इतिहासकार डा चित्रगुप्त के अनुसार संपूर्ण बुदेलखण्ड की तरह मोंठ क्षेत्र में भी भगवान शिव के ऐतिहासिक प्राचीन शिवलिंग मौजूद है

इस मंदिर का शिवलिंग आकार में सामान्य है लेकिन दर्शन करने पर मन शांत होता है
प्राचीन शिवलिंग
प्राचीन शिवलिंग

मोंठ (झांसी) - सावन भगवान शिव की आराधना का माह होता है।

जहां आज भी वर्ष भर श्रद्धालू जलाभिषेक करते हैं। मोंठ कस्बे के शाहपुर बस स्टैण्ड स्थित शिव मंदिर तकरीबन 1750ई के आसपास निर्मित किया गया था। इस मंदिर का शिवलिंग आकार में सामान्य है लेकिन दर्शन करने पर मन शांत होता है। ये मंदिर शुद्ध बुंदेली शैली का बना है। किला परिसर स्थित शीतला माता मंदिर में शिव जी का मंदिर है। ये शिवलिंग भी प्राचीन है लेकिन कभी यहां भव्य मंदिर हुआ करता था, समय के चलते मंदिर खंडहर हुआ तो तकरीबन 50 साल पहले स्थानीय श्रद्धालुओं ने नवीन मंदिर स्थापित किया है। यहां खेरापति हनुमान मंदिर पर शिवलिंग अत्यंत प्राचीन है, यहां भी मध्यकालीन भव्य मंदिर के स्थान पर कुछ वर्ष पूर्व से नवीन भवन बनवाया जा रहा है। कटरा बाजार स्थित मुरली मनोहर मंदिर और यही स्थित हनुमान मंदिर में भी शिव लिंग हैं जो सैकङों वर्ष पुराने हैं। यहां तालाब किनारे शिव मंदिर है जो गोसांई काल में निर्मित हुआ था। पुराने समय में तालाब में स्नान करके लोग शिवजी को जलाभिषेक करते थे। धनुषधारी मंदिर में भगवान रामजानकी के साथ ही शिंवलिंग की भी स्थापना है। यहीं से कुछ ही दूरी पर मध्यकालीन शिव मंदिर है जहां पुराने भवन के स्थान पर नवीन भवन की स्थापना की जा रही है। आर्य समाज मंदिर के पास बना शिवलिंग भी श्रृद्धा का केन्द्र अनेक वर्षों से बना हुआ है। प्राचीन मातन के मंदिर के पास ही शिव मंदिर है। वहां कुछ ही दूरी पर एक चबूतरे पर अत्यंत प्राचीन शिवमूर्ति है, जिसमें शिव को ध्यान मुद्रा में चतुष्कोणीय रूप में बनाया गया हो। अनेक छोटी छोटी मूर्तियां भी इसी मूर्ति मे बनायी गयी हैं। सैकङों साल बीत जाने के कारण मूर्ति का पत्थर घुल गया है। कुछ ही मील की दूरी पर सेवरा पहाङी की गुफा में मौजूद है कपिल मुनि का आश्रम ।यहां मौजूद शिवलिंग पूरे क्षेत्र में मान्यता प्राप्त है, शिवरात्रि और विभिन्न अवसरों पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। निकटवर्ती ग्राम भरोसा में मौजूद शिव मंदिर गोंसाई और बुंदेली स्थापत्य का बेहतरीन नमूना है, मंदिर छोटा है लेकिन पूरे क्षेत्र में श्रद्धा के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा ग्राम अम्मरगढ में भी अनेक शिव मंदिर हैं, जो अपना प्राचीन महत्व रखते हैं। इतिहासकार डा चित्रगुप्त बताते हैं कि यहां गौसांई संतों के अखाङे हुआ करते थे, इन नागा संयासियों के इष्ट भगवान शिव थे, इस कारण यहां मध्यकाल में अनेक शिव मंदिर स्थापित हुए थे। वहीं इन संयासियों की समाधियों पर भी शिवलिंग की स्थापना की जाती थी।

रिपोर्टर - मनोज कुमार

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