर डेबिट कार्ड का पिन बदलते रहें।

– किसी को भी अपना कार्ड न दें, मतलब आपका कार्ड आपकी नजरों से दूर नहीं होना चाहिए।

– कार्ड से कोई भी पेमेंट करनी हो तो खुद की मौजूदगी में करें।

– पासवर्ड किसी को भी न बताएं।

– लालच भरे फर्जी मेल्स के चक्कर में न पड़ें।

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