रिपोर्टर निखिल कुमार सिंह
यूपी कैडर के आईपीएस अफसर और उत्तर प्रदेश के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उन्हे राष्ट्रपति वीरता पदक" से जल्द सम्मानित किया जाने वाला है। इस अवार्ड को लेकर प्रशांत कुमार का कहना है कि ये यूपी पुलिस के गौरवान्वित करती है।
रियल सिंघम माने जाते है प्रशांत कुमार
फिल्मों में रील लाइफ सिंघम तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन रियल सिंघम से मिलना है, उन्हें देखना है, उनके बारे में जानना तो फिर इनके बारे में जरूर जानिये। वैसे इन्हें कौन नहीं जानता। प्रशांत कुमार 1990 बैच के आईपीएस अफसर हैं, उनका कैडर उत्तर प्रदेश है। राज्य के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर हैं। इनको समझने के लिए इतना ही काफी है। वैसे तो ये खुद को सुर्खियों से दूर रखना चाहते हैं लेकिन इनके काम करने का अंदाज ही ऐसा अनोखा कि खबर बन ही जाती है। इस अवॉर्ड के खबर बाद उन्होंने कहा कि वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं और इससे आगे काम की प्रेरणा मिलती है।
संस्था हैं प्रशांत कुमार
शांत स्वभाव लेकिन सशक्त शख्सियत है। टॉस्क कोई भी हो टाइम पर पूरा करना प्रशांत कुमार का पैशन है। एनंकाउंटर स्पेशलिस्ट तो कई हैं। लेकिन परफेक्शन के साथ एनकाउंटर कोई प्रशांत कुमार से सीखे और समझे। समझ लीजिए पूरी संस्था हैं। जहां भी तैनाती हुई क्रिमिनल इनके नाम से कराहने लगते हैं। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर पद पर आने से पहले प्रशांत कुमार मेरठ जोन के एडीजी थे। वो मेरठ रेंज के डीआईजी भी रह चुके हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस दौरान क्रिमिनल्स पर कितना कहर बरपा होगा। ये वही कार्यकाल था, जब कांवड़यात्रा के दौरान कावंड़ियों पर हेलिकॉप्टर से फूल बरसाकर प्रशांत कुमार फिर से चर्चा में आ गए थे।
अपराधी हमेशा टागरेट पर रहे
मूलत बिहार के रहने वाले प्रशांत कुमार का आईपीएस में चयन 1990 में तमिलनाडु कैडर में हुआ था। लेकिन 1994 में निजी कारणों से यूपी कैडर में ट्रांसफर हो गए। प्रशांत कुमार उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, जौनपुर, गाजियाबाद, अयोध्या, बाराबंकी और सहारनपुर में एसपी और एसएसपी रहे। यानी एडीजी प्रशांत कुमार की जहां भी तैनाती हुई अपराध और अपराधी हमेशा उनके टारगेट पर रहे। आखिर सवाल कानून व्यव्सथा का है और इससे समझौता प्रशांत कुमार की डिक्शनरी में नहीं है।