ये बातें जान लेंगे, तो बजट आसानी से समझ आ जायेगा।

ये बातें जान लेंगे, तो बजट आसानी से समझ आ जायेगा।

Ashish Urmaliya ||Pratinidhi Manthan

1फरवरी को देश का बजट पेश होने वाला है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आने वाले वित्तीयवर्ष में सरकार की आमदनी और खर्चे की जानकारी साझा करेंगी। साथ ही, भविष्य में सरकारकी क्या योजनाएं हैं क्या उद्येश्य हैं वो भी बताएंगी।

येबजट सरकार और देशवासियों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि मौजूदा स्थितिमें सरकार गिरती अर्थव्यवस्था के चलते विपक्ष के निशाने पर है और सरकार के पास भी इसकाकोई ठोस जवाब नहीं है। तो यह सरकार के पास आम जनता और कारोबारियों को संतुष्ट करनेका अच्छा मौका है। साथ ही सरकार यह भी समझाने की कोशिश में रहेगी, कि वह इस आर्थिकसुस्ती को गंभीरता से ले रही है और इससे निपटने के लिए उपयुक्त कदम उठा रही है।  

अक्सरदेखा जाता है, कि देश के अधिकतर लोगों को बजट समझ नहीं आता। कुछ लोगों को तो इसकाABCD भी नहीं पता होता। ऐसे में जरूरत है, कि आप पूरा नहीं तो बजट का कुछ हिस्सा तोजरूर समझें, जो आपको साल भर प्रभावित करता है। इसके लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण शब्दावलियोंको समझना जरूरी है।

1. राजकोषीय घाटा- जब सरकार की कुलआमदनी से उसका खर्च अधिक हो जाता है तो उसे राजकोषीय घाटा कहते हैं। इस घाटे में सरकारद्वारा लिया व दिया गया कर्ज शामिल नहीं होता।

जानकारोंद्वारा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है, कि बजट लोकलुभावन हो सकता है क्योंकि देश में बनेहुए माहौल से सरकार लोगों का ध्यान अलग करना चाहेगी और साथ ही दिल्ली चुनाव भी सिरपर हैं। मतदाताओं को रिझाने के लिए सरकार अधिक खर्च की घोषणा के साथ टैक्स की सीमाको भी बढ़ा सकती है।

2. पर्सनल इनकम टैक्स के छूटकी सीमा-   वर्तमान में सालाना ढाई लाख रुपए तक की कमाई करनेपर कोई टेक्स नहीं लगता। गुप्त सूत्रों ने ऐसी बहुत सूचनाएं दी हैं, कि सरकार इनकमटैक्स की सीमा बढ़ाने की योजना बना रही है। ताकि लोगों की खरीददारी की क्षमता को बढ़ायाजा सके।

3. प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर-  प्रत्यक्ष कर वह होता है, जो देश का नागरिक सीधेतौर पर सरकार को देता है। यह टैक्स व्यक्ति की आय पर लगता है जिसे किसी और पर ट्रांसफरनहीं किया जा सकता।

प्रत्यक्षकर के अंतर्गत इनकम टैक्स, वेल्थ टैक्स (कुल संपत्ति) और कॉरपोरेट टैक्स (उद्योग, व्यापारसंबंधी) आते हैं।

अप्रत्यक्षकर वो होता है, जिसमें किसी टैक्स का भार किसी अन्य व्यक्ति पर ट्रांसफर किया जा सकताहै। जैसे कोई सर्विस या उत्पाद लेने पर आपको टैक्स देना पड़ता है। साधारण भाषा में समझें,तो जब आप किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने जाते हैं जो आपके बिल में टैक्स भी जुड़ करआता है। यह अप्रत्यक्ष टैक्स की श्रेणी में आता है। 

अप्रत्यक्ष टैक्स के अंतर्गत,वैट, सेल्स, सर्विस, लग्ज़री टैक्स आदि आते हैं।

4. वित्तीय वर्ष- भारत में वित्तीयवर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है जो 31 मार्च को समाप्त होता है। इस साल जो बजटपेश होने जा रहा है वह वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए होगा।

5. शार्ट टर्म व लॉन्ग टर्म गेन- यह बजट में पेश होनेवाला एक बहुत ही महत्वपूर्ण टर्म है।

मानलीजिये आप शेयर मार्केट में निवेश करते हैं और आपने एक साल से कम समय के लिए पैसा लगायाऔर उस पर प्रॉफिट कमाया। इससे हुए प्रॉफिट को अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (Short TermCapital Gain) कहा जाता है जिसपर 15 फीसदी का टैक्स लगता है। 

शेयरमार्केट में जो भी पैसा एक साल से अधिक समय के लिए लगा होता है, उसे दीर्घकालिक पूंजीगतलाभ (Long Term Capital Gain) कहते हैं।

इक्विटीशेयर्स और इक्विटी ओरिएंटेड फंड्स की यूनिट की बिक्री पर अगर एक लाख से अधिक का गेनहोता है तो उस पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाया जाता है। यह टैक्स 1 अप्रेल 2018 से लागूहुआ है इससे पहले इस पर कोई टैक्स नहीं लगता था।

संभावनाएंजताई जा रही हैं, कि इस बार सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की समय सीमा में बदलाव करसकती है। सरकार का फोकस शेयरों को लंबे समय तक होल्ड करना होगा, ताकि उन पर होने वालापूंजीगत लाभ 'कर मुक्त' हो सके।

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