छत्तीसगढ़ कांग्रेस में क्या लफड़ा चल रहा है और पार्टी इससे कैसे निपटेगी? डिटेल में समझिए

15 साल के कठिन संघर्ष के बाद, साल 2018 में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की बड़ी मुश्किल से वापसी हुई। सत्ता में आये हुए पार्टी को बमुश्किल 3 साल का वक्त हुआ है कि पार्टी में अंदरूनी खलल पैदा हो गई है। वर्तमान में भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं लेकिन अब टीएस सिंह देव मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं क्योंकि कांग्रेस को 2018 का चुनाव जिताने में उनकी मुख्य भूमिका थी।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में क्या लफड़ा चल रहा है और पार्टी इससे कैसे निपटेगी? डिटेल में समझिए

नवजोत सिंह सिद्धू के अचानक इस्तीफे से पंजाब में उथल-पुथल के बाद, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढ़ के दिग्गज कांग्रेस नेता त्रिभुवनेश्वर सरन सिंह देव के गुटों के बीच सत्ता संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, टीएस सिंह देव का खेमा राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहा है।

इस बीच, बघेल के साथ घनिष्ठता के लिए जाने जाने वाले पार्टी के 20 विधायक दिल्ली में लगातार एक्टिव हैं, जिसे ताकत के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, बघेल ने विधायकों के दौरे को कमतर आंकते हुए कहा, "छत्तीसगढ़ पंजाब नहीं बनेगा"।

समाचार एजेंसी PTI ने बघेल के हवाले से कहा, "छत्तीसगढ़ हमेशा छत्तीसगढ़ रहेगा। यह पंजाब नहीं बन सकता। दोनों राज्यों में केवल एक समानता है कि दोनों के नाम में नंबर हैं।" "पंजाब 'पंजा' (पांच) 'आब' (पानी) की भूमि है। यह पांच नदियों से बना है। इसी तरह, छत्तीसगढ़ ने 'छत्तीस' (छत्तीस) 'गढ़' (किला) से अपना नाम लिया है। किसी अन्य राज्य के नाम में नंबर नहीं हैं। दोनों राज्यों के बीच कोई अन्य समानता नहीं है।"

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के लिए संकट क्यों पैदा हो रहा है?

सिंह देव ने छत्तीसगढ़ में 15 साल के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शासन को समाप्त करते हुए 2018 में कांग्रेस पार्टी की वापसी कराई। राज्य में पुरानी पार्टी के सत्ता में लौटने के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद की मांग की थी। तब कांग्रेस ने अंबिकापुर के किंग के नाम से जाने जाने वाले त्रिभुवनेश्वर शरण सिंह देव से कुछ समय बाद मुख्यमंत्री पद देने का वादा किया था जिसके बाद उन्हें छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था।

इस साल जून में, बघेल की सरकार ने कार्यालय में 2.5 साल पूरे किए जिसके बाद सिंह देव ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की। हालांकि, जून में बघेल ने विवाद खड़ा कर दिया और दावा किया कि कुछ नेता, जो 2.5 फॉर्मूला के बारे में बात कर रहे हैं, राज्य में अस्थिरता लाने की कोशिश कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में संकट के समाधान के लिए कांग्रेस क्या कर रही है?

कांग्रेस ने राज्य पार्टी इकाई के बीच किसी भी तरह के झगड़े से इनकार किया है। हालांकि, कांग्रेस ने राज्य के राजनीतिक संकट को हल करने के लिए जून महीने के बाद से बघेल और सिंह देव दोनों को कई बार दिल्ली बुलाया। हाल ही में, पार्टी ने अपनी राज्य इकाई में चार अतिरिक्त पदाधिकारियों को भी शामिल किया और चार उपाध्यक्षों, तीन महासचिवों और संचार विभाग के प्रमुख को बदल दिया।

कांग्रेस ने चार उपाध्यक्षों- गिरीश देवांगन, अटल श्रीवास्तव, भानु प्रताप सिंह, और पद्म मनहर की जगह अरुण सिंघानिया, पीआर खुंटे, अंबिका मरकाम और वाणी राव को नया उपाध्यक्ष बना दिया था। इस बीच, वासुदेव यादव, अमरजीत चावला और सुमित्रा धृतलहरे ने भी तीन महासचिवों - द्वारका प्रसाद यादव, उत्तम वासुदेव और पंकज शर्मा की जगह ली थी।

यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए बघेल को अपना आईसीसी वरिष्ठ पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया है। समाचार एजेंसी ANI के हवाले से सूत्रों ने कहा कि बदलाव "वन लीडर वन पोस्ट" फॉर्मूले के बाद किए गए थे।

फिलहाल ऐसा लग रहा है कि बघेल खुद को बचाने में कामयाब हो गए हैं। हालांकि इस मामले को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं। और संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। हालांकि अभी पार्टी के ज्यादा विधायक भूपेश के ही पक्ष में हैं लेकिन अगर मध्यप्रदेश/ सिंधिया जैसी परिस्थिति बनी तो बीजेपी इसका फायदा उठाने में देर नहीं लगाएगी।

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