अगर कार इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म हो जाए तो क्या करना चाहिए?

 कार इंश्योरेंस पॉलिसी

 कार इंश्योरेंस पॉलिसी

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कार अब सिर्फ एक लग्जरी नहीं, जरूरत बन चुकी है। काम पर जाना हो, बच्चों को स्कूल छोड़ना हो या वीकेंड पर कहीं घूमना कार हर फैमिली की डेली लाइफ का हिस्सा बन गई है। और जब गाड़ी है, तो इंश्योरेंस उसका ज़रूरी साथी है। क्योंकि सड़क पर चलना जितना आसान दिखता है, उतना रिस्की भी हो सकता है।

आमतौर पर लोग 1 साल की कार इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते हैं। लेकिन अगर आप बार-बार रिन्यूअल के झंझट से बचना चाहते हैं, और आपने नई कार ली है तो 3 साल तक की पॉलिसी भी ली जा सकती है। यह लंबी अवधि वाला इंश्योरेंस न सिर्फ आपको दिमागी सुकून देता है, बल्कि लॉन्ग-टर्म में फायदेमंद भी होता है।

बिना कार इंश्योरेंस पॉलिसी के कार चलाई तो क्या होगा? 

अगर आपकी कार इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म हो गई है, तो उसे तुरंत रिन्यू कराएं। बिना इंश्योरेंस के कार चलाना गैरकानूनी है और जुर्माना या कानूनी कार्रवाई हो सकती है। दुर्घटना की स्थिति में सारा खर्च आपको खुद उठाना पड़ेगा।

  1. कानूनी परेशानी हो सकती है

अगर कोई व्यक्ति कार इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म होने के बाद भी गाड़ी चलाता है, तो यह कानून का उल्लंघन है।

भारत में थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस होना जरूरी है। इसके बिना गाड़ी चलाने पर चालान, जुर्माना और बार-बार नियम तोड़ने पर जेल भी हो सकती है।

इसलिए, समय पर कार इंश्योरेंस रिन्यू कराना बेहद जरूरी है

  1. देर से कार इंश्योरेंस रिन्यू कराना पड़ेगा महंगा

अगर आप अपना पुराना कार इंश्योरेंस खत्म होने के लंबे वक्त बाद भी उसे रिन्यू नहीं करवा रहे हैं, तो ये आपके लिए महंगा सौदा हो सकता है। असल में देर से इंश्योरेंस रिन्यू करवाने पर प्रीमियम भी महंगा हो जाता है।  

  1. अपनी ही जेब से भरना होगा पैसा

अगर आप कार इंश्योरेंस खत्म होने के बाद भी गाड़ी चला रहे हैं और इस स्थिति में आपके साथ कोई एक्सीडेंट होता है, तो इसका सारा खर्च आपको खुद उठाना पड़ेगा। ऐसे में आपकी जेब पर बहुत बड़ा बोझ आ सकता है। 

फाइन दिए बिना लैप्स कार इंश्योरेंस पॉलिसी कैसे रिन्यू करवाएं?

अगर आपकी कार इंश्योरेंस पॉलिसी खत्म हो गई है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स होने पर भी इंश्योरेंस कंपनियां आमतौर पर एक ग्रेस पीरियड देती हैं, जिसमें आप बिना किसी जुर्माने के पॉलिसी रिन्यू कर सकते हैं। हालांकि, ये जिम्मेदारी आपकी ही होती है कि आप समय रहते रिन्यूअल करवाएं। अगर ग्रेस पीरियड भी निकल गया है, तो कुछ आसान स्टेप्स और सुझावों की मदद से आप फिर से पॉलिसी रिन्यू करा सकते हैं बिना भारी जुर्माना दिए।

  1. इंश्योरेंस कंपनी से कॉन्टैक्ट करें

जैसे ही आपको पता चलता है कि आपकी पॉलिसी लैप्स हो गई है, आपको तुरंत अपनी इंश्योरेंस कंपनी से कॉन्टैक्ट करना होगा। इसके लिए आप उनके कस्टमर सर्विस नंबर पर कॉल कर सकते हैं या उन्हें ईमेल भी भेज सकते हैं। इमेल या कॉल पर आप उनसे अपनी पॉलिसी के बारे में और उसे रिन्यू करने की प्रक्रिया के बारे में सही से जानकारी लें सकते हैं। इस दौरान हो सकता है आपको कंपनी जुर्माने से छूट दे दे। ये पूरी तरह के आपकी बातचीत पर ही निर्भर करता है।

  1. ग्रेस पीरियड के बारे में पता करें

पॉलिसी खत्म होने के बाद सबसे पहले अपनी इंश्योरेंस कंपनी से ग्रेस पीरियड (आमतौर पर 15–30 दिन) के बारे में जानकारी लें। अगर आप इसी अवधि में पॉलिसी रिन्यू करवा लेते हैं, तो अतिरिक्त जुर्माना नहीं देना पड़ता। बस आपको देर का कारण कंपनी को बताना होता है जैसे बीमारी, पैसों की दिक्कत या तारीख भूल जाना। 

  1. पहली बार भूलने पर मिल सकती है छूट

अगर आप अपनी इंश्योरेंस कंपनी की नजर में एक जिम्मेदार कस्टमर हैं और आप पहली बार अपने कार इंश्योरेंस को रिन्यू करवाना भूले हैं, तो इस कंडीशन में इंश्योरेंस कंपनी से बातचीत के जरिए आप जुर्माने से बच सकते हैं।  

कार इंश्योरेंस रिन्यू करवाते हुए सही IDV चुनना क्यों जरूरी है?

कार इंश्योरेंस पॉलिसी को रिन्यू करवाते हुए सही IDV सिलेक्ट करना जरूरी है। बता दें कि IDV का सीधा असर आपकी पॉलिसी के कवरेज, प्रीमियम और क्लेम सेटलमेंट पर पड़ता है। ऐसे में सोच-समझकर इसका चुनाव करना ही समझदारी है। आईडीवी का गणना आप  IDV Calculator की मदद से आसानी से कर सकते हैं। 

IDV क्या होता है?

बहुत से लोगो को IDV की सही जानकारी ही नहीं होती। इसकी वजह से वे इंश्योरेंस लेते हुए अपना ही घाटा कर लेते हैं। ऐसे में पहले समझ लीजिए कि IDV क्या है? IDV आपकी गाड़ी की वह अधिकतम वैल्यू होती है, जो इंश्योरेंस कंपनी टोटल लॉस जैसे कि गाड़ी चोरी होने या फिर कार पूरी तरह से बर्बाद हो जाने जैसी कंडीशन में आपको देगी। यही वो कारण हैं, जिससे सही आईडीवी का चुनाव करना जरूरी हो जाता है। यह गाड़ी की डिप्रेसिएटेड यानी की घटी हुई मार्केट वैल्यू होती है, न कि उसकी एक्स-शोरूम वैल्यू। इसे लेकर भी बहुत से लोग कंफ्यूज रहते हैं।  

सही IDV चुनना क्यों जरूरी है?

  1. कार इंश्योरेंस रिन्यू करते हुए सही IDV सिलेक्ट करना अनिवार्य है क्योंकि यही आपकी गाड़ी की उस मैक्सिमम वैल्यू को दिखाता है, जो इंश्योरेंस कंपनी टोटल लॉस या चोरी जैसी कंडीशन में आपको देती है। अगर आप सही IDV चुनेंगे, यानी आपकी गाड़ी की प्रेजेंट मार्केट वैल्यू के आसपास, तो जब आप इसके लिए क्लेम करेंगे, तो आपको उतना ही भुगतान मिलेगा, जितनी आपकी कार की रिलय वैल्यू है। 

  2. जब आप कार इंश्योरेंस पॉलिसी लेते हैं, तो आपको ध्यान रखना होगा कि प्रीमियम और कवरेज के बीच बैलेंस बना रहे। इसके पीछे का कारण है कि इसी कंडीशन में IDV बहुत ही अहम हो जाता है। मान लीजिए कि अगर आपकी कार कहीं से चोरी हो जाती है या पूरी तरह बेकार हो जाती है, तो इंश्योरेंस कंपनी IDV के बेस पर ही आपको पैसा देती है। 

  3. अगर आपने अपनी कार के लिए सही IDV चुना है, तो इसका अर्थ है कि गाड़ी की जो असली मार्केट वैल्यू है, उसके आसपास की वैल्यू। तो क्लेम करते समय कंपनी और आपके बीच किसी तरह की कोई बहस या कंफ्यूजन नहीं रह जाता है और आपको आसानी से अपना क्लेम भी मिल जाता है। कंपनी मान लेती है कि आपने उन्हें गाड़ी की सही वैल्यू बताई है और आपको उसी हिसाब से पैसा मिल जाता है, जितने की आपकी कार रियल में थी।

कार इंश्योरेंस के लिए IDV कैसे कैल्कुलेट करें?

IDV आपकी कार की प्रेजेंट मार्केट वैल्यू होती है, जिसे इंश्योरेंस कंपनी उस समय के कुल लॉस जैसे कि चोरी या गाड़ी के पूरी तरह खराब होने की कंडीशन में ही देती है। इसे इंश्योरेंस पॉलिसी की कवरेज लिमिट भी कहा जाता है। IDV कैलकुलेट करने के लिए आप DV कैलकुलेटर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

निष्कर्ष

कार इंश्योरेंस सिर्फ कानूनी जरूरत नहीं, आपकी फाइनेंशियल सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। अगर इंश्योरेंस एक्टिव नहीं है और इस दौरान कोई दुर्घटना हो जाती है, तो पूरा खर्च आपकी जेब से जाएगा।भारत में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कानूनी रूप से जरूरी है। इसलिए इंश्योरेंस को समय पर रिन्यू कराते रहें और कभी भी लैप्स न होने दें। एक एक्टिव पॉलिसी ही असली सुरक्षा देती है।

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