(कथा की शुरुआत)
कामिका एकादशी, जिसे श्रावण कृष्ण एकादशी के रूप में मनाया जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और फलदायी व्रत माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु की भक्ति का अद्वितीय प्रतीक है और इसे करने से सभी पापों का नाश होता है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए कामिका एकादशी की कथा को जानें, जो भक्ति, पापमोचन, और भगवान विष्णु की कृपा का महत्व बताती है।
बहुत समय पहले, प्राचीन भारत में एक नगर में एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति रहता था। वह व्यक्ति भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था, लेकिन किसी कारणवश उसने अपने जीवन में कुछ ऐसे पाप कर दिए थे, जिससे वह अत्यंत दुखी और परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने पापों से मुक्ति कैसे पाए।
वह व्यक्ति हर दिन भगवान की पूजा करता था, परंतु उसका मन हमेशा चिंता और पश्चाताप में डूबा रहता था। उसने अपने पापों के निवारण के लिए कई धार्मिक अनुष्ठान किए, परंतु उसे शांति नहीं मिली।
एक दिन, वह व्यक्ति एक पवित्र स्थान पर गया, जहाँ उसे एक महान ऋषि मिले। ऋषि ने उसकी परेशानी को समझा और उससे पूछा, "हे वत्स, तुम क्यों इतने व्याकुल हो? भगवान विष्णु की भक्ति से सभी दुखों का नाश हो सकता है, परंतु तुम किस चिंता में हो?"
व्यक्ति ने ऋषि को अपनी कहानी सुनाई और कहा, "हे महात्मा, मैंने जीवन में कुछ ऐसे पाप किए हैं, जिनका मुझे गहरा पश्चाताप है। मैंने बहुत से व्रत और पूजा की, लेकिन मुझे शांति नहीं मिली। कृपया मुझे कोई ऐसा उपाय बताइए, जिससे मेरे सारे पाप समाप्त हो जाएं और मैं फिर से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सकूं।"
ऋषि ने उस व्यक्ति की बात सुनी और कहा, "हे वत्स, श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का व्रत करने से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। यह व्रत अत्यंत पुण्यकारी है और भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। जो भी इस व्रत का पालन करता है, उसे सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु इस दिन विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।"
महात्मा की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कामिका एकादशी का व्रत करने का निश्चय किया। उसने पूरे विधि-विधान के साथ इस व्रत का पालन किया। व्रत के दिन उसने भगवान विष्णु की पूजा की और दिनभर उपवास रखा। उसकी भक्ति और श्रद्धा से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उसे दर्शन दिए।
भगवान विष्णु ने उससे कहा, "हे भक्त, तुमने सच्चे मन से कामिका एकादशी का व्रत किया है, इसलिए मैं तुमसे प्रसन्न हूँ। तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो गए हैं, और तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारा जीवन सुख और समृद्धि से भरा रहेगा।"
भगवान विष्णु के आशीर्वाद से वह व्यक्ति अपने पापों से मुक्त हो गया और उसे जीवन में शांति और मोक्ष प्राप्त हुआ।
कामिका एकादशी की यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान विष्णु की भक्ति और एकादशी व्रत के पालन से जीवन के सारे पापों का नाश होता है। यह व्रत उन सभी लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है, जो अपने जीवन में शांति, सुख, और मोक्ष की कामना करते हैं। भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों के जीवन में आने वाले सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
"कामिका एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।"