Ashish Urmaliya | Pratinidhi Manthan
जब किसी एक खेत्र विशेष या पूरे विश्व में लंबे वक्त के लिए बिजली गुल हो जाती है तो उसे आम बोलचाल की भाषा में 'ब्लैकआउट' कहा जाता है. अपने कभी सोचा है कि अगर पूरी दुनिया में एकसाथ ब्लैकआउट हो गया तो कितना खौफनाक मंज़र होगा? इसका अंदाजा अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी के ब्लैकआउट से लग चुका है. न्यूयॉर्क में साल 1977 में 2 दिनों के लिए छाए अंधेरे ने अफरा-तफरी मचा दी थी.
हाल ही, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) में सोमवार को ब्लैक आउट हो गया था मुंबई की रफ्तार एकदम से थम गई. महज ढाई घंटे के ब्लैक आउट ने ऐसी अफरा-तफरी मचाई कि पूरे देश के साथ दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गई. अरबों के नुकसां के अलावा लाखों की तादात में मीम्स भी उछाले गए. ये तो थी एक देश के एक शहर की बात लेकिन क्या होगा अगर पूरी दुनिया की बिजली एक साथ चली जाए. आइये जानते हैं कितना भयानक मंजर हो सकता है.
होने के लिए तो वो सब हो सकता है जो हम सोच भी नहीं सकते लेकिन हम उदाहरण के ज़रिए समझने की कोशिश करेंगे…
हालांकि अब तक ऐसा कभी हुआ नहीं है कि पूरी दुनिया एक साथ अंधेरे में डूब जाए लेकिन जिन देशों के बड़े हिस्सों ने ब्लैक आउट झेला है, हम उनकी बात कर रहे हैं. दक्षिणी अमरीका में स्थित एक देश वेनेजुएला में पिछले साल हुआ ब्लैक आउट काफी बड़ा बालक आउट माना जाता है. साल 2019 के मार्च के महीने में इस पूरे के पूरे देश में पावर सप्लाई एकदम ठप हो गई थी.
वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पर तो जो इसका सीधा और भयानक असर पड़ा सो पड़ा, लेकिन सबसे बुरी हालत अस्पतालों की थी. वहां बहुत से मरीज ऑपरेशन थिएटर में थे. हज़ारों मरीज वेंटिलेटर पर थे. शुरुआत में जेनरेटर जैसी चीजों से मैनेज करने की कोशिश की गई लेकिन आखिर कब तक करते सब व्यर्थ रहा. क्योंकि ये अंधेरा एक-दो घंटे नहीं, बल्कि पूरे 5 दिनों तक रहा था. इस दौरान आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 26 जानें गईं. जबकि वहां के आम लोगों की राय कुछ और है.
दूसरा सबसे बड़ा असर संवाद पर पड़ा। इंटरनेट, मोबाइल, टीवी सब बंद था, लिहाजा किसी को किसी की खैर-खबर तक नहीं मिल पा रही थी. लोग पानी की बूंद बूंद के लिए तरस गए थे. नहाना तो दूर की बात, शहरी इलाकों में पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा था. उस वक्त इन हालातों में दुकानों पर पानी की लूट मच गई थी. वैसे, बिजली जाना वेनेजुएला में गंभीर समस्या बन चुका है. इसके पीछे का कारण भ्रष्ट सरकारी तंत्र और आतंकी माने जाते हैं.
हालांकि विकसित देश भी ब्लैक आउट की समस्या से जूझ चुके हैं. इसकी मुख्य वजह वहां बिजली लाइन का पुराना होना है. कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, तूफान जैसे कारणों से भी देशों को ब्लैक आउट की समस्या को झेलना पड़ता है. ऐसे ही अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में साल 1977 में जो अंधेरा छाया था, वह अमेरिकी इतिहास में आज तक का सबसे भयंकर ब्लैक आउट माना जाता है.
अमेरिका के न्यूक्लियर पावर प्लांट में किसी समस्या की वजह से न्यूयॉर्क की बिजली की ये आपूर्ति दो दिनों तक रुकी रही. सीके चलते लोगों ने दुकानों पर हमले कर दिए थे और उन्हें लूट लिया था. परेशान दुकानदारों ने अपनी दुकानों में आग लगा दी थी ताकि उन्हें कम से कम इंश्योरेंस के पैसे तो मिल सकें. 100 से ज्यादा उन मरीजों की जान चली गई थी, जो डायलिसिस या वेंटिलेटर पर थे.
साल 2019 में लैटिन अमेरिका के भी कई बड़े हिस्से ब्लैक आउट का शिकार होते रहे हैं. इसी तरह से ब्रिटेन में भी बाहरी इलाकों में ब्लैक आउट होता आया है. हालांकि विकसित देश, विकासशील देशों की तुलना में ब्लैक आउट का शिकार काफी कम होते हैं लेकिन फिर भी कुछ घंटों के लिए ही बिजली जाना भी अफरा-तफरी मचाने के लिए काफी होता है.