पुतिन के रूस में ‘कोरोना’ क्यों नहीं फैल पा रहा है?

पुतिन के रूस में ‘कोरोना’ क्यों नहीं फैल पा रहा है?

Ashish Urmaliya || Pratinidhi Manthan

हाईलाइट- रूस की राजधानीमॉस्को (Moscow) में अभी लगभग पौने 2 लाख कैमरे लगे हुए हैं और अलगे एक हफ्ते में 9 हजार कैमरे और लगाए जाएंगे जिससे कि लॉकडाउन याकोरांटीन (quarantine) तोड़ने वालों को धरा जासके. 

दुनिया के दुसरे मुल्कोंऔर खास तौर पर यूरोपीय मुल्कों की तुलना में रूस (Russia) ने कोरोना वायरस  (coronavirus)पर काफी हद तक काबू पाया हुआ है. यहां इतनेदिनों में अब तक कुल 1,836 लोगकोरोना पॉजिटिव (corona positive) आएहैं. आइये जानते हैं, यह देश इस बेहद खतरनाकवायरस को फैलने रोके हुए हैं.

बीते 28 मार्च को रूस में कोरोना के सबसे ज्यादा 228 मरीज आए थे. इसके तुरंत बाद वहां की सरकार नेघोषणा कर दी कि अब और सख्ती बरती जाएगी ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके.इसके बाद 30 मार्च यानी बीते हुए कलमें यहां पर साड़ी गाड़ियों रेल और देश के सारे बॉर्डर बंद कर दिए गए हैं, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का ठीक से पालन हो सके.

कड़े नियम-

अंतरराष्ट्रीय उड़ानेंयहां पर पहले से ही बंद हो चुकी हैं और अगले पूरे हफ्ते को नॉन-वर्किंग हफ्ताघोषित कर दिया गया है, कोई भी काम नहीं होगा,ना ही कोई करेगा। ये नियम सिर्फ दवा और राशनकी दुकानों पर लागू नहीं होगा। राजधानी मॉस्को में 5 अप्रैल तक के लिए सारे मॉल, कैफे, रेस्त्रांऔर दुकानें बंद करा दी गई हैं. फ़िलहाल रूस की राजधानी ही वायरस से सबसे अधिकप्रभावित है. वैसे शरुआत में रूस ने अपने पड़ोसी देशों के मुकाबले खुद को सुरक्षितमानते हुए दावा किया था कि उनके हालात de facto no epidemic हैं यानी वहां पर असल में महामारी नहीं है. लेकिन इसके तुरंतबाद Vladimir Putin खुद सामने आये और एकसप्ताह को 'पेड नॉन-वर्किंग वीक'घोषित करते हुए वायरस के खतरे पर बात की. औरफिर रूस की सड़कों पर जगह-जगह पुलिस की तैनाती हो गई ताकि होम क्वेरेंटाइन सफलरहे.

ऐसे हो रही निगरानी-

राजधानी में 170,000 कैमरा लगे हुए हैं, इन कमरों की मदद से उन लोगों की पहचान हो रही है जो क्वेरेंटाइनया लॉकडाउन का नियम तोड़ रहे हैं. पिछले सप्ताह सप्ताह मॉस्को की पुलिस ने बतायाथा, कि उन्होंने इन कैमरों की मदद से 200 से ज्यादा लोगों को पकड़ा जो बाहर घूम रहे थे. इसबारे में मॉस्को के पुलिस चीफ Oleg Baranov के मुताबिक, अब केहालातों को देखते हुए 9000 कैमरेऔर लगाए जा रहे हैं ताकि शहर का कोई भी कोना अंधेरे में न छूटे.

तकनीक की मदद से संदिग्धोंकी खोज-

वायरस से प्रभावित लोगोंको खोजने के लिए रूस को geolocation कासहारा मिल रहा है. महामारी विज्ञान पर काम करने वाले विशेषज्ञों का भी मानना है किकॉन्टैक्ट ट्रेसिंग से बीमारी को संभालने में मदद मिलती है. रूस के प्रधानमंत्री MikhailMishustin ने कुछ ही दिनों पहले यहां केमिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन को आदेश दिए हैं कि वे एक ऐसा ट्रैकिंग सिस्टम बनाएं जोकिसी भी मोबाइल यूजर की पक्की लोकेशन बिना वक्त लगाए बता सके. तकनीक पर काम भीशुरू हो चुका है.

इस तकनीक से उन लोगों तकमैसेज भेजा जायेगा जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं और उन्हें इसकीजानकारी नहीं है. स्थानीय अधिकारी भी चौकस हैं. रूसी सरकार की ये कॉन्टैक्टट्रेसिंग तकनीक लोगों की निजी जानकारी भी इकठ्ठा कर सकती है इसलिए इसपर काफी बेहेसभी चल रही है. हालांकि सर्विलांस प्रोग्राम से प्रेरित तकनीक साऊथ कोरिया औरइजराइल में भी अपनाई जा रही है. इसके जरिये वहां लोगों के बैंक ट्रांजेक्शन केजरिए उन्हें ट्रेस कर क्वेरेंटाइन में डाला जा रहा है. रूस में भी इसी तर्ज परक्रेडिट कार्ड और फोन डाटा इस्तेमाल होगा.

लोगों को अलेर्ट कियाजायेगा

कोई भी व्यक्ति किसी बीमारया कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते लक्षणों वाले व्यक्ति या रिकवरी के तुरंत बादलौटे व्यक्ति के पास (2 मीटर या इतनी दूर जहां से10 मिनट में पहुंचा जा सके) खड़ा होतो उसके पास तुरंत अलर्ट पहुंच जाएगा. इसी संज्ञान में रूस के स्वस्थ्य मंत्रालयका कहना है, कि हफ्तेभर के भीतर येसर्विलांस की नई तकनीक आ जाएगी. जिसका इस्तेमाल सिर्फ विशेषज्ञ करेंगे और अगले 60 दिनों बाद लोगों का ये डाटा डिलीट कर दिया जाएगा.

दक्षिण कोरिया भी तकनीकमें आगे-

दक्षिण कोरिया देश कोरोनाका संक्रमण कम करने के लिए इस तकनीक का पहले से ही इस्तेमाल कर रहा है. फरवरी माहकी शुरुआत में ही सरकार ने उन सभी लोगों की क्रेडिट-डेबिट कार्ड की रसीद, आईडी और दूसरे प्राइवेट डाटा निकाल लिया जो वायरससे संक्रमित पाए गए और उनके जरिए उनके संपर्क में आए सभी लोगों की पहचान की जानेलगी. तकनीक की खास बात यह है कि इसे इस बात पर भी ट्रैक रखा जा सका है कि कोरियामें वायरस के फैलने की रफ्तार कितनी है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है.हालांकि प्राइवेट डाटा लेने पर कई लोगों ने आपत्ति जताई, लेकिन इसका दूसरा पक्ष भी रहा. वैज्ञानिक खुद मानते हैं कि किसीव्यक्ति या शहर से सुरक्षा से ज्यादा जरूरी देश की सुरक्षा है.

रूस पर वापस आएं श वह नकेवल खुद को कोरोना के संक्रमण से बचाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की भी भारी मदद कर रहा है.

बीते 25 मार्च को रूस से स्पेशल नेवी टीम सीरिया पहुंची.कार्गो में रूस के 3 एंबुलेंस और एक शिपिंगकंटेनर है जो कोरोना पर काम कर रहे मेडिकल स्टाफ के काम आ रहे हैं. बता दें ,पहले से ही सीरिया युद्ध प्रभावित है और इसकेबाद वहां अबतक कोरोना के 9 मरीजआ चुके हैं. ऐसे में अगर बीमारी फैली तो परिस्थितियां बदतर हो जाएंगी और संभालनाकाफी मुश्किल हो जाएगा. सीरिया के अलावा रूस ने इटली को भी मदद पहुंचाई है,इटली में 14 कार्गो प्लेन में 100वायरोलॉजिस्ट और इपिडेमियोलॉजिस्ट भेजे गए हैं.

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