स्टार्टअप्स के लिए नए नियमों की घोषणा, ये होंगे फायदे!

स्टार्टअप्स के लिए नए नियमों की घोषणा, ये होंगे फायदे!

Ashish Urmaliya || The CEO Magazine

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) ने बुधवार को बिज़नेस स्टार्टअप्स को लेकर नए नियमों की घोषणा कर दी है। इन नियमों का उद्देश्य स्टार्टअप्स को शेयर बाजारों के 'इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म' से मुख्य शेयर बाजार में एंट्री पाने के लिए मदद देना है। नियमों के तहत स्टार्टअप्स को आईजीपी पर आने के एक साल बाद शेयर बाजार के नियमित कारोबार में शामिल होने और अपने शेयर धारकों का आधार बढ़ाकर कम से कम 200 करने की अनुमति दी जाएगी।

इसके लिए किसी भी स्टार्टअप को अपने तीन साल की नेटवर्थ का ट्रेक रिकॉर्ड दिखाना होगा या फिर 75 प्रतिशत शेयरधारिता पात्र संस्थागत निवेशकों के साथ होना चाहिए।

निदेशक मंडल की बैठक यह निर्धारित हुआ है कि किसी भी स्टार्टअप में प्रमोटर का योगदान 20 प्रतिशत करने की आवश्यकता होगी। इसके लिए तीन साल की 'लॉक-इन' अवधि होगी और अगर किसी स्टार्टअप ने पहले ही यानी सूचीबद्धता के समय ही 6 महीने की 'लॉक-इन' अवधि का पालन कर लिया है तो उसे इसमें से हटा दिया जायेगा।

SEBI के अधिकारीयों के अनुसार, अगर आईजीपी (Innovators Growth Platform) पर लिस्टेड कंपनियों को बिना कड़े मानदंडों का अनुकरण किये मुख्य शेयर बाजार की नियमित श्रेणी में कारोबार की अनुमति दिए जाती है, तो इससे आईपीओ के जरिये मुख्य शेयर मार्केट में आने की कड़ी प्रक्रिया का दुरूपयोग हो सकता है। इसलिए जो भी स्टार्टअप अपने शेयरों के कारोबार के लिए मुख्य शेयर मार्केट में खुद को रजिस्टर करना चाहता है, उसे कड़े खुलासा नियमों और पात्रता नियमों का पालन करना होगा। लेकिन आईजीपी पर खुद को रजिस्टर करने का इरादा रखने वाले स्टार्टअप्स के लिए नियमों में ढील दी गई है।

हालांकि इस प्लेटफॉर्म पर कारोबारी गतिविधियां अपेक्षाकृत सीमित होती हैं। नए मंजूर नियमों के तहत कंपनी को मुख्य शेयर बाजार में ट्रांसफर होने के लिए कम से कम एक साल तक आईजीपी पर सूचीबद्ध रहना होगा। इसके साथ ही ट्रांसफर के वक्त कंपनी के पास कम से कम 200 शेयर धारक होने जरूरी हैं।

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