विपत्ति आने पर मित्र की सहायता करनी चाहिए: श्री चरणदास शास्त्री
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विपत्ति आने पर मित्र की सहायता करनी चाहिए: श्री चरणदास शास्त्री

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विपत्ति आने पर मित्र की सहायता करनी चाहिए: श्री चरणदास शास्त्री
विपत्ति आने पर मित्र की सहायता करनी चाहिए: श्री चरणदास शास्त्री

विपत्ति आने पर मित्र की सहायता करनी चाहिए: श्री चरणदास शास्त्री

रिपोर्ट- सुरेन्द्र द्विवेदी खिलारा

मऊरानीपुर । विपत्ति आने पर मित्र की सहायता करनी चाहिए जैसे द्वापर युग में द्वारकाधीश ने बचपन के बाल सखा रहे सुदामा की की थी यह बात ग्राम छाती पहाड़ी में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत की कथा के दौरान पुराण वक्ता चरणदास शास्त्री ने कही। उन्होंने सातवें दिन की कथा का व्याख्यान करते हुए कहा कि भगवान व भक्त के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नही होता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भजन करता है। तो भगवान उसकी हर मनोकामना किसी न किसी रूप में अवश्य पूरी करते है।

द्वापर युग में द्वारकाधीश एवं सुदामा जी की अटूट मित्रता थी। जिससे सुदामा पर विपत्ति की घड़ी आने पर भगवान ने मित्र की परेशानी को समझने हुए गले लगाकर मित्र के सारे दुःख दर्द को दूर करते हुए अपने समान कर दिया। जिससे पुराण की कथा हमें एक दूसरे की सहायता करने की सीख देती है। साप्ताहिक ज्ञान कथा का समापन पूजन, हवन, भंडारे के साथ संपन्न हुआ। पुराण की मंगला आरती कथा यजमान संगीता देवी जगन्नाथ सिंह यादव ने उतारी।

इस दौरान हरचरन यादव, ठाकुरदास पुजारी, छोटेलाल लंबरदार, रामपाल सिंह यादव, रघुवीर सिंह यादव, रवि यादव, बहादुर, महादेव, महेंद्र, रबिंद्र यादव, नीरज यादव, लल्ला यादव, चतुर, हरिश्चंद्र यादव, मुकेश, संजय, अंकित, धीरेन्द्र, दिनेश, पार्वती देवी, प्रेमदेवी, बाबूलाल यादव, बहादुर सिंह, जगन्नाथ, मोहित, ऋषि राज, सोहित, लाला यादव, सुरेंद्र द्विवेदी आदि श्रोतागण मौजूद रहे।

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