एक ‘हीरो’ जिसका नंबर किसी भिखारी के पास भी मिल जायेगा

एक ‘हीरो’ जिसका नंबर किसी भिखारी के पास भी मिल जायेगा

AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan

80 के दशक में गरीबी व तंगहाली से बाहर निकलकर हिंदी सिनेमा में तो नाम कमाया ही, उसके साथ ही सुपरस्टार जैकी श्रॉफ ने गरीबों और लाचारों के दिल में बड़ी जगह बनाई है। आज उनका पर्सनल मोबाइल नंबर तक मुंबई के फुटपाथ पर रहने वाले भिखारी के पास है, जो कभी भी कॉल करके उनसे मदद मांग सकते हैं। गरीबों के लिए जैकी दादा एक अलग अकाउंट भी चलाते हैं।

एक नौजवान 80 के दशक में जिसका बचपन मुंबई के एक चॉल में बीता, अपनी पढ़ाई तक पूरी नहीं कर पाया। देर से ही सही लेकिन उस बच्चे के दिन बदले जब वह जवान हुआ। वह बॉलीवुड का सुपरस्टार बन गया, स्टारडम मिलते ही हर किसी ने उसे सलाम किया। उस शख्स को आज हम जैकी दादा के नाम से जानते हैं बेड़ू। सफलता मिलने के बाद जैकी अपने बचपन की परेशानियों को नहीं भूले और गरीबों के मसीहा बनें। इनका गरीबों के लिए एक अकाउंट चलता है।

रिजेक्शन भी मिला-

जैकी का बचपन बहुत गरीबी में बीता, उनका पूरा परिवार मुंबई के चॉल में रहता था। पढ़ने का जूनून था लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते जैकी को 11वीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन उनके दिमाग से कुछ बड़ा करने की ललक हमेशा से थी और उसी ललक ने उनसे शैफ से लेकर फ्लाइट अटेंडेंट तक बहतु से काम कराए। जरूरी योग्यता न होने के चलते उन्हें काम से निकाल दिया गया।

बस स्टैंड पर मिला था पहला मौका-

जैकी दादा ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें गरीबी के बाद इतनी शोहरत मिलेगी, दुनिया उन्हें सलाम करेगी। एक दिन जैकी यूंही एक बसस्टैंड पर खड़े हुए थे, तभी उनसे एक शख्स टकराया। लंबे-चौड़े कदकाठी और आकर्षक चेहरे वाले जैकी को देखकर वह शख्स ठिठक गया और साथ काम करने का ऑफर दे डाला।

इस अस्पताल में चलता है अकाउंट-

मॉडलिंग की दुनिया में काम करते-करते जैकी को सुभाष घई की 'हीरो' फिल्म ऑफर हुई। फिल्म ब्लॉकबस्टर रही और जयकिशन श्रॉफ यानी जैकी दादा रातोंरात स्टार बन गए। यहां से जैकी ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, ऐसी छलांग लगाई कि सभी बस देखते रह गए। जैकी पर पैसों की बारिश होने लगी। इतनी सफलता के बाद भी जैकी अपनी जड़ों को नहीं भूले, गरीबी के दर्द को वे भली भांति समझते हैं। इसीलिए जैकी श्रॉफ के नाम से मुंबई के नानावती हॉस्पिटल में गरीबों के लिए एक अलग से एक अकाउंट चलता है। उनके पैसों से आज भी करीब 100 से ज्यादा गरीब परिवारों को आर्थिक मदद मिलती है।  इतना ही नहीं, मुंबई के जिस तीन बत्ती वाल्केश्वर इलाके के एक कमरे में जैकी और उनका परिवार रहता था, वहां से लेकर पाली हिल तक के हर एक भिखारी के पास जैकी श्रॉफ का पर्सनल नंबर है। जब भी उन्हें किसी मदद की जरूरत होती है वे जग्गू दादा को फोन घूमते हैं, जग्गू दादा फ़ौरन वहां हाजिर हो जाते हैं।

जग्गू दादा आज भी कभी-कभी अपने पुराने घर में जाते हैं।

स्टारडम मिलने के बाद भी कई दिन चॉल में रहे-

सुपरस्टार बनने के बाद से लेकर अभी तक जैकी जमीन से जुड़े हुए हैं। स्टार बनने के बाद भी उनके अंदर घमंड नहीं आया, यहां तक कि वे कई सालों तक उसी चॉल में ही रहे। ऐसा नहीं था कि उनके पास पैसा नहीं था, हीरो फिल्म सुपरहिट होने के बाद उन्होंने 2 साल में 17 फ़िल्में की थी। लेकिन फिर भी वे कई सालों तक अपने तीनबत्ती चॉल वाले एक कमरे के घर में ही रहे। उस वक्त निर्माता निर्देशक जैकी के साथ काम करने के लिए इतने उत्सुक थे, कि उनके टॉयलेट के बाहर भी लाइन लगाकर खड़े रहते थे। ये कहलाता है असली 'हीरो'। 

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