कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को ऐसे मिलेगी सरकारी मदद, जानकारी विस्तार से

कोरोना के चलते अनाथ हुए बच्चों को ऐसे मिलेगी सरकारी मदद, जानकारी विस्तार से

जब मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा तब जाकर सबकी आंखें खुलीं। अब कोरोना की वजह से अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए केंद्र व राज्य सरकारें आगे आई हैं। थोड़ा देर ही सही लेकिन अब दुरुस्ती से इस दिशा में काम करने जुट चुके हैं। अनाथ बच्चों के लिए बेहतर योजनाएं लागू कर दी गई हैं. (PM Cares to pay for education)

कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की मदद के लिए केंद्र की मोदी सरकार आगे आई है। कोरोना के चलते जो भी बच्चे अनाथ हुए हैं उनको मुफ्त शिक्षा, मासिक भत्ता, स्वास्थ्य बीमा और 10 लाख रुपये की सावधि जमा यानी एफडी (Fixed Deposit) मिलेगी। कई राज्य सरकारें भी ऐसे बच्चों की लिए कई तरह की शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक सहायता से संबंधित योजनाएं लेकर आई हैं।

कोरोना महामारी (Covid-19) अब तक देश के सवा तीन लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। कुछ मौतें तो ऐसी हुई हैं कि पूरा का पूरा परिवार काल के गाल में समा गया. संपत्ति/जायदाद तक का कोई हक़दार नहीं बचा. कई बूढ़े मां बापों ने अपने जवान बच्चों को खो दिया तो कई नवजात बच्चों ने अपने मां बाप को खो दिया और अनाथ हो गए.

(Children orphaned by COVID-19) इन अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए हाल ही मोदी सरकार ने कई तरह की सुविधाओं की घोषणा की है। ऐसे बच्चों को मुफ्त स्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य से लेकर कई अन्य सुविधाओं व 10 लाख रुपये के फिक्स डिपॉजिट तक की मदद दी जाएगी। यह मदद 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन' के माध्यम से बच्चों तक पहुंचाई जाएगी।

जिन बच्चों की आयु 10 वर्ष से कम है:

कोरोना महामारी की वजह से अनाथ हुए बच्चों को उनके निवास क्षेत्र के नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में बतौर डे स्कॉलर रखा जाएगा। केंद्रीय विद्यालय ना होने की स्थिति में किसी निजी स्कूल में प्रवेश दिलाया जाएगा। आरटीई अधिनियम (The Right of Children to Free and Compulsory Education Act or Right to Education Act) के नियमों के आधार पर फीस दी जाएगी। इसी के साथ बच्चों को ड्रेस, किताबें और नोटबुक आदि का खर्च भी मिलेगा।

जो बच्चे 11-18 वर्ष के हैं:

11 से18 वर्ष के बच्चों को नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल जैसे आवासीय स्कूलों (Boarding Schools) में प्रवेश दिया जाएगा। इन केस कोई बच्चा अपने दादा-दादी या किसी परिचित के साथ रहना चाहता है तो उसे उसके नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा। बच्चे की स्कूल फीस (School fees) का भुगतान पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन 'PM-Cares For Children' के माध्यम से किया जाएगा।

उच्च शिक्षा के लिए बिना ब्याज वाला कर्ज (Interest free loan) भी दिया जाएगा:

जो बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहेंगे, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों डिग्री हासिल करना चाहेंगे उन्हें एजुकेशन लोन दिलाया जाएगा। ख़ास बात यह है कि इस कर्ज के लिए उन्हें कोई ब्याज नहीं देना होना। कर्ज पर जो भी ब्याज लगेगा उसका भुगतान 'पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना से किया जाएगा। विकल्प के रूप में इन बच्चों को केंद्र या राज्य सरकार की पहले से लागू योजनाओं के तहत स्नातक की फीस के बराबर छात्रवृत्ति दी जाएगी। ऐसे बच्चे जो मौजूदा छात्रवृत्ति योजनाओं के अंतर्गत पात्र नहीं हैं, उनके लिए पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन एक समकक्ष छात्रवृत्ति प्रदान करेगा।

आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य बीमा:

कोविड महामारी के चलते अनाथ हुए बच्चों को आयुष्मान भारत योजना 'Ayushman Bharat Scheme' के तहत पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा लाभ भी दिया जायेगा। 18 साल की उम्र तक के बच्चों के लिए बीमा की राशि का भुगतान पीएम केयर्स से होगा। जब बच्चे 18 वर्ष की उम्र से ऊपर के हो जाएंगे तो फिर प्रीमियम की राशि का भुगतान आयुष्मान भारत योजना के खाते से होगी।

10 लाख रुपए की FD:

जब बच्चा 18 साल की उम्र पूरी कर लेगा तो उसको पीएम केयर्स के माध्यम से 10 लाख रुपये की एफडी मिलेगी। इस एफडी का उपयोग 18 साल की उम्र से अगले पांच साल तक उच्च शिक्षा के दौरान बच्चे की व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृत्ति के रूप में किया जाएगा। जब वह 23 साल की उम्र पूरी कर लेगा तब उसे व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए एकमुश्त के रूप से कोष की राशि भी मिलेगी।

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