AshishUrmaliya || Pratinidhi Manthan
निर्भयामामले के दोषियों को फांसी की सजा देने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। जल्लाद की भीतलाश पूरी की जा चुकी है। अटकलें हैं, कि यूपी से पवन जल्लाद को बुलाया जायेगा। हालांकिअभी तारीख पर अंतिम फैसला नहीं आया है। एक और दोषी ने राष्ट्रपति से पुनर्विचार करनेकी गुहार लगाई है। इस याचिका पर अभी फैसला आना बाकी है। लेकिन अधिकतर आसार यही हैंकि जल्द ही उन्हें फांसी दे दी जाएगी।
तोआज हम इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं, कि जब फांसी दी जाती है तो वहां पर किनलोगों की मौजूदगी अति आवश्यक होती है और क्यों होती है? इसके नियमकायदे क्या हैं? इनजरुरी 5 लोगों के अलावा हम ये भी जानेंगे, कि आखिर ये ब्लैक वारंट क्या होता है?
तोपहले ब्लैक वारंट के बारे में जान लेते हैं-
नियमोंके अनुसार, यह ब्लैक वारंट निचली अदालत (Lower Court) द्वारा जारी किया जाता है। ब्लैकवारंट जारी हो गया मतलब, फांसी निश्चित हो चुकी है। ब्लैक वारंट भले ही निचली अदालतजारी करती है लेकिन फांसी का वक्त जेल सुपरिटेंडेंट द्वारा निर्धारित किया जाता है।फांसी का समय निर्धारित करने के बाद जेल सुपरिटेंडेंट इस समय से कोर्ट को अवगत करताहै।
ब्लैकवारंट जारी होने के 15 दिन बाद दी जाएगी फांसी-
ब्लैकवारंट जारी होने के बाद फांसी से जुडी सभी तैयारियना जोर पकड़ लेती हैं, क्योंकि इसमेंकिसी भी प्रकार का विलंब स्वीकार्य नहीं है। क्योंकि नियम के मुताबिक ब्लैक वारंट जारीहोने के ठीक 15 दिन के बाद फांसी दे दी जाती है। सिर्फ कुछ ही विपरीत हालातों में सरकारइस समय में बदलाव कर सकती है।
लोअरकोर्ट द्वारा यह वारंट जारी होने के बाद जेल सुपरिटेंडेंट, DG तिहाड़ और सेशन कोर्टजज को फांसी का निश्चित वक्त बताता है।
स्वाभाविकसी बात है, फांसी के वक्त जेल में ग़मगीन माहौल होगा, इसीलिए उस वक्त सभी कैदी अपनीबैरक में बंद होते हैं।
फांसीके वक्त इन पांच लोगों की मौजूदगी बेहद जरूरी होती है।
–मजिस्ट्रेट या एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट
–चिकित्सा अधिकारी (डॉक्टर)
–रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर (RMO)
–जेल सुपरिटेंडेंट
–डिप्टी सुपरिटेंडेंट