टेपवर्म जैसी जानलेवा बीमारी पत्ता गोभी खाने से हो रही है या फिर, संक्रमित जानवर का मांस खाने से? आइये जानते हैं !

टेपवर्म जैसी जानलेवा बीमारी पत्ता गोभी खाने से हो रही है या फिर, संक्रमित जानवर का मांस खाने से? आइये जानते हैं !
टेपवर्म जैसी जानलेवा बीमारी पत्ता गोभी खाने से हो रही है या फिर, संक्रमित जानवर का मांस खाने से? आइये जानते हैं !

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ये पिछले दिनों की कुछ न्यूज़ हेडलाइंस हैं। ये हमने आपको इसलिए दिखाई हैं, ताकि आपको एहसास हो सके कि, यह बीमारी कितनी तेजी से फ़ैल रही है और कितनी गंभीर है।

"टेपवर्म" (Tapeworm) हिंदी में कहें तो, फीता कृमि। यह एक प्रकार के खंडित वर्म अथवा संक्रमित कीड़े होते हैं, जो भोजन या पानी के जरिये मानव शरीर के अंदर प्रवेश करते हैं। यह अमेरूदण्डी परजीवी होते हैं, जो रीढ़धारी प्राणियों जैसे मानव के शरीर में अंतःपरजीवी के रूप में निवास करते हैं। इसकी कुछ प्रजातियां 100 फिट (30 मीटर) तक बड़ी हो जाती हैं। यह कीड़ा फीते की तरह लम्बा और अनेक खण्डों में बंटा होता है। इन खण्डों को प्रोग्लोटिड कहते हैं। न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, यह कीड़े संक्रमित भोजन करने से शरीर के अंदर पहुंचते हैं और तेजी से शरीर के विभिन्न अंगों में फैलने लगते हैं। इनकी आखिरी टारगेट इंसान का ब्रेन होता है। कुछ दिनों में ही ये कीड़े शरीर के हालात बद से बदत्तर बना देने हैं और आखिर में व्यक्ति की जान ले लेते हैं। आज दुनिया भर में फैली इस बिमारी को 'सिस्टसरकोसिस' का नाम दिया गया है।

टेपवर्म (फीता कृमि) शरीर के अंदर पहुंचने के बाद कैसे करता है प्रोसेस?

शरीर के अंदर टेपवर्म का जीवन तीन-स्‍तरीय होता है। पहला– अंडा, दूसरा– कृतिम कीड़े, जिसे लार्वा कहा जाता है, तीसरा– व्‍यस्‍क होने के बाद यह कीड़ा नए अंडे देने लगता है। सबसे पहले टेपवर्म खाने के साथ पेट में जाते हैं, फिर आंतों में पहुंचते हैं और फिर ब्लड फ्लो के जरिये मस्तिष्क(Brain) का रास्ता तय करते हैं। विभिन्न अंगों तक पहुंचने के बाद ये कीड़े शरीर के अंदरूनी अंगों में घाव बनाने लगते हैं। इसकी मुख्य रूप से तीन प्रजातियां होती हैं।

टीनिया सेगीनाटा–  इसका मुख्य कारण गौमांस होता है।

टीनिया सोलिअम– इसकी मुख्य वजह पोर्क (सूअर का मांस) होता है।

टीनिया एशियाटिका– यह मछली की वजह से फैलता है।

टेपवर्म के लक्षण– 

टेपवर्म की वजह से मनुष्य के शरीर में जो लक्षण दिखाई देते हैं, अगर उनपर समय रहते ध्यान दिया जाए तो इसका उपचार आसान हो जाता है। लेकिन अगर समय पर इनका ध्यान नहीं दिया गया, तो यह गंभीर रूप धारण कर लेते हैं और जानलेवा साबित होते हैं। इसलिए टेपवर्म के लक्षणों की पहचानना जरूरी है। ताकि आप स्‍वयं को और अपने परिवार को इसके दुष्‍प्रभावों से सुरक्षित रख पायें।

ये होते हैं लक्षण- मतली (जी मिचलाना), कमजोरी, डा‍यरिया, पेट में दर्द, अधिक भूख या भूख खत्‍म हो जाना, थकान, वजन कम होना, विटामिन और मिनरल की कमी होना आदि। हालांकि, आमतौर पर टेपवर्म  के लक्षण आसानी से समझ नहीं आते। इसका एकमात्र संकेत हमें शौच में घूमते कीड़ों से मिलता है। अगर गलती से सुअर का टेपवर्म आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो यह आपके शरीर के भीतर तूफ़ान मचा देता है। इससे लिवर, आंखें, दिल और मस्तिष्‍क तक प्रभावित हो सकते हैं।

संक्रमण से बचना है तो, यह करें

  1. सब्जियां और फलों का उपयोग खूब अच्छी तरह से धोकर करें।
  1. स्वच्छ पानी ही पिएं, इसके लिये फिल्टर का उपयोग करें या फिर पानी को उबालकर पिएं।
  1. घरों में मल एवं गंदगी के निकास की उचित व्यवस्था करवाएं।
  1. यदि संक्रमित व्‍यक्ति शौच के बाद अच्‍छे से हाथ धोये बिना खाना पकाता है, तो ये वर्म उस खाने में प्रवेश कर बाकी लोगों को भी संक्रमित कर सकते हैं।
  1. जलाशय के किनारे, खेत इत्यादि में शौच क्रिया न करें।
  1. मांसाहारी लोगों को चाहिये कि, वे सुअर व गाय के मांस का सेवन भूलकर भी न करें तथा कम पका या अधपका मांस भी न खाएं।
  1. क्‍योंकि यह लार्वा मांसपेशियों में प्रवेश कर जाता है, इसलिए जब आप कच्‍चा या अधपका मांस खाते हैं, तो संक्रमण होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।
  1. चिकित्सक की सलाह पर वर्ष में एक या दो बार साधारण रूप से कृमिनाशक दवाइयों का सेवन भी किया जा सकता है।

किन चीज़ों की वजह से फैलता है यह संक्रामक कीड़ा

टेपवर्म नाम का यह जानलेवा कीड़ा पत्ता गोभी, पालक, मछली, पोर्क (सुअर का मांस), बीफ, फूल गोभी, हरी धनिया पत्ती अदि में पाया जाता है। आमतौर पर चारागाहों में जानवर दूषित चारा चर लेते हैं व दूषित पानी पी लेते हैं, इस वजह से वह इस संक्रमण की चपेट में आ जाते है। और उनके जरिये इंसान में यह संक्रमण फैलता है। इसी तरह कुछ सब्जियों में भी प्रदुषण की वजह से यह संक्रमण पैदा हो जाता है। इसलिए इस तरह की चीजों से सावधानी वर्तें।

अगर तमाम सावधानियां बरतने के बाद भी यह संक्रमण आपको अपनी चपेट में ले लेता है और आपको इसके लक्षण दिखाई दे जाते हैं, तो तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि टेपवर्म कई प्रकार के होते हैं, तो इस बात की पुष्टि करने के लिए कि, आपको कौन सा टेपवर्म है डॉक्‍टर स्‍थूल की जांच करेगा। यदि किसी कारण वश वर्म की जांच स्‍थूल के जरिये नहीं हो पाती है, तो डॉक्‍टर रक्‍तजांच के जरिये भी टेपवर्म संक्रमण का पता लगा सकता है। गंभीर मामलों में डॉक्‍टर कंप्‍यूटेड टोमोग्राफी यानी सीटी अथवा एमआरआई  का सहारा भी ले सकता है। उचित समय पर इलाज़ करने से तीन महीने के भीतर आपको इस संक्रमण से छुटकारा मिल जायेगा।

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